लुधियाना| आज लोगों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि लोग क्या कहेंगे। संपाती और जटायू का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सूर्य की ओर बढ़ते हुए जटायू को अपनी सीमा का ज्ञान हुआ कि अगर सूर्य के ज्यादा पास जाएंगे तो जल जाएंगे, इस पर वह लौट गए और उन्हें भगवान की प्राप्ति हुई। वहीं, संपाती इस बात की चिंता करता रहा कि अगर वह लौट गया तो लोग क्या कहेंगे। इसके कारण उसने अपने पंख जला लिए और धरती पर जा गिरा उक्त शब्द भारत धर्म प्रचारक मंडल की ओर से वेद मंदिर में करवाए गए। सत्संग में वेदाचार्य स्वामी निगम बोध तीर्थ महाराज ने भक्तो का मार्गदर्शन करते हुए कहे। उन्होंने आगे कहा कि जब जीव को लगता है कि अब उसके जीवन में सब खत्म हो गया है, तब भी उसके पास संसार के उत्थान का मौका होता है। जैसे संपाती ने सीता माता को खोजते हुए भटक रही वानर सेना को उनका पता बताया। इससे संसार का उत्थान हुआ और रावण के आतंक से लोगों को मुक्ति मिली। इस अवसर पर सत्यम, उत्कर्ष, अजय, पंकज, राम, आदर्श, विष्णु आदि उपस्थित रहे।