आईजीएनटीयू में दो सप्ताह के क्षमता विकास कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन
अमरकंटक। विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग द्वारा नव शिक्षकों हेतू भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम दिनांक 21 अप्रैल को प्रारंभ हुआ और 3 मई, 2025 को समापन हुआ । इस कार्यक्रम को युवा संकाय सदस्यों की शैक्षणिक, शैक्षणिक और शोध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें उच्च शिक्षा में समकालीन चुनौतियों और नवाचारों को संबोधित करने पर जोर दिया गया था। उद्घाटन समारोह में के प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने भाग लिया, जिन्होंने शिक्षा जगत के भविष्य को आकार देने में इस तरह की क्षमता निर्माण पहल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। कार्यक्रम में तेलंगाना, मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से आए लगभग 30 संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 12 दिनों में, लगभग 40 सत्र आयोजित किए गए, जिसमें शोध पद्धति (गुणात्मक, मात्रात्मक, मिश्रित विधियाँ, नृवंशविज्ञान तकनीक), राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और नवीन शिक्षण विधियों सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया गया। तकनीकी सत्र में उपकरण, ई-लर्निंग, डिजिटल शिक्षाशास्त्र और समावेशी कक्षा अभ्यास भी शामिल थे। इसके अलावा, प्रतिभागियों ने अकादमिक लेखन, प्रकाशन नैतिकता और अनुदान प्रस्ताव विकास के साथ-साथ का उपयोग करके डेटा विश्लेषण सीखा। अन्य महत्वपूर्ण विषयों में संस्थागत मान्यता, अकादमिक नेतृत्व, सॉफ्ट स्किल, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और समय प्रबंधन शामिल थे। कार्यक्रम में लैंगिक संवेदनशीलता, सामाजिक समावेश, सामुदायिक जुड़ाव और पर्यावरणीय स्थिरता पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अलावा, प्रतिभागियों को शिक्षा, डव्व्ब्े, खुले शैक्षिक संसाधनों में के एकीकरण से परिचित कराया गया और आदिवासी संस्कृति और सामाजिक कार्य अभ्यास के माध्यम से मूल्यवान व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ। कार्यक्रम का एक अनूठा और प्रभावशाली घटक मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों का क्षेत्रीय दौरा किया गया, जहाँ प्रतिभागियों को स्वदेशी समुदायों के साथ जुड़ने और जमीनी हकीकत को प्रत्यक्ष रूप से समझने का अवसर मिला। हैदराबाद विश्वविद्यालय, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (जीजीयू) और अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिष्ठित विद्वानों और विशेषज्ञों को संसाधन व्यक्तियों के रूप में आमंत्रित किया गया था । 3 मई को आयोजित समापन सत्र में, प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने विभाग के प्रयासों की सराहना की और प्रतिभागियों को सीखने को सार्थक और प्रभावशाली शैक्षणिक कार्य में बदलने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम को समृद्ध, व्यावहारिक और प्रेरक बताते हुए उच्च स्तर की संतुष्टि व्यक्त की। यह संकाय विकास कार्यक्रम सामाजिक कार्य विभाग की अकादमिक उत्कृष्टता और सामुदायिक जुड़ाव के प्रति चल रही प्रतिबद्धता में एक और मील का पत्थर है। कार्यक्रम के सन्दर्भ में विस्तार पूर्वक सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्टाता प्रोफेसर नीति जैन किया साथ ही संकाय सदस्य प्रोफेसर सौभाग्य रंजन पाढ़ी, कार्यक्रम समन्वयक एवं अध्यक्ष समाज शास्त्र एवं मानव शास्त्र विभाग, डॉ. दिग्विजय फुकन, डॉ. रमेश बी, डॉ. कृष्णमणि भगवती, साथ ही शोध छात्र अविनाश डाबी, प्रवीण कुमार चाडार, जिनिमोल, आरती, शरण्या, इमल नारायण, श्रावन जी तथा एमएसडब्ल्यू छात्र और अन्य ने कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और इसकी सफलता में योगदान दिया । कार्यक्रम समन्वयक डॉ. धर्मेंद्र कुमार झारिया ने प्रभारी कुलपति, अधिष्ठाता अकादमिक संकाय, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान संकाय, प्रोफेसर एच. हंजबम सुखदेबा शर्मा एवं सभी प्रतिभागियोंध्समर्थकों के विश्वविद्यालय प्रशासन को उनके बहुमूल्य योगदान और सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया।