झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा अपने एक दिवसीय दौरे पर धमतरी पहुंचे। यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में उनका पारंपरिक अंदाज़ में ढोल-नगाड़ों और बस्तरिया नृत्य के साथ स्वागत किया गया। इस दौरान कई वरिष्ठ अधिकारी और आदिवासी समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। पूर्व मुख्यमंत्री बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती पर दुगली गांव में आयोजित महासभा में शामिल होने आए थे। रेस्ट हाउस में आदिवासी समाज के सदस्यों से सौजन्य मुलाकात के बाद वे कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। संविधान पर बोले अर्जुन मुंडा मीडिया से चर्चा करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत का संविधान बाबा साहब अंबेडकर द्वारा देश को दिया गया एक महान ग्रंथ है, जो नागरिकों को जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र से ऊपर उठकर ‘भारतीय’ बनने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि संविधान ने देश को एक समग्र और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ने की दिशा दी है। वक्फ बोर्ड और बंगाल की स्थिति पर टिप्पणी वक्फ बोर्ड को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि देशभर में इस मुद्दे को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन बंगाल में इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा जमाए बैठे हैं और जब इसे पारदर्शिता के साथ सभी के हित में लाया जा रहा है, तो विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय को उनके अधिकार मिलने चाहिए और वक्फ बोर्ड सबके लिए है, न कि कुछ लोगों के निजी हित के लिए। बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर मुंडा ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि प्रशासन इस पर सख्ती नहीं करता, तो इसका सीधा अर्थ है कि वह जनता और खासकर मुस्लिम समुदाय का भला नहीं चाहता। नक्सलवाद पर दी दोतरफा रणनीति की सलाह छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलवाद पर पूर्व सीएम मुंडा ने कहा कि इस समस्या का समाधान दो स्तरों पर संभव है। पहला, आम जनता को संविधान और लोकतंत्र की व्यवस्था में विश्वास रखकर हिंसा से दूर रहना चाहिए। दूसरा, राज्य सरकार को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और रचनात्मक पहल लाकर लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांति ही असली समाधान है और वर्तमान कार्यों का प्रभाव भविष्य की पीढ़ियों पर पड़ेगा। यूसीसी पर स्पष्ट की स्थिति यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर बात करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि इसे लेकर कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनजातीय समुदायों की जीवन पद्धति पहले से ही संविधान में संरक्षित है, इसलिए उन पर यूसीसी लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह विषय समग्र दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, न कि नकारात्मक सोच के साथ।