10 दिन में प्रति हाइवा बालू की कीमत में 12 हजार की बढ़ोतरी झारखंड में बालू की भारी किल्लत हो गई है। हालात ऐसे हैं कि अब बोरी में बालू बिक रहा है। पलामू जैसा क्षेत्र, जहां कोयल सहित कई नदियों में पर्याप्त बालू है, वहां भी 25 से 40 रुपए प्रति बोरी की दर से बालू की बिक्री हो रही है। चोरी छिपे आ रहे बालू के लिए मंुहमांगी कीमत वसूली जा रही है। पिछले 10 दिनों में ही बालू की कीमत में प्रति हाइवा 12 हजार रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है। 10 दिन पहले एक हाइवा बालू 38 हजार रुपए में मिल रहा था। अब उसकी कीमत 50 हजार रुपए पर पहुंच गई है। इतनी कीमत देने के बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि बालू मिल ही जाए। आखिर बालू क्यों नहीं मिल रहा? भास्कर ने जब इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। पता चला कि राज्यभर में 444 बड़े बालू घाट हैं। एक साल पहले इन घाटों का टेंडर किया गया। लेकिन अब तक सिर्फ 51 घाटों से ही बालू खनन की पर्यावरण स्वीकृति मिली है। इनमें से 24 घाटों से बालू का उठाव हो रहा है। वहीं रांची में कुल 19 बालू घाट हैं, जिनमें सिल्ली के तीन घाटों को ही पर्यावरण स्वीकृृति मिली है। लेकिन वहां से भी बालू का उठाव नहीं हुआ है। क्योंकि अब तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कंसेंट टू ऑपरेट की अनुमति नहीं मिली है। इससे रांची के किसी भी घाट से बालू का उठाव नहीं हो रहा है। नतीजा यह है कि अपार्टमेंट से लेकर अबुआ आवास तक का काम ठप पड़ गया है। घर बना रहे लोगों ने भी काम रोक दिया है। बालू एसोसिएशन के अनुसार बालू नहीं मिलने से निर्माण क्षेत्र से जुड़े पांच लाख से अधिक कामगार बेरोजगार हो गए हैं। जानिए…किन जिलों में बालू की क्या है िस्थति हजारीबाग: 28 में सिर्फ आठ का टेंडर हुआ है। कंसेंट टू ऑपरेट न मिलने से उठाव नहीं। चतरा: यहां 22 में से चार से उठाव हो रहा है। पर्यावरण स्वीकृति न मिलने से 18 घाट बंद हैं। पलामू: कुल 10 में से आठ घाटों का टेंडर। पर्यावरण स्वीकृति न मिलने से खनन बंद है। गुमला: जिले के छह में से सिर्फ दो बालू घाटों का टेंडर हुआ है। लेकिन अब तक इसे पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है। धनबाद: 10 में से 8 घाटों का ही टेंडर हुआ। पर्यावरण स्वीकृति अभी नहीं मिली है। 10 दिन में प्रति ट्रैक्टर 2000 रु. से ज्यादा बढ़ गए। और जिम्मेदारों के बोल सुनिए… {खान सचिव जीतेंद्र कुमार सिंह बोले-बालू का विषय जेएसएमडीसी से जुड़ा हुआ है। इसलिए उसके एमडी से बात कीजिए। जेएसएमडीसी के एमडी राहुल कुमार सिन्हा : मैं अभी ट्रेनिंग पर हूं। निदेशालय नहीं देख रहा हूं। अभी जो प्रभार में होंगे, वे ही बेहतर बता सकते हैं। खान विभाग और कार्मिक विभाग सीएम के पास है। पता करने पर बताया गया कि खान निदेशक का प्रभार किसी को नहीं दिया गया है। अब बिक रहा बिहार का बालू, उसमें भी मिट्टी की मिलावट इन दिनों बिहार से बड़े पैमाने पर बालू मंगाया जा रहा है। रांची, खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, गढ़वा में बिहार से रोजाना 100 ट्रक से अधिक बालू आ रहा है। बूटी मोड़ के बालू व्यापारी रंजीत सिंह ने बताया कि झारखंड के घाट से बालू का उठाव करना मुश्किल है। पैसे भी ज्यादा बांटने पड़ते हैं। बिहार से आने वाले बालू में मिट्टी का अंश मिल रहा है। इसलिए लोग पसंद नहीं करते। 1 दिसंबर को 2000 रुपए में एक ट्रैक्टर बालू मिल रहा था। अब 4000 रुपए में चोरी-छिपे मिल रहा। इसमें 40 सीएफटी बालू आ रहा है। 1 दिसंबर को 7000 में एक टर्बो बालू आ रहा था। अब 10 से 11 हजार रुपए में मिल रहा। इसमें 80 से 100 सीएफटी बालू आ रहा। 1 दिसंबर को 38000 में एक हाईवा बालू आ रहा था। अब 45 से 50 हजार रुपए में मिल रहा है। इसमें 750 सीएफटी बालू आ रहा। पलामू में 25 से 40 रुपए प्रति बोरी बिक रहा बालू ऐसे बढ़ी बालू की कीमत 2. अबुआ आवास का भी काम रुका: बुढ़मू प्रखंड में अबुआ आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत करीब 2 हजार आवास की स्वीकृति दी गई है। इसमें से एक हजार से अधिक आवास का काम ठप पड़ा है। लाभुक चुनिया देवी ने बताया कि बालू नहीं मिलने की वजह से पिछले तीन माह से घर का काम ठप है। 1. अपार्टमेंट की रुक गई ढलाई: पुंदाग में अपार्टमेंट बना रहे बिल्डर अमितेश ने बताया कि बालू की किल्लत चुनाव के समय से हो गई है। बालू नहीं मिलने से ढलाई रुकी हुई है। अब बिहार के बालू डीलर से बात चल रही है। बिहार से 1100 रुपए में बालू लेने की बात चल रही है। क्या हो रहा असर… लोहरदगा: कुल 20 घाटों में से छह का ही टेंडर हुआ है, पर उठाव शुरू नहीं हो पाया है। बोकारो: कुल 38 घाट हैं। इनमें 13 घाट खान विभाग के पास है। शेष 25 में छह घाटों का टेंडर हुआ, पर उठाव नहीं हो रहा है। लातेहार: कुल 85 में से सिर्फ आठ घाटों का टेंडर हुआ है। यहां एक घाट से उठाव हो रहा है। चाईबासा: जिले में 11 बालू घाट हैं। इनमें तीन का टेंडर हुआ है, पर पर्यावरण स्वीकृति न मिलने से उठाव नहीं हो रहा है। पूर्वी सिंहभूम : यहां एक घाट का टेंडर हुआ है। लेकिन पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिली है।