भास्कर न्यूज | जांजगीर चार दिन बाद यानी 21 मार्च को एक विशेष खगोलीय घटना होने जा रही है। आगामी शुक्रवार को सूर्य भूमध्य रेखा पर होने से दिन और रात बराबर रहेंगे। दिन 12 घंटे का होगा और रात भी 12 घंटे की रहेगी। ज्योतिषियों का मानना है कि 21 मार्च के बाद से ही दिन बड़े होने लग जाएंगे और रातें छोटी होना शुरू होंगी। कुल मिलाकर यह ऋतु परिवर्तन का इशारा है और इसी दिन से ग्रीष्म ऋतु का आरंभ होने लगता है, जिसे बसंत संपात भी कहा जाता है। पंडित िवष्णु शास्त्री के अनुसार 21 मार्च को ही दिन व रात बराबर होने की खगोलीय घटना होगी और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाएगी। दिन बड़े होने से ग्रीष्म ऋतु आरंभ हो जाएगा। घर-घर में शीतला माता की पूजा होगी और ठंडे पकवानों का भोग लगेगा। इससे पहले इसके लिए 21 मार्च को शीतला सप्तमी के दिन ठंडे पकवान बनाए जाएंगे। इसके अलावा इस दिन रवियोग व सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। साल में दो बार दिन व रात के बराबर होने की स्थिति बनती है। सूर्य के उत्तरायण के मध्य व सूर्य के दक्षिणायन के मध्य आने से दिन व रात 12-12 घंटे के होते हैं। वास्तव में हमारी पृथ्वी साढ़े तेईस अंश झुकी हुई स्थिति में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। इससे कर्क रेखा, भूमध्य रेखा और मकर रेखा के बीच सूर्य की गति दृष्टि गोचर होती है। अभी घूमने की गति धीमी 21 मार्च से 23 सितंबर तक धीमी, लेकिन 23 सितंबर से 21 मार्च तक गति तीव्र हो जाती है। इससे यह पक्ष 178 दिन में ही पूरा हो जाता है। पृथ्वी 3 जनवरी को सूर्य के सबसे ज्यादा समीप व 4 जुलाई को ज्यादा दूर होती है। ज्योतिषियों की माने तो शुक्र का तारा अस्त होने पर शुभ व मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, लेकिन इस बार मीन मलमास चल रहा है, जिसकी वजह से पहले ही शुभ कार्य 13 अप्रैल तक बंद हैं। इसके बाद शुभ कार्यों को गति मिलेगी। इससे पहले 19 मार्च को मंदिरों में रंग पंचमी पर्व मनाया जाएगा। जबकि 25 मार्च का पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। 29 मार्च को सूर्य ग्रहण का योेग बन रहा है। शुक्र का तारा 21 मार्च को सुबह 10 बजे पश्चिम दिशा में अस्त होने जा रहा है।