अनूपपुर की सड़कों पर उजाले की अनदेखी, व्यवस्था या लापरवाही?
अनूपपुर। शहर के बीच से गुजरने वाली अमरकंटक-जैतहरी रोड, न केवल हमारे अपने लोगों की बल्कि कई अन्य शहरों से आने-जाने वालों की मुख्य राह है। दिन हो या रात, इस सड़क की आवाजाही कभी थमती नहीं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस महत्वपूर्ण सड़क पर रात के समय रोशनी की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। स्ट्रीट लाइट्स को जिस तरह जहां मन आया वहां लगा दिया गया है, वह न केवल अव्यवस्थित है बल्कि शहर की छवि को भी धूमिल करता है। डिवाइडरों के बीच में, जहां लाइट्स लगनी चाहिए ताकि सड़क के दोनों ओर रोशनी फैले और दृश्यता साफ हो दृ वहां अंधेरा पसरा रहता है। इसके विपरीत, बाल वाटिका के पीछे या कन्या शिक्षा परिसर जैसी जगहों पर, जहां आवाजाही बहुत कम है, वहां आधुनिक और सुंदर लाइट्स देखने को मिलती हैं। क्या ये एक सोच समझकर की गई योजना है? या फिर सिर्फ काम चलाऊ रवैया? अन्य शहरों में तो जंगलों में, हाईवे के दूरदराज हिस्सों में भी व्यवस्थित लाइट लगी होती हैं और हमारा अनूपपुर, जो जिला मुख्यालय है, वहां मेन रोड पर ही रोशनी के हालात ऐसे क्यों हैं?
हम चाहते हैं
मुख्य सड़कों और डिवाइडर के बीच में व्यवस्थित और सुंदर लाइट्स लगाई जाएं। रात्रिकालीन आवाजाही के लिए सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जाए। शहर की छवि और नागरिकों की सुरक्षा दृ दोनों का ध्यान रखा जाए। एक आग्रह है जिम्मेदार लोग जिम्मेदारी लें, ताकि हमारा शहर रोशन दिखे और सुरक्षित भी हो।