इस कोच में सवार होकर तिलैया डैम, जंगलों व बरकाकाना से रांची के बीच मनोरम घाटी का आंनद उठा पाते थे यात्री

प्रकाश मिश्र 13 सितंबर 2023 को न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन से न्यू गिरिडीह-हटिया इंटरसिटी ट्रेन में स्पेशल कोच विस्टाडोम के साथ परिचालन शुरू हुआ था, लेकिन अब दो वर्ष बीतने के बाद उस कोच को ट्रेन से हटा दिया गया। कोच के हट जाने से अब इस क्षेत्र के लोगों को पर्वतीय क्षेत्रों के मनोरम दृश्यों का आनंद नहीं मिल सकेगा। रेलवे की ओर से इसे हटाने की अधिसूचना बीते 5 दिसंबर को निकाली गई और उसके बाद 7 दिसंबर से इस कोच को इंटरसिटी से हटा दिया गया। हालांकि यह ट्रेन अभी आसनसोल से हटिया न्यू गिरिडीह के रास्ते चल रही है। ट्रेन में इस कोच का किराया स्लीपर और एसी कोच से अधिक होने की वजह से इस कोच के लिए पैसेंजर नहीं मिल रहे थे। रेलवे ने इस कोच को लगातार झारखंड में पहली ट्रेन का परिचालन शुरू किया था, ताकि आसनसोल से ट्रेन खुलने के बाद न्यू गिरिडीह से लोग इस कोच में सवार होकर कोडरमा डैम, कोडरमा से हजारीबाग के बीच जंगलों का आनंद लेने के साथ बरकाकाना से रांची के बीच मनोरम घाटी का आंनद उठा सकें। शुरुआती दिनों में इस कोच के लिए ठीक-ठाक पैसेंजर मिल जा रहे थे, लेकिन बीते एक वर्ष से इस कोच के लिए पैसेंजरों की संख्या काफी कम हो गई थी। जिस वजह से रेलवे ने ट्रेन से इस कोच का हटाने का निर्णय लिया है । इस तरह राज्य की पहली विस्टाडोम वाली कोच की सेवा खत्म हो गई। 40 सीटों वाला था विस्टाडोम: कोच में विस्टाडोम कोच में 40 सीटें थी। साथ ही कई तरह की आधुनिक सुविधाएं थी। कोच में पारदर्शी छत था, तो दोनों ओर आराम से चेयर मुड़ जाती थी। जिस वजह से लोग चेयर को आराम से किसी ओर से भी मोड़ कर बैठते थे। आराम से प्राकृतिक नजारों का आनंद उठाते थे। कोच पूरी तरह से साफ होती थी। जिसमें यात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती थी। विस्टाडोम कोच में गिरिडीह से रांची तक का किराया 1260 रुपए था, तो आसनसोल से रांची तक का किराया 1500 रुपए के आस-पास था। ऐसे में एसी थ्री और टू टायर में इससे कम किराया में लोग आराम से सफर कर लेते थे। वहीं स्लीपर क्लास मंे 130 रुपए किराया था। ऐसे में विस्टाडोम कोच में किराया अधिक होने की वजह से लोगों की रुचि कम हो गई थी। शुरुआती दिनों मंे लगा था कि विस्टाडोम में किराया कम होगा, लेकिन लोग धीरे-धीरे इस कोच से कटते चले गए। कई बार तो मात्र एक-दो पैसेंजर ही इस कोच मंे रहते थे। जिस वजह से रेलवे की ओर से बंद करने का फैसला लिया गया।

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