आजम खान क्या अखिलेश से बगावत करेंगे?:ओवैसी-चंद्रशेखर के साथ नए गठजोड़ की तैयारी; 2027 में कांग्रेस के साथ जाने की उम्मीद

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खान पार्टी से बगावत की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। मंगलवार को जारी किया गया पत्र इसी का हिस्सा माना जा रहा है। हाल ही में आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर ने सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मुलाकात की थी। खबर है, जल्द ही AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी आजम खान से जेल में मुलाकात करेंगे। ऐसे में आने वाले दिनों में यूपी की सियासत, खासकर सपा में भूचाल लाने वाले हो सकते हैं। पहले जानते हैं आजम खान सपा से क्यों नाराज हैं आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि समाजवादी पार्टी या इंडी गठबंधन के लोगों ने उनका उस हद तक साथ नहीं दिया, जिसके वह हकदार थे। लोकसभा चुनाव के दौरान टिकटों के बंटवारे और खासकर रामपुर के टिकट को लेकर समाजवादी पार्टी ने आजम खान को नजर अंदाज किया। सपा ने आजम खान के गढ़ में उस व्यक्ति को टिकट दिया, जो तुर्क बिरादरी से संबंध रखता है। उसे आजम खान का विरोधी माना जाता है। यहां से पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया। आजम खान के विरोध के बाद भी नदवी 90 हजार से ज्यादा वोटों से जीत कर संसद पहुंच गए। कुंदरकी उपचुनाव के दौरान जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रचार करने मुरादाबाद गए, उस समय वह आजम खान के घर भी गए थे। अखिलेश यादव के साथ वे लोग भी थे, जिन्हें आजम देखना भी पसंद नहीं करते। इसे लेकर भी आजम ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा आजम खान और उनके करीबियों को लगता है कि जिस शिद्दत के साथ सदन से सड़क तक उनके मामलों को लेकर समाजवादी पार्टी काे उतरना चाहिए था, वो नहीं उतरी। किस तरह की बन रही योजना
राजनीति के जानकार बताते हैं कि नगीना लोकसभा सीट जीतकर राजनीति में दस्तक दे चुकी चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी यूपी में पैठ बनाना चाहती है। वह अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठजोड़ की तैयारी कर रही है। चंद्रशेखर मुस्लिम समाज में मुस्लिम नुमाइंदगी के नाम पर पैर जमाने की कोशिश कर रही ओवैसी की पार्टी AIMIM और आजम खान को साथ लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव में बड़ा उलट-फेर करने की तैयारी कर रहे हैं। आजम, चंद्रशेखर और ओवैसी की तिकड़ी क्या गुल खिलाएगी, यह तो समय बताएगा। लेकिन, कहा यह जा रहा है कि 2027 के चुनाव में यह सभी दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। जल्द जेल से बाहर आने की उम्मीद
आजम खान के करीबियों को उम्मीद है कि वह जल्द जेल से बाहर आएंगे। जो भी मामले अदालत में लंबित हैं, उनसे राहत मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है। उनकी पत्नी तंजीन पहले ही जेल से बाहर आ चुकी हैं। आजम का बेटा अब्दुल्लाह आजम भी जेल में बंद है। आजम खान पर 108 मुकदमे दर्ज हैं
आजम खान पर जमीन कब्जाने से लेकर बकरी और किताब चोरी तक के 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। इसमें 9 मामलों में फैसला भी आ चुका है। जिसमें 6 में सजा सुनाई गई है और 3 में बरी हो चुके हैं। आजम खान पर 2019 में ताबड़तोड़ 84 मामले दर्ज हुए थे। इसमें से ज्यादातर मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। आजम किसी दल में होंगे शामिल या बनाएंगे अपनी पार्टी
आजम खान अभी यह तय नहीं कर सके हैं कि वह कोई नया दल बनाएंगे या फिर किसी दल का हिस्सा बनेंगे। आजम इससे पहले भी सपा से नाता तोड़ चुके हैं। लेकिन, वे मुलायम सिंह के मनाने पर दोबारा पार्टी में वापस आ गए थे। हालांकि, समाजवादी पार्टी से दूर रहने के दौरान उन्होंने न तो कोई दल बनाया और न ही किसी दल में शामिल हुए थे। कौन हैं मोहम्मद आजम खान? विवादों से रहा है गहरा नाता
आजम खान का विवादों से गहरा नाता रहा है। उन पर सदन में महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने से लेकर अधिकारियों के साथ गलत व्यवहार करने और चुनाव के दौरान आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगता रहा है। 2019 के चुनाव में चुनाव आयोग ने उन पर 2 बार प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, चुनाव में उन्हें जीत मिली थी। लेकिन एक आपराधिक मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होने के कारण उनकी सदस्यता चली गई थी। रामपुर में उपचुनाव हुआ और भाजपा के घनश्याम ने यहां जीत दर्ज की। सपा शासनकाल में आजम खान को मिनी सीएम भी कहा जाता था। पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रोफेसर रविकांत कहते हैं- यह बीजेपी की रणनीति हो सकती है। पिछले दो चुनाव, 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखें तो मुस्लिम वोट एकतरफा समाजवादी पार्टी की ओर रहा है। ऐसे में भाजपा चाहती है कि इस वोट बैंक में बंटवारा हो। इसके लिए चंद्रशेखर, ओवैसी और आजम खान का सहारा लिया जा सकता है। ऐसा होता है तो निश्चित रूप से आने वाले दिनों में आजम खान को कानूनी पचड़ों से थोड़ी राहत मिलेगी। संभव है कि वह जेल से बाहर भी आ जाएं। वहीं, आजम के बयान के बाद सपा का कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है। दबी जुबान में सपा के नेताओं का कहना है कि आजम के लिए सपा ने जिले से लेकर सदन तक में सरकार की कार्रवाई का विरोध किया। यहां तक कि अदालत में भी सपा ने आजम के लिए पैरवी की। आजम के कहने पर ही कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजा गया। इतना ही नहीं, रामपुर में पार्टी के किसी भी पदाधिकारी की नियुक्ति बिना आजम की मर्जी के नहीं होती। जहां तक लोकसभा के चुनाव में टिकट की बात है तो इसके लिए भी खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, आजम से मिलने गए थे। वहां के लिए प्रत्याशी का नाम मांगा था। लेकिन आजम ने कोई नाम नहीं बताया, बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को वहां से लड़ने का प्रस्ताव दे दिया था। —————— ये भी पढ़ें… आजम खान बोले- मुस्लिमों पर इंडी गठबंधन स्टैंड क्लियर करे, यही हाल रहा तो मुसलमानों को सोचना पड़ेगा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने INDI गठबंधन पर निशाना साधा। उन्होंने गठबंधन पर मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगाया। कहा- सपा रामपुर में हुए जुर्म और बरबादी का मुद्दा संसद में उतनी ही मजबूती से उठाएं, जितना संभल का उठाया। रामपुर के सफल तजुर्बे के बाद ही संभल पर आक्रमण हुआ। इस पर इंडी गठबंधन खामोश रहा। ऐसा ही रहा तो मुसलमानों के भविष्य के बारे में हम लोगों को सोचना पड़ेगा। पढ़ें पूरी खबर…

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