मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि पुलिस आरक्षक भर्ती के लिए पीएचडी, इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट और डिप्लोमा इंजीनियरिंग पास युवा भी आवेदन कर रहे हैं। कर्मचारी चयन मंडल की अब तक की रिपोर्ट के अनुसार 7,500 पदों के लिए 9.76 लाख आवेदन जमा हो चुके हैं। भर्ती परीक्षा 30 अक्टूबर 2025 से शुरू होगी। पुलिस विभाग में कॉन्स्टेबलों की सीधी भर्ती के लिए जमा कराए जा रहे ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो गई है। 15 सितंबर 2025 से शुरू हुए ऑनलाइन आवेदन जमा कराने का काम पहले 29 सितंबर तक चला। इसके बाद इसे एक हफ्ते तक यानी 6 अक्टूबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया था। एक पद के लिए 13 हजार युवा दावेदार
पुलिस आरक्षक भर्ती में आवेदन करने वाले 42 युवा ऐसे हैं, जिन्होंने पीएचडी कर रखी है, लेकिन बेरोजगार होने के कारण आरक्षक बनने को तैयार हैं। इसी तरह 12 हजार इंजीनियरों ने आरक्षक बनने के लिए आवेदन किया है। आरक्षक के एक पद के लिए 13 हजार युवा दावेदार हैं। ‘युवाओं को आसानी से डिग्री मिल जा रही’
पूर्व परिवहन आयुक्त और रिटायर्ड आईपीएस अफसर शैलेंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि आरक्षक पद के लिए इतनी संख्या में आवेदन आए हैं, उसके पीछे एमपी समेत देश भर में बेरोजगारी मुख्य वजह है। जहां तक बात इंजीनियर और पीएचडी होल्डर्स की है तो इसमें हकीकत यह है कि युवाओं को आसानी से डिग्री मिल जाती है, इसलिए वे पूरी तरह से एक्सपर्ट न होने के कारण आसान नौकरी तलाशते हैं। श्रीवास्तव से भास्कर ने आरक्षक के 7500 पदों के लिए आए 9.50 लाख आवेदनों को लेकर बात की। क्वालिटी ऑफ एजुकेशन सही नहीं होने से यह हालात
शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में इंजीनियरिंग कालेजों की बात करें तो मशरूम की तरह संचालित इन कॉलेजों में सही पढ़ाई नहीं होती है। इसलिए ऐसे युवाओं को विषय वस्तु का ज्ञान नहीं होता है और उन्हें लगता है कि जो नौकरी आसानी से मिल जाए, वही करने लगो। कई बार बोर्ड में बैठ चुका हूं और इंटरव्यू ले चुका हूं, जिसमें सवाल करने पर पाया है कि जो डिग्री है उसकी पढ़ाई की पूरी जानकारी आवेदकों को नहीं होती है। कुल मिलाकर क्वालिटी ऑफ एजुकेशन सही नहीं होने से यह स्थिति बनी है। शैलेंद्र श्रीवास्तव ने आगे कहा कि पुलिस की वर्दी में नौकरी करने में भी रुचि बढ़ी है, इसलिए भी इस नौकरी के लिए आवेदन ज्यादा हुए हैं। बेरोजगारी ज्यादा होने और निजी जॉब नहीं मिलने से भी आवेदन ज्यादा आए हैं। लोगों का माइंडसेट भी है कि सरकारी नौकरी ज्यादा सुरक्षित और आसान होती है, इसलिए भी इसके लिए अधिक युवा आगे आ रहे हैं। आवेदन करने वाले युवा क्या बोले – इंजीनियरिंग की, लेकिन जॉब नहीं मिली
उमरिया जिले के चंदिया निवासी रामकुमार तिवारी का कहना है कि इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी, लेकिन कहीं जॉब नहीं मिल रही थी। इसलिए आरक्षक पद के लिए आवेदन कर दिया है। नौकरी पाने के लिए आवेदन करने के बाद दौड़ लगाना भी शुरू कर दिया है ताकि अगर रिटन परीक्षा में पास हो जाऊं तो फिजिकल टेस्ट में दिक्कत न हो। कोई जॉब समझ नहीं आ रही, इसलिए आवेदन दिया
एमबीए कर रहे ईशान अवस्थी ने कहा कि उन्हें पारिवारिक हालातों के चलते जॉब की जरूरत है। अभी कोई जॉब समझ में नहीं आ रही है, इसलिए परीक्षा आवेदन कर दिया है। पीजी कर चुके तन्मय सिंह परिहार कहते हैं कि मेरे परिवार के कुछ सदस्य पहले से पुलिस विभाग में हैं। इसलिए मैंने भी पुलिस आरक्षक के लिए आवेदन किया है। सब इंस्पेक्टर के पद के लिए भी आवेदन करूंगा। चयन प्रक्रिया ऐसे होगी
पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में चयन के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं उसमें पहले लिखित परीक्षा होगी। इसके बाद शारीरिक फिटनेस परीक्षण किया जाएगा और इसमें सिलेक्ट होने वाले उम्मीदवारों के दस्तावेज सत्यापन की कार्यवाही के बाद नियुक्ति दी जाएगी। परीक्षा हाईस्कूल स्तर की योग्यता पर आधारित होगी। चयनित कॉन्स्टेबलों को 19,500 रुपए से 62,000 रुपए तक मासिक वेतन मिलेगा। एक्सपर्ट बोले- प्राइवेट सेक्टर में भी अच्छी जॉब्स नहीं
आईआईटी जेईई एक्सपर्ट तरुण कुमार ने बताया कि अभी जो लोग PHD कर रहे हैं, उन्हें प्राइवेट सेक्टर में भी अच्छी जॉब्स नहीं मिल पा रही हैं। इसलिए हायर एजुकेटेड लोग दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। सरकारी नौकरी में सैलरी भले कम होती है, लेकिन यह हमें जॉब की सिक्योरिटी देती है। यही सबसे बड़ी वजह है कि हायर एजुकेटेड लोग सरकारी नौकरी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। दूसरा, आईटी फील्ड में भी प्लेसमेंट में गिरावट आई है। वहीं बीते 10 सालों में एक ट्रेंड तेजी से बढ़ा है कि बड़ी तादाद में छात्र बीटेक और साइंस फील्ड में पढ़ाई कर रहे हैं। पहले बीए, बीएससी करने वालों की संख्या ज्यादा होती थी। अब जब हायर एजुकेटेड लोग बढ़ रहे हैं तो वे बेहतर भविष्य की तलाश में आरक्षक भर्ती जैसी परीक्षाओं में बैठ रहे हैं। खबर में पोल पर अपनी राय दे सकते हैं। ये खबर भी पढ़ें… नौकरी के नाम पर 15 करोड़ की वसूली मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले लाखों बेरोजगार युवाओं पर फीस का एक अतिरिक्त भार डाल दिया गया है।पूरी खबर पढ़ें