अनूपपुर जिले की मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला को मिला एनएबीएल प्रमाण पत्र, किसानों को मिलेगा सटीक परीक्षण का लाभ
अनूपपुर। मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्व प्रबंधन उन महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जिनका फसल की उपज और गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आपके खेत या प्लॉट के आकार से परे, पौधों को सही समय पर सही मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करना एक सफल सब्जी उत्पादन उद्यम की कुंजी है। मिट्टी में खनिजों, कार्बनिक पदार्थों और अन्य पोषक तत्वों का भंडार होता है, जो पौधों के लिए आवश्यक होते हैं। मिट्टी पानी और हवा को पौधों की जड़ों तक पहुँचाने में मदद करती है, जो उनके विकास के लिए आवश्यक हैं। मिट्टी पौधों की जड़ों को सहारा देती और नमी का नियंत्रण मिट्टी तापमान और नमी को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे पौधों के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। मिट्टी कार्बनिक पदार्थों का स्रोत होती है, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का स्रोत होते हैं। मिट्टी में कई प्रकार के सूक्ष्मजीव होते हैं, जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को उपलब्ध कराते हैं और मृदा की उर्वरता को बढ़ाते हैं। मिट्टी खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह फसलों के उत्पादन के लिए आधार प्रदान करती है। जैविक खाद मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को बढ़ाते हैं और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं। विभिन्न प्रकार की फसलों को बारी-बारी से उगाना मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है। मिट्टी की जाँच करके यह पता लगाया जा सकता है कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी है और उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है।
जिले के किसानों को मिलेगा लाभ
जिले की एकमात्र मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला को राष्ट्रीय परीक्षण एवं अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त हो गई है। यह प्रमाणपत्र प्रयोगशाला की तकनीकी क्षमता, विश्वसनीयता और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्यप्रणाली का प्रमाण है। एनएबीएल मान्यता से प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों पर किसानों और अन्य हितधारकों का विश्वास और भी मजबूत हुआ है। एनएबीएल, अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला प्रत्यायन सहयोग (आईएलएसी) और एशिया प्रशांत प्रत्यायन सहयोग की पारस्परिक मान्यता व्यवस्था का हिस्सा है, जिससे यहां किए गए परीक्षण परिणामों को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता प्राप्त होती है। कृषि वैज्ञानिक महेंद्र ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मान्यता प्रयोगशाला के बुनियादी ढांचे, उपकरणों, प्रशिक्षित तकनीकी स्टाफ और गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रियाओं में निरंतर उत्कृष्टता का परिणाम है। इससे न केवल जिले में मृदा परीक्षण की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक खेती के लिए सटीक मार्गदर्शन भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत जिले के लिए 15,907 नमूनों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे पूर्ण कर लिया गया है। अब तक 14,010 मिट्टी नमूनों की जांच की जा चुकी है और 13,010 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को वितरित किए जा चुके हैं। जिले की इस एकमात्र मान्यता प्राप्त मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा एकत्र किए गए नमूनों की जांच की जाती है। एनएबीएल मान्यता के बाद अब किसानों को उनकी भूमि की गुणवत्ता की सटीक जानकारी समय पर मिलेगी, जिससे फसल उत्पादन में सुधार और वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा मिलेगा।