आगमनकाल का मानवता और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं

ईसाई विश्वास के अनुसार येसु की पैदाइश हुई थी ताकि ईश्वर और इंसान तथा पृथ्वी के बीच टूटे रिश्तों को पुनर्बहाल किया जा सके। ईश्वर ने मनुष्य और वसुंधरा को बहुत सुन्दर बनाया मगर इंसान ने उन्हें अपने लालच, इर्ष्या, द्वेष, और अहंकार के कारण मटियामेट कर दिया। इसका जीता जागता सबूत दुनिया भर में चल रहे युद्धों, टकराव और संघर्षों में देखा जा सकता है। परमात्मा और प्रकृति के बीच का टूटा रिश्ता जलवायु, परिवर्तन और उनके गंभीर विनाशकारी परिणामों में भी जाहिर होता है। अतः अगर बड़ा दिन को सही मायने में बड़ा देखना चाहते हैं तो इन्सान में इंसानियत लाने तथा पर्यावरण को बचाने का जज्बा भी बड़ा होना चाहिए। बड़ा दिन सही अर्थ में बड़ा हो पाएगा जब हम दूर-दराज, गरीब और हाशिए के लोगों को भी आशा की किरण दिखा सकें। हमारा बड़ा दिन तभी साकार हो पाएगा जब हम मौजूदा हालात में एक नए भविष्य के निर्माण का संकल्प ले पाएंगे। एक ऐसा भविष्य जहां आशा, शांति, प्रेम, समझदारी, क्षमा, सहिष्णुता, और करुणा हो, ताकि हम एक साथ मिलकर सभी का सर्वांगीण विकास कर सकें और राष्ट्र के निर्माण में सफल और कारगर रूप से अपनी भूमिका निभा सकें। – डॉ. जोसफ मरियानुस कुजूर एसजे, निदेशक, एक्सआईएसएस, रांची येसु इस दुनिया में हमारे लिए आए हम सभी येसु मसीह के जन्म पर्व के उपलक्ष्य में क्रिसमस का उत्सव मना रहे हैं। इस पर्व के माध्यम से प्रेम, शांति और आनंद का समाचार बांटते हैं। इस दौरान अपने प्रियजनों से मिलते हैं। 24 दिसंबर को हम सभी पुण्यरात की आराधना में शामिल होंगे। भविष्यवक्ताओं ने जो संदेश दिया था कि एक कुंवारी गर्भवती होगी और वह एक पुत्र को जन्म देगी, जो हमारा उद्धारकर्ता होगा। हमारे विश्वास के अनुसार वह भविष्यवाणी पूरी हुई थी। येसु इस दुनिया में हमारे लिए आए, उन्होंने हमारे उद्धार के लिए अपना बलिदान दिया। हम उन बातों को स्मरण करते हैं। इसके बाद 25 दिसंबर की आराधना में भी हम येसु के जन्म के संदेशों को स्मरण करेंगे। बाइबल के अनुसार परमेश्वर ने हमसे इतना प्रेम किया कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जगत में शांति हो। वर्तमान समय में इस दुनिया में मानवता कहीं दूर चली जा रही है। इससे मानव जीवन में संकट, अशांति हो रही है। अगर हम उनकी शिक्षाओं से जुड़ते हैं, उसे अपनाते हैं तो इस दुनिया में प्रेम और शांति का संदेश फैलेगा। -मॉडरेटर बिशप मार्शल केरकेट्टा, जीईएल चर्च आज हम अपने हृदय को चरनी बनाएं प्रभु येसु का आगमन बाइबल का सबसे महत्वपूर्ण विषय है। परमेश्वर ने स्वयं इस बात की घोषणा कि, वे कुंवारी मरियम से जन्म लेंगे और शैतान के सिर को कुचलेंगे। अर्थात दुनिया से पाप को मिटाएंगे। नए नियम में हम पाते है कि उनका जन्म अद्भुत रूप से हुआ। वह कुंवारी से जन्में, उनके जन्म के समय पूर्व में एक तारा का उदय हुआ। जिसे देखकर ज्योतिष इनके दर्शन को पहुंचे। येसु को सोना, लोबान, गंधरस भेंट में दिया। प्रभु चरनी में पैदा लिए। आज हम अपने हृदय को चरनी बनाएं और प्रभु येसु को अपने हृदय में बुलाएं। विश्वास के साथ हम उनका स्वागत करें। हमारे जीवन को वे अनंत शांति और प्रेम से भर से देंगे। क्योंकि वे शांति के राजकुमार है। आगमनकाल की सार्थकता इस बात से पूरी होती है कि प्रभु के आगमन का हम दिल से स्वागत करें। – बिशप सीमांत तिर्की, जीईएल चर्च मुक्तिदाता का जन्म प्रेम का संदेश है येसु का जन्म पर्व हमारे लिए बहुत विशेष है, क्योंकि ईश्वर ने येसु ख्रीस्त के माध्यम से मनुष्यों को सिखाया कि जीवन कैसे बिताना चाहिए। येसु स्वयं मनुष्य के रूप में संसार में जन्म लिए और मनुष्य के दुखों को जाना। उनके जन्मपर्व का मुख्य संदेश प्रेम है। ईश्वर से प्रेम करते हुए हम एक-दूसरे के साथ किस तरह प्रेममय जीवन बिताए इसे बताया है। ईश्वर होने के बावजूद उन्होंने गरीबों का जीवन बिताया। अलौकिक रूप से उनके जन्म का संदेश स्वर्गदूतों, गड़ेरियों और दूतों को मिला। जो सही पाया गया, येसु एक गोशाला में लेटे मिले। उस समय जो संदेश प्रेरितों द्वारा लोगों को दी गई। आज वर्तमान समय में भी यह शिक्षा सार्थक है। विश्वासी उनकी बातों को अपने जीवन में पाते हैं। प्रभु की शिक्षा के अनुसार जीवन जीएं, प्रभु हमारे पापों को क्षमा करता है और जीवन में मौका देता है। – बिशप बीबी बास्के, संत पॉल्स कैथेड्रल

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