अब खास महाल जमीन मामले में एसीबी ने विनय चौबे पर केस की अनुमति मांगी

शराब घोटाले में जेल में बंद निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अब हजारीबाग जिले में 2.75 एकड़ खास महाल जमीन से जुड़े एक मामले में विनय चौबे और तत्कालीन खास महाल अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है। जिस समय यह मामला हुआ था, उस समय विनय चौबे हजारीबाग के डीसी थे। एसीबी ने इस मामले में 2015 में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। इस मामले की जांच में पता चला कि हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना की गई। दाखिल खारिज में “सेवायत” शब्द हटाकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर जमीन की बंदोबस्ती कर दी गई। वह जमीन करोड़ों रुपए की थी। इस तरह खास महाल की जमीन निजी व्यक्ति के हाथ में चली गई। जांच में कई अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई। इसी मामले में अब एसीबी ने राज्य सरकार से केस दर्ज करने की अनुमति मांगी है। इसकी फाइल सरकार को भेज दी गई है। सरकार से स्वीकृति मिलते ही एसीबी एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर देगा। इधर, शराब घोटाले में आठ आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी शराब घोटाले में एसीबी ने 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से विनय चौबे सहित सात आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अब एसीबी ने 8 आरोपियों की गिरफ्तारी की कार्रवाई तेज कर दी है। इनमें नेक्सजेन के संचालक विनय सिंह, गुजरात के विपिन जादवभाई परमार, महेश शेडगे, परेश अभेसिंह ठाकोर, विक्रम सिंह ठाको, महाराष्ट्र के जगन तुकाराम देसाई, कमल जगन देसाई और शीतल जगन देसाई शामिल हैं। फर्जी तरीके से पावर ऑफ अटॉर्नी के भी इस्तेमाल का भी आरोप एसीबी को जांच में पता चला है कि ट्रस्ट की इस संपत्ति को निजी लाभ के लिए निजी लोगों के नाम हस्तांतरित करने के लिए फर्जी तरीके से पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल किया गया। विजय प्रताप सिंह और सुधीर कुमार सिंह नामक व्यक्तियों को पावर ऑफ अटॉर्नीधारक बनाया गया। इनके माध्यम से यह पूरी प्रक्रिया न केवल कोर्ट के आदेश की अवहेलना थी, बल्कि ट्रस्ट की संपत्ति का निजी दोहन कर उसे व्यावसायिक लाभ में बदलने की एक सुनियोजित साजिश थी। इस मामले की भी जांच जारी है। हाईकोर्ट ने कहा था- ट्रस्ट की जमीन हस्तांतरित नहीं कर सकते झारखंड हाईकोर्ट ने 26 जुलाई 2005 को आदेश दिया था कि हीरालाल सेठी और पन्नालाल सेठी या उनके उत्तराधिकारी की ट्रस्ट की जमीन को किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। इस आदेश को नजरअंदाज करते हुए राजस्व विभाग के आदेश संख्या 1346/रा०(15 मई 2010) और उपायुक्त के आदेश संख्या 529/खा०मे (14 सितंबर 2010) के माध्यम से इस भूमि को 23 व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया। वर्तमान में इस जमीन पर बहुमंजिला व्यावसायिक भवन बना हुआ है। साजिश रचकर 23 लोगों को जमीन हस्तांतरित करने का आरोप एसीबी को जांच में पता चला है कि यह जमीन 1948 में 30 साल के लिए एक ट्रस्ट “सेवायत” को लीज पर दी गई थी। उसकी लीज 1978 में खत्म हो गई। फिर 2008 तक इस जमीन की लीज का नवीकरण किया गया। इसके बाद 2008 से 2010 के बीच सुनियोजित साजिश के तहत यह जमीन 23 लोगों को आवंटित कर दिया गया। आरोप है कि इस षड्यंत्र में हजारीबाग के तत्कालीन डीसी विनय कुमार चौबे भी शामिल थे। उन पर आरोप है कि खास महाल पदाधिकारी के साथ मिलकर उन्होंने लीज नवीकरण के आवेदन से “सेवायत” शब्द जान-बूझकर हटवाया। ताकि उस जमीन को अन्य लोगों को हस्तांतरित किया जा सके। अब एसीबी एफआईआर दर्ज कर यह जानना चाहता है कि उस जमीन को किस दस्तावेज के आधार पर हस्तांतरित किया गया है।

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