अगस्त्य की करुणा से यज्ञ की दिशा बदली

भास्कर न्यूज|लुधियाना नसीब एन्क्लेव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन आचार्य श्री हरी जी महाराज ने कथा का वाचन करते हुए श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। कथा की शुरुआत मां कात्यायनी जी के प्रसंग से हुई, जहां आचार्य ने श्रीमद्भागवत में राजा परीक्षित द्वारा आयोजित सर्वमेध यज्ञ का उल्लेख किया। यह यज्ञ समाज की भलाई, शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। आचार्य श्री हरी जी महाराज ने बताया कि यह यज्ञ एक महान धार्मिक अनुष्ठान था, जिसमें सभी प्रकार के यज्ञों का समावेश था, और यह पृथ्वी के लिए मंगलकारी था। आचार्य ने बताया कि अगस्त्य मुनि की भूमिका भी इस कथा में महत्वपूर्ण है। वे एक महान तपस्वी मुनि थे, जिन्होंने यज्ञ के दौरान महसूस किया कि यह यज्ञ नकारात्मक दिशा में जा सकता है। उन्होंने यज्ञ को रोक दिया और राजा परीक्षित को उचित सलाह दी, जिससे यज्ञ सही दिशा में संपन्न हुआ। कथा में तक्षक नाग की घटना भी आई, जिसने राजा परीक्षित को डसकर उनकी मृत्यु का कारण बना। लेकिन, अगस्त्य मुनि ने तक्षक को क्षमा कर दिया, जिससे वह जीवित बच गया। इस प्रसंग में मुनि का महान धैर्य और करुणा प्रदर्शित होती है। आचार्य ने कहा कि दया और करुणा से बड़े संकटों का समाधान संभव है। राजा परीक्षित के शापित होने पर उन्होंने समय का सदुपयोग किया और श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण किया। इस कथा से उन्हें परम मोक्ष की प्राप्ति हुई। कथा ने सभी श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया कि जीवन में दया, करुणा और समय का सही उपयोग ही मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। विशेष रूप से प्रधान विजय जैन, नरवेद बंसल, राजेश अग्रवाल, अमृत लाल, रवि विग, चेतन विग, तिलक राज जैन, पंडित देव राज शास्त्री, रोहित जैन और श्रद्धालुगण मौजूद रहे। प्रभु आरती कर श्रद्धालुओं के लिए लंगर बरताया गया।

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