अवैध होर्डिंग रोकने नहीं चला अभियान:शहर में पांच हजार होर्डिंग, 2172 से ही मिल रहा शुल्क, हर साल साढ़े तीन करोड़ का नुकसान

राजधानी में निजी छतों पर लगे 50 फीसदी से ज्यादा होर्डिंग्स अवैध हैं। नगर निगम के रिकार्ड में महज 2172 होर्डिंग ही वैध हैं। इनसे ही निगम शुल्क मिल रहा है। जियो टैगिंग के लिए निगम ने जब इन होर्डिंग का सर्वे किया तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। 12 दिसंबर तक हुए सर्वे में 3200 से ज्यादा होर्डिंग मिल चुके हैं। इसमें अभी तक 1028 अ‍वैध होर्डिंग का पता चला है। सर्वे पूरा होने तक यह आंकड़ा पांच हजार तक पहुंचने की संभावना है। यानी शहर में आधे से ज्यादा होर्डिंग अवैध लगे हैं। इन अवैध होर्डिंग से नगर निगम को हर साल करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यह अनुमानित आंकड़ा है। दावा किया जा रहा है कि सर्वे पूरा होने के बाद होर्डिंग्स की वास्तविक स्थिति जांची तो निगम को छह से सात करोड़ के नुकसान का अनुमान है। रायपुर में होर्डिंग का पूरा कारोबार चार-पांच बड़ी विज्ञापन एजेंसियों के ही हाथों में हैं। निगम के टेंडरों से विज्ञापन अधिकार हासिल करने के अलावा इनका निजी छतों पर भी पूरा कब्जा है। निगम को सालभर में महज 11 से 12 करोड़ का राजस्व मिल रहा है। दावा किया जा रहा है कि तेजी से बढ़ती राजधानी में निगम को होर्डिंग्स से ही 25 से 30 करोड़ का राजस्व मिल सकता है। इसके बावजूद निगम अफसरों ने अवैध होर्डिंग्स को रोकने कोई कोशिश नहीं की। राजस्व बढ़ाने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। यूनिपोल में साइज व साइड में फर्जीवाड़ा शहर में अवैध होर्डिंग का धंधा सुनियोजित तरीके से चल रहा है। होर्डिंग्स बिजनेस में कब्जा रखने वाले चार-पांच बड़ी विज्ञापन एजेंसियों का नगर निगम में बड़ा दखल है। सड़कों और डिवाइडरों पर विज्ञापन के लिए नगर निगम यूनिपोल लगाने का टेंडर जारी करता है। इसकी संख्या तय रहती है। इसमें ज्यादातर एजेंसियां साइज को लेकर बड़ी गड़बड़ी कर रही है। जैसे किसी एजेंसी को 18 बाई 18 की अनुमति मिली है लेकिन उन्होंने 20 बाई 25 साइज की होर्डिंग्स लगा ली है। अनुमति से ज्यादा साइज की होर्डिंग लगाकर निगम के राजस्व का नुकसान किया जा रहा है। इस गड़बड़ी को लेकर निगम कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता। अफसरों की इसकी जानकारी भी होती है। फिर भी विज्ञापन एजेंसियों पर ना तो पेनाल्टी लगाई जाती है और ना ही शुल्क वसूला जाता है। ​निजी छतों पर बिना अनुमति होर्डिंग्स निगम के सर्वे में जो अवैध होर्डिंग्स सामने आ रही है, उनमें ज्यादातर छतों पर लगने वाले होर्डिंग्स ही हैं। किसी भी निजी छत पर होर्डिंग्स लगाने से पहले एजेंसियों को उस मकान मालिक के साथ एक अनुबंध करना होता है। वे छत के लिए एक निश्चित मासिक किराया मकान मालिक को देते हैं। इसके अलावा एजेंसियों को नगर निगम को 120 रुपए प्रति वर्गफीट सालाना शुल्क देना होता है। एजेंसियां निगम से अनुमति नहीं लेती और सीधे मकान मालिक से सौदा कर छतों पर होर्डिंग्स लगा लेती हैं। इससे निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। विज्ञापन एजेंसियों से जुड़े जानकारों का कहना है कि निगम का 120 रुपए प्रति वर्गफीट सालाना रेट 2017-18 में लागू किया गया है। इसके बाद से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। प्राइम लोकेशन की निजी छतों को लेकर विज्ञापन एजेंसियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। वे मुंहमांगी बोली लगाकर छत हासिल कर रहे हैं, लेकिन निगम को कोई फायदा नहीं हो रहा है। निगम 120 रुपए के रेट पर ही शुल्क वसूल रहा है। इस तरह समझे कैसे सालाना 3.39 करोड़ का हो रहा नुकसान निगम सूत्रों के अनुसार शहर में लगभग 5 हजार होर्डिंग्स के अवैध होने का अनुमान है। निगम के रिकार्ड के मुताबिक 2172 अवैध होर्डिंग्स हैं। यानी 2828 अवैध होर्डिंग्स हैं। यदि एक होर्डिंग्स की औसत साइज 10 बाई 10 फीट मानी जाए तो एक होर्डिंग 100 वर्गफीट की है। तब होर्डिंग का कुल क्षेत्रफल 2828 गुणा 100 यानी 282800 वर्गफीट। निगम को प्रति वर्गफीट 120 रुपए सालाना शुल्क मिलता। इस तरह नगर निगम को न्यूनतम 3.39 करोड़ रुपए सालाना राजस्व का नुकसान इन अवैध होर्डिंग्स से हो रहा है। यह न्यूनतम है। यूनिपोल में भी अनियमितताओं को शामिल किया जाए तो निगम का राजस्व नुकसान पांच से सात करोड़ रुपए तक बढ़ जाएगा। नए नियमों के अनुसार होर्डिंग और बिल बोर्ड से शुल्क वसूला जाएगा। अवैध होर्डिंग्स का पता लगाने के लिए ही सर्वे और जिया टैगिंग की जा रही है। इससे निगम को लगभग दोगुना राजस्व मिलेगा।
अबिनाश मिश्रा, कमिश्नर नगर निगम होर्डिंग्स को लेकर नगर निगम में भारी अनियमितता है। होर्डिंग्स का सर्वे किया जा रहा है। अवैध होर्डिंग्स का नियमितिकरण कर उनसे शुल्क वसूल करेंगे। इससे निगम की आय बढ़ेगी।
एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

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