अमृतसर में नामांकन नहीं भर सके श्याम लाल गांधी:12 बार लड़ चुके चुनाव, बोले- किराये का घर बिजली बिल कहां से दूं

अमृतसर जिले से अब तक 12 बार चुनाव लड़ चुके श्याम लाल गांधी इस बार नगर निगम के चुनाव के लिए नामांकन भी नहीं भर पाए। श्याम लाल गांधी पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेतली, नवजोत सिंह सिद्धू, हरदीप पुरी जैसे कई नेताओं के सामने चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार भी वार्ड नंबर 74 से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन एक एनओसी के चलते नामांकन नहीं भर पाए। जिसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली है और आम आदमी पार्टी सरकार को कोसा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए श्याम लाल गांधी ने कहा कि पहले वह बहुत दिनों से अपनी वोटर सूची ढूंढते रहे। जिसके लिए वह कमिश्नर दफ्तर, कार्पोरेशन दफ्तर, आरटीओ के दफ्तरों में चक्कर लगाते रहे, लेकिन सूची नहीं मिली। उसके बाद नामांकन भरने के लिए कई तरह की एनओसी की जरुरत पड़ती है जो कि उन्होंने कलेक्ट कर ली, लेकिन आज नामांकन का आखिरी दिन था और उन्होंने कार्पोरेशन की तरफ से एक एनओसी नहीं दी गई। कार्पोरेशन की तरफ से कहा गया था कि प्रॉपर्टी से संबंधित एनओसी लेकर आएं, लेकिन वह किराये के मकान में रहते हैं। बिजली का बिल मांगा जा रहा है, लेकिन जब घर ही नहीं है तो बिजली का बिल कैसे दिया जाएगा। श्याम लाल गांधी ने कहा कि वह अब तक 12 चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस, बीजेपी और अकालियों का राज रहा है, लेकिन आज तक उन्हें कभी नामांकन भरने की दिक्कत नहीं आयी। यह कैसी आम आदमी की सरकार है जिसमें आम आदमी की ही नहीं सुनी जा रही। श्याम लाल गांधी एक कट्टर गांधीवादी श्याम लाल गांधी चुनाव लड़ने के लिए अपनी कमाई से बचत करते हैं। पार्टियों में ऑर्डर पर खाना तैयार करने वाली एक कैटरिंग फर्म में काम करने वाले, वह एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते हैं और चुनाव लड़ने के लिए अपनी मामूली कमाई से बचत करते हैं। बिना किसी दिखावे के साइकिल पर प्रचार करने की उनकी अनूठी शैली ने उन्हें शहरवासियों के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बना दिया है। गांधी फिल्म देखकर हुए महात्मा गांधी से प्रेरित उन्होंने कहा, “हालांकि मैंने राष्ट्रपिता पर बहुत ज्यादा किताबें नहीं पढ़ीं, लेकिन ‘गांधी’ फिल्म ने मुझे महात्मा गांधी के दर्शन का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया।” 2009 में अपना पहला चुनाव लड़ने से पहले, उन्होंने 2007 में उन्होंने 25 वर्षीय युवा के रूप में, गांधीवादी दर्शन और समकालीन समाज में इसके सिद्धांतों की प्रासंगिकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम संभाला था। 2009 में लड़ा पहला चुनाव उनके द्वारा प्रचारित संदेशों में अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने पहली बार 2009 के आम चुनाव में राजनीति में कदम रखा था। उनका दूसरा चुनाव 2012 का विधानसभा चुनाव था, जब उन्होंने भारतीय चैतन्य पार्टी से पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उन्होंने 2012 में नगर निगम चुनाव भी लड़ा और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में भी हिस्सा लिया। तब से लगातार वह अब तक 12 चुनाव लड़ चुके हैं और इस बार भी लड़ना चाहते थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही से नहीं लड़ पाए।

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