निगम में सैलरी फर्जीवाड़ा मामले को लेकर आउटसोर्स पर रखे गए मुलाजिमों की फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू कर दी गई है। पहले दिन सोमवार को दफ्तरों में बैठकर काम करने वालों को बुलाया गया था, जिसमें अलग-अलग विभागों से करीब 200 मुलाजिम पहुंचे। मुलाजिमों से आधार कार्ड लेकर रजिस्ट्रर पर दस्तखत भी करवाए गए। विभागों के एचओडी ने अपने दफ्तरों में रखे मुलाजिमों की पहचान की। बता दें कि मुलाजिमों का फिजिकल वेरिफिकेशन तो शुरू कर दी गई है मगर गड़बड़ियों का खुलासा वार्डवाइज-जोनवार किस जगह कहां पर कितने काम कर रहे कौन-कौन लोग हैं, इसकी जानकारी जुटाने के बाद सामने आ पाएगी। एसएस प्रोवाइडर कंपनी से आउटसोर्स पर करीब 735 मुलाजिम काम कर रहे हैं। यदि इस संख्या से अधिक मुलाजिम निकले तो सैलरी में हेराफेरी तय है। कंपनी की ओर से रखे मुलाजिम पूरे हुए तो जोनवार-वार्डवाइज कितने किस जगह तैनात किए गए और ड्यूटी पर आ रहे या नहीं इसकी जांच होगी। जिससे यह पता लग पाएगा कि कोई मुलाजिम घर बैठे सैलरी तो नहीं ले रहा है। सभी विभागों के एचओडी से इन-राइटिंग में लिया जा रहा कि मुलाजिम उनकी दफ्तर में ही काम कर रहा या नहीं। 23 अप्रैल तक आउटसोर्स पर रखे मुलाजिमों की फिजिकल वेरिफिकेशन चलेगी, जिसके बाद एग्जेक्ट डेटा कलेक्ट हो पाएगा। फिलहाल, गड़बड़ियां रोकने के नाम पर वेरिफिकेशन तो शुरू कर दी गई है लेकिन एसएस प्रोवाइडर से कितने मुलाजिम रखने का एग्रीमेंट हुआ था, इस पर चुप्पी साध रखी है ताकि बाद में मुश्किलें न बढ़ जाएं। चूंकि कुल मुलाजिम 735 बताए जा रहे हैं और कंपनी से कांट्रेक्ट में यह संख्या कम होने पर फर्जीवाड़ा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं मेयर जतिंदर मोती भाटिया का कहना है कि आउटसोर्स मुलाजिमों की फिजिकल वेरिफिकेशन शुरू कर दी गई है। पूरा डेटा आने के बाद खुद ही स्थिति साफ हो जाएगी। गड़बड़ी मिलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।