भास्कर न्यूज | जालंधर एक तरफ देश में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण करवाने की मुहिम चल रही है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासकीय कॉम्प्लेक्स यहां पर डीसी से लेकर 4 पीसीएस स्तर के अधिकारी बैठते है वहीं पर महिलाओं के लिए शौचालय का प्रबंध नहीं है। जिला प्रशासकीय कॉम्प्लेक्स के अंदर ग्राउंड फ्लोर में महिलाओं के लिए एक भी वॉशरूम नहीं है जिसके चलते रोजाना काम करवाने के लिए अलग-अलग कार्यालयों में पहुंचने वाली महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ग्राउंड फ्लोर पर एडीसी जनरल कार्यालय के आगे एक महिलाओं का वॉशरूम है लेकिन खराबी के चलते पिछले कई महीने से उसे बंद किया गया है जबकि उसके साथ ही पुरुषों का वॉशरूम भी है जो गंदगी से भरा पड़ा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री सहायता केंद्र विंडो के पास भी पुरुषों का गंदगी से भरा वॉशरूम है। इसे पीछे ही महिलाओं के लिए नया वॉशरूम तैयार भी किया गया है लेकिन उस पर भी सारा दिन ताला लटका रहता है और यह सिर्फ चुनिंदा कार्यालय में काम करने वाली महिलाओं के इस्तेमाल को लेकर ही खोला जाता है, जिसके ताले की चाबी महिलाओं के पास रहती है। डीसी कार्यालय में पहुंचने वाली बुजुर्ग महिलाओं को वॉशरूम जाने के लिए पहली मंजिल पर जाना पड़ता है। कॉम्प्लेक्स में कोई साइन बोर्ड न होना भी लोगों के लिए बड़ी परेशानी जिले का सबसे बड़ा सरकारी कार्यालय यहां पर डिप्टी कमिश्नर से लेकर एडीसी जनरल, एडीसी डेवलपमेंट, एडीसी शिकायत, एसडीएम सहित दो दर्जन से ज्यादा कार्यालय है लेकिन वहां पर किसी भी तरह का सूचनात्मक बोर्ड न होना भी हैरानी की बात है। कॉम्प्लेक्स में रोजाना 500 से ज्यादा लोग अलग-अलग कार्यालयों में अपना काम करवाने पहुंचते है लेकिन किस फ्लोर पर कौनसा कार्यालय है और यह कौनसा कार्यालय कहां पर है इसके लिए कोई भी सूचनात्मक बोर्ड डिस्पले नहीं किया गया है। हालांकि इसके बारे में डिप्टी कमिश्नर डॉ. हिमांशु अग्रवाल से लेकर आईएएस यूटी सुनील फोगाट को भी कॉम्प्लेक्स के अंदर डिस्पले बोर्ड सीढ़ियों के पास और कॉम्प्लेक्स के अंदर प्रवेश करते हुए लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी यह बोर्ड नहीं लगे।