अक्षय कुमार ने देखी हरियाणवी संस्कृति:मुंबई में नारनौल की ऐतिहासिक इमारतें छाई, जीओ वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में फिल्म निर्माताओं को दिखाई

मुंबई के जिओ वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में चल रहे विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव-2025) में नारनौल की ऐतिहासिक इमारतें फिल्म निर्माताओं दिखाई गई। हरियाणवी संस्कृति को देखने के लिए अभिनेता अक्षय कुमार पहुंचे। सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा द्वारा लगाई गई पवेलियन में न केवल राज्य के ऐतिहासिक स्थलों को दिखाया जा रहा है, बल्कि हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत भी दिखाई जा रही है। इस पवेलियन में नारनौल शहर के ऐतिहासिक स्थान विशेष रूप से छाए हुए हैं। इनमें जल महल, महेंद्रगढ़ का किला, राय बाल मुकुंद का छता, ढोसी हिल्स की वीडियो लगातार प्रदर्शित की जा रही हैं जो बॉलीवुड और हॉलीवुड की प्रसिद्ध कंपनियों को लुभा रही है। इतने बड़े स्तर पर पहली बार हरियाणा के सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों की प्रदर्शनी की जा रही है। इस कार्यक्रम में दुनिया के 130 देशों से कला, संस्कृति, मीडिया, फिल्म और टेक्नोलॉजी से जुड़ी प्रमुख कंपनियां और दिग्गज हस्तियां शामिल हुईं हैं। इतना ही नहीं जिला महेंद्रगढ़ में फिल्माई गई झनक दार कंगना जैसी कुछ फिल्मों की झलक भी दिखाई जा रही है। फिल्म लोकेशन के हिसाब से सबसे उपयुक्त जिला महेंद्रगढ़ आने वाले समय में फिल्मकारों के लिए बेहतरीन स्थान हो सकता है। इन्हीं संभावनाओं के चलते विभाग द्वारा यह पहल की गई है। इस आयोजन से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने और स्थानीय कलाकारों और फिल्म निर्माताओं के लिए नए अवसर मिलने की उम्मीद है। जिला महेंद्रगढ़ में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की आत्मा स्कीम से दक्षिणी हरियाणा सांस्कृतिक मंच द्वारा चलाए जा रहे जिला के एकमात्र रेडियो अरावली एफएम-90.40 को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया है। हरियाणा फिल्म एवं मनोरंजन नीति-2022 के तहत दी जाती है 2 करोड़ तक की सब्सिडी
सूचना जनसंपर्क एवं भाषा विभाग की ओर से हरियाणा की पवेलियन देख रहे संयुक्त निदेशक नीरज कुमार ने बताया कि विभाग के महानिदेशक के एम पांडुरंग के मार्गदर्शन में यह पवेलियन लगाया गया है। इसका मुख्य मकसद फिल्मकारों को हरियाणा में फिल्म बनाने के लिए आकर्षित करना है। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने हरियाणा फिल्म एवं मनोरंजन नीति-2022 बनाई हुई है। इसके तहत सब्सिडी देने का प्रावधान भी किया गया है। इसमें चयनित फिल्मों को 50 लाख रुपए से लेकर 2 करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दी जाती है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य न केवल राज्य की लोक संस्कृति को संरक्षित और बढ़ावा देना है, बल्कि सिनेमा से लोगों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करना भी है। साथ ही, इस पहल का उद्देश्य राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करना है। फिल्म नीति के निर्माण के बाद, हरियाणा ने बॉलीवुड के अलावा अन्य भाषाओं में फिल्म बनाने वाले निर्माताओं को सिंगल-विंडो शूटिंग अनुमतियों और सब्सिडी प्रोत्साहनों से आकर्षित करना शुरू कर दिया है।

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