इंदौर के गीता भवन में महोत्सव का समापन:गीता कर्मों को सदकर्मों में बदलने के लिए हमें देती है प्रेरणा और ऊर्जा- स्वामी रामदयालजी महाराज

गीता का मनन और मंथन करने वाला सत्य की अभिव्यक्ति से दूर नहीं रह सकती। गीता मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है। अहंकार चाहे सत्ता का हो, शक्ति और सौंदर्य का हो या संपत्ति का – मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है। गीता केवल पुस्तक नहीं, ज्ञानालय है, जिसके लेखक स्वयं प्रभु श्रीकृष्ण हैं। आग को कपास में लपेटकर या छुपाकर नहीं रख सकते उसी तरह पाप कर्म भी छुपाए नहीं छुपते। गीता हमें अपने कर्मों को सदकर्मों में बदलने के लिए प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान करती है। अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयालजी महाराज ने शनिवार को गीता भवन में 8 दिसंबर से चल रहे 67वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव के समापन समारोह में अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए उक्त प्रेरक बातें कहीं। इसके पूर्व धर्मसभा में डाकोर के वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदन दास, स्वामी वृंदावन दास (वृंदावन), साध्वी ब्रह्मज्योति सरस्वती (पानीपत), संत रामकृष्णाचार्य महाराज (उज्जैन), स्वामी सर्वेश चैतन्य महाराज (हरिद्वार), डॉ. रामनारायण महाराज (गंगोत्री), महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद (वृंदावन), साध्वी कृष्णानंद (वृंदावन), संत मुमुक्षुराम रामस्नेही (पाली) के पश्चात समापन समारोह में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन एवं मंत्री रामविलास राठी ने सभी संतों एवं विद्वानों तथा गीता जयंती महोत्सव में सहयोग देने वाले सभी दानदाताओं, भक्तों, पुलिस प्रशासन एवं मीडिया के प्रति आभार व्यक्त किया। गीता जैसा दिव्य ग्रंथ ज्ञान का अलख जगाता रहे जगदगुरू स्वमी रामदयाल महाराज ने अपने आशीर्वचन में गीताभवन ट्रस्टी मंडल एवं भक्तों के प्रति मंगल कामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि गीता जैसा दिव्य ग्रंथ हम सबके जीवन में ज्ञान, भक्ति और कर्म का अलख जगाता रहे, यही शुभ भाव होना चाहिए। इसके साथ ही आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के सानिध्य में चल रहे सात दिवसीय विष्णु महायज्ञ की पूर्णाहुति भी संपन्न हुई। महोत्सव में आए हुए अधिकांश संतों को आज विदाई दी गई।जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा कि आज सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाने की जरूरत है। गीता जयंती महोत्सव जैसे आयोजन हमारी नई पीढ़ी को चेतना और ऊर्जा प्रदान करते हैं। ज्ञान, कर्म और भक्ति का जो अदभुत समन्वय भगवान की अमृतवाणी से प्रकट हुआ है वह सचमुच हम सबके लिए कल्याणकारी है, अर्जुन तो केवल निमित्त था। हम सबके जीवन से सभी तरह के मोह नष्ट हों और हम अपने जीवन में श्रद्धा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे, यही हम सबका परम लक्ष्य होना चाहिए। गीता में 18 अध्याय हैं, हालांकि काम तो 12 या 15 अध्याय से भी चल सकता था, लेकिन 18 अध्याय का आशय यह है कि इन दोनों अंकों का योग 9 है, जो पूर्णांक माना जाता है। 9 के पहाड़े में अंत तक 9 ही प्राप्त होते हैं, इसलिए अपने जीवन को परिपूर्ण बनाने के लिए गीता का आश्रय लेना चाहिए। 16 दिसंबर से गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ गीता भवन में चल रहे अ.भा. गीता जयंती महोत्सव के समापन के बाद अब 16 दिसंबर से वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के श्रीमुख से भागवत ज्ञान यज्ञ का सात दिवसीय दिव्य आयोजन होगा। संयोजक गोयल परिवार के प्रेमचंद-कनकलता गोयल एवं विजय-कृष्णा गोयल ने बताया कि स्वामी भास्करानंद प्रतिदिन अपरान्ह 4 से सांय 7 बजे तक भागवत कथामृत की वर्षा करेंगे।कथा के दौरान विभिन्न उत्सव भी मनाए जाएंगे। शुभारंभ 16 दिसंबर को अपरान्ह 3.30 बजे गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा के साथ होगा।

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