इंदौर के गीता भवन में शुभारंभ:भागवत कथा तो एक ही है, लेकिन इसमें हर बार मिलता है कुछ – स्वामी भास्करानंद

विडंबना है कि आज हमारे परिवारों में प्रेम, सदभाव और आपसी विश्वास में निरंतर कमी आ रही है। भागवत जैसे कालजयी धर्मग्रंथ ही इस विषमता को दूर कर सकते है। भागवत कथा तो एक ही है, लेकिन इसमें हर बार कुछ न कुछ नया मिलता है, क्योंकि यह साक्षात भगवान के श्रीमुख से निर्झरित वाणी है। हमारा जीवन कितना लंबा होगा यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि हमारा जीवन कितना दिव्य होना चाहिए। यह दिव्यता हमें भागवत से ही मिलेगी। श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने सोमवार को गीता भवन सत्संग सभागृह में गोयल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ सत्र में उक्त प्रेरक बातें कहीं। कथा शुभारंभ के पहले गीता भवन परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा भी निकाली गई। शोभायात्रा में अनेक साधु-संत भी शामिल थे। व्यासपीठ का पूजन आयोजन समिति की ओर से प्रेमचंद –कनकलता गोयल, विजय-कृष्णा गोयल, आनंद –निधि गोयल, आशीष-नम्रता गोयल ने किया। कथा गीता भवन सत्संग सभागृह में 22 दिसंबर तक प्रतिदिन अपरान्ह 4 से सायं 7 बजे तक होगी। मधुराष्टकम भजन के साथ कथा का शुभारंभ महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने मधुराष्टकम भजन के साथ कथा के शुभारंभ प्रसंग पर भागवत की महत्ता बताते हुए कहा कि हमारी नई पौध धर्म और संस्कृति के साथ धर्म ग्रंथों से भी दूर होती जा रही है। इस हालात में धर्मग्रंथ ही हमारे परिवारों को जोड़कर घर-परिवारों आनंद की पुनर्स्थापना कर सकते हैं। यदि वास्तव में हमें शक्तिशाली औऱ खुशहाल बनना है तो परमात्मा से जुड़ना जरूरी है। आध्यात्मिकता के प्रवेश के बाद ही समृद्धि और खुशहाली आएगी। जब तक मन निर्मल नहीं होगा, तब तक आध्यात्मिकता का प्रवेश संभव नहीं है। जहां संत और सज्जनों की शरणागति नजर आए तो समझ लीजिए कि वहां भागवत हो रही है।उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि आजकल परिवारों में आपस में प्रेम और सदभाव में निरंतर कमी आ रही है। वर्तमान में समृद्धि और खुशहाली का रास्ता आध्यात्म के पथ से होकर मिल सकता है। अध्यात्म वहीं प्रवेश करेगा, जहां मन की निर्मलता और पवित्रता होगी। परमात्मा से जुड़ने के लिए भी अध्यात्म का पथ जरूरी है। हर कोई खुशहाल तो होना चाहता है, लेकिन यह खुशहाली केवल आराधना, पूजा या प्रार्थना करने से ही नहीं मिलेगी। इसके लिए हमें धर्म गंर्थों का आश्रय और भागवत जैसे कालजयी ग्रंथ की शरण में आना होगा। भागवत कथा स्वार्थी के लिए नहीं परमार्थी के लिए है। यह वह सरोवर है, जिसमें जितनी गहरी डुबकी लगाएंगे, उतने ही अनमोल आभूषण जीवन को संवारने के लिए प्राप्त होंगे।

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