अंकसूची और मतदाता परिचय पत्र में जन्म तिथि अलग-अलग:इंग्लिश मीडियम स्कूल से हिंदी में पास की परीक्षा, गुजराती स्कूल में था सेंटर

राजधानी के संतोषी नगर इलाके में रहने वाले तीन बांग्लादेशी भाई इस्माइल, अकबर और साजन तीनों इराक जाने के लिए ही भारत आए हैं। तीनों पहले पं. बंगाल में थे। वहां से रायपुर पहुंचे। रायपुर में संतोषी नगर के अलावा संजय नगर, धरमपुरा, छत्तीसगढ़ नगर में किराए पर रहे है। सबसे पहले इस्माइल के पिता शमशुद्दीन का फर्जी दस्तावेज बना है। संतोषी नगर का आधार कार्ड बनाया है। उसी आधार पर इस्माइल का आधार कार्ड बना है। दैनिक भास्कर ने इस्माइल की कक्षा 5वीं की मार्कशीट ढूंढ निकाली। मार्कशीट शंकरनगर के एक स्कूल की है। स्कूल अब भी चल रहा है, लेकिन वह शंकर नगर की जगह कचना शिफ्ट हो गया। वह स्कूल इंग्लिश मीडिया है, लेकिन इस्माइल की मार्कशीट में हिंदी मीडियम लिखा है। इसी फर्जी अंकसूची के आधार पर इस्माइल ने आधार कार्ड, पैन कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट और वीजा बनाया है। रोल नंबर 1645… तृतीय श्रेणी से पास किया परीक्षा: भास्कर ने जो अंकसूची ढूंढी है, उसमें छात्र का नाम शेख इस्माइल, पिता शमशुद्दीन और मां रशीदा बेगम लिखा है। स्कूल का नाम हरिशंकर शुक्ल शंकर नगर लिखा है। रोल नंबर 1645, केंद्र क्रमांक 200582, प्राप्त नंबर 300 में 184 लिखा है। इस्माइल को 41% अंक मिला है। उसमें 2008 में जिला प्राथमिक परीक्षा समिति छत्तीसगढ़ से पास होना बताया है। परीक्षा केंद्र गुजराती स्कूल लिखा है। पुलिस ने छत्तीसगढ़ परीक्षा बोर्ड और हरिशंकर स्कूल से अंकसूची के आधार पर जानकारी मांगी है। पुलिस को शक है कि अंकसूची टेंपर की गई है। दूसरे की अंकसूची को छेड़खानी कर शेख इस्माइल के नाम पर बनाया गया है। शिक्षा विभाग की साइट पर जाकर रोल नंबर के आधार पर जानकारी लेने की कोशिश की गई। उसमें कोई रिकॉर्ड नहीं है। अंकसूची और मतदाता परिचय पत्र में जन्म तिथि अलग-अलग पुलिस ने इस्माइल से जो मतदाता परिचय पत्र जब्त किया है। इसमें ईपीक नंबर STL1931955 दिया हुआ है। यह परिचय पत्र 2018 में चुनाव आयोग से जारी हुआ है। भास्कर ने चुनाव आयोग की साइट में परिचय पत्र की जांच की। उसमें कोई रिकॉर्ड नहीं है। ईपीक नंबर के आधार पर कोई जानकारी नहीं दिख रही है। इस्माइल ने अपना पता मकान नंबर 193, लक्ष्मी नगर, टिकरापारा बताया है। जन्म तिथि 11 दिसंबर 1999 बतायी है, जबकि अंकसूची में 25 जून 1997 है। वीजा बनाकर मई में गया बांग्लादेश इस्माइल और उसके भाइयों ने अप्रैल 2024 में पासपोर्ट और वीजा बनाया। तीनों मई में बांग्लादेश गए। वहां तीन माह रहे और अगस्त के आखिरी में वापस आ गए। तीनों ने फिर इराक जाने के लिए वीजे का आवेदन किया। इस साल तीनों को वीजा मिल गया। तीनों को 28 जनवरी को मुंबई से इराक जाना था। इसलिए तीनों ट्रेन से 26 जनवरी को मुंबई के लिए रवाना हुए। तीनों 27 जनवरी को वहां पहुंच गए। स्टेशन में रात रुकने के बाद 28 को एयरपोर्ट पहुंचे। वहां पकड़ लिए गए। तीनों लौटकर भारत नहीं आने वाले थे। उनका इराक में ही बसने का इरादा था। आईएमओ एप से करते थे बातचीत तीनों भाई का बांग्लादेश, इराक और ईरान के लोगों से संपर्क है। तीनों ने मोबाइल पर किसी का नंबर सेव नहीं किया है। तीनों ने देश में एनआरसी लागू होने के बाद विदेश में डायरेक्ट कॉल में बातचीत बंद कर दी थी। वे आईएमओ एप से ही बातचीत करते थे। ये ऑडियो-वीडियो कॉलिंग और इंस्टेंट मैसेजिंग सॉफ्टवेयर है। बांग्लादेश में परिवार आरोपियों का परिवार बांग्लादेश में हैं। पिता शमशुद्दीन, मां रशीदा, भाई अजगर, बहन सुरैया, इस्माइल की पत्नी यास्मीन और 2 बेटियां बांग्लादेश में रहते है। माता-पिता रायपुर आ चुके है। यहां रहते भी थे। कुछ लोगों का मिला क्लू तीनों भाइयों के अलावा कुछ ओर लोगों का क्लू मिला है, जो पैसा लेकर फर्जी दस्तावेज बना रहे है। इनकी तलाश की जा रही है। एटीएम और स्थानीय पुलिस की टीम इसमें लगी हुई है। रायपुर के अलावा राज्य के दूसरे शहरों में भी फर्जी दस्तावेज से रहने वाले विदेशों की पहचान का प्रयास किया जा रहा है।- अमित कुमार, एडीजी इंटेलिजेंस टिकरापारा के कम्प्यूटर सेंटर से बना दस्तावेज पुलिस की पड़ताल के मुताबिक टिकरापारा इलाके में कबाड़ की दुकान चलाने वाले शेख अली ने ही तीनों भाइयों का फर्जी दस्तावेज बनाया है। ये दस्तावेज सत्कार कम्प्यूटर सेंटर से बनाया है। इसका मालिक शेख आरिफ भी गायब है। पुलिस शेख अली और आरिफ दोनों की तलाश कर रही है। कोलकाता के एक एजेंट का भी नंबर मिला है, जिसने इस्माइल को वीजा, पासपोर्ट बनाने के लिए 83 हजार रुपए ऑनलाइन लिए हैं। एजेंट के पास पैसा बांग्लादेश से आया है।

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