सांसदों ने गांवों की सूरत बदलने के लिए गांवों को गोद तो ले लिया, लेकिन उसके बाद गांवों को भूल गए। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के सांसद फंड का इंतजार करते रहे और पांच साल बीत गए। सांसदों ने गांवों का अपेक्षित विकास का हो पाने का ठीकरा फंड की कमी और तत्कालीन सरकारों से सहयोग न मिलने का आरोप लगाकर फोड़ा। भास्कर की जमीनी पड़ताल में सामने आया कि गांवों को आदर्श बनाने का जो प्लान बना, उसमें बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही सामाजिक और आर्थिक गतिविधियां भी शुरू की जानी थीं, लेकिन वो या तो हुईं नहीं या अधूरी रह गईं। गोद ग्राम की जमीनी हकीकत को उजागर करने वाली भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट की अंतिम कड़ी में पढ़िए- वादे पूरे न हुए। गुहराम अजगले |ग्राम छपोरा सांसद ने न वादा किया, न कोई काम जांजगीर-चांपा के तत्कालीन सांसद गुहाराम अजगले ने 2020-21 में छपौरा गांव को गोद लिया। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने न तो कोई वादा किया और न ही कोई काम किया। गांव के देव नारायण साहू का कहना है कि गांव में बेजा कब्जा बड़ी समस्या है। अब तक लगभग 200 एकड़ घास जमीन पर कब्जा हो चुका है। क्या किया: किन कामों को चिह्नित किया, कितने पूरे हुए इसका डेटा विभाग के पास नहीं है। लेकिन स्कोर 48% बताया गया है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भाजपा सांसदों के गोद ग्राम में जानबूझकर विकास का काम नहीं कराया। इसलिए आदर्श गांव का जो स्वरूप नहीं बदला। – गुहाराम अजगले, तत्कालीन सांसद, रायगढ़ मोहन मंडावी |ग्राम मटिया वोट लेने के बाद सांसद आए नहीं बालोद जिले का यह गांव कांकेर लोकसभा में आता है। सड़क पर जय नारायण साहू से गांव के विषय में पूछा तो वे अपने घर के अंदर लेकर चले गए। वहां नल जल कनेक्शन के तहत नल तो लगा था लेकिन पानी नहीं पहुंचा था। गांव को गोद लेने के बाद तत्कालीन सांसद मोहन मंडावी कभी आए ही नहीं। क्या किया: वीडीपी में 34 काम तय हुए। 2023 से पहले पूरा करने थे, आज तक पूरे नहीं हो सके हैं। कई काम तो अब तक शुरू ही नहीं हुए हैं। कई गांवों में काम कराया है, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। गांव में विकास की योजनाओं को बिना सरकार के सहयोग के लागू नहीं किया जा सकता है। – मोहन मंडावी, तत्कालीन सांसद, कांकेर गोमती साय | ग्राम भेंड्रा किराए के भवन में चल रही आंगनबाड़ी रायगढ़ जिले का भेंड्रा गांव तत्कालीन भाजपा सांसद गोमती साय का गोद ग्राम है। गांव में सामुदायिक भवन नहीं है। आंगनबाड़ी किराए के भवन में चल रही है। नया भवन गांव से दो किलोमीटर दूर बन रहा है। गांव के रूखमन राठिया कहते हैं कि गांव में शराब बड़ समस्या है। 30% गांवों में महुआ से शराब बन रही है। क्या किया: वीडीपी में 59 कामों को कराने का दावा है। इसमें ज्यादातर जागरूकता कार्यक्रम हैं। आंगनबाड़ी की छत मरम्मत नहीं हो सकी। गांव को विकसित करने की कोशिश की, तब कांग्रेस की सरकार थी। सरकार से सहयोग नहीं मिला। फंड की कमी के कारण बहुत से काम अधूरे रह गए। – गोमती साय, तत्कालीन सांसद, रायगढ़ दीपक बैज |ग्राम हितावर जर्जर पंचायत भवन, नल से पानी नहीं हितावर गांव सांसद दीपक बैज का गोद ग्राम है। 80% आदिवासी आबादी वाले इस गांव के पारा मोहल्ले में सीसी सड़क और पुलिया बनी है। गांव के बीच से नहर गुजरी है पर सिंचाई सुविधा नहीं मिली है। स्वछता मिशन के शौचालय जर्जर हैं। स्कूल में पोटा केबिन भी है, पर स्मार्ट क्लास की सुविधा नहीं है। क्या किया: वीडीपी में 28 कामों की सूची बनी है। इसमें से हैंड पंप, सड़क मुरमीकरण और कुछ पक्की सड़कों का निर्माण अभी भी होना है। सांसद निधि बहुत कम है। उस फंड को 7-8 विधानसभा में खर्च करना होता है। 24-25 लाख केवल एक गांव में कैसे खर्च किया जा सकता है।
– दीपक बैज, तत्कालीन सांसद, बस्तर।