भास्कर न्यूज | बलौदाबाजार कुर्बानी और बलिदान का प्रतीक इद-उल-अजहा को नगर में हर्षोल्लास से मनाया गया। शहर के सदर रोड स्थित जामा मस्जिद में सुबह 6.30 बजे तथा रिसदा रोड स्थित ईदगाह में सुबह 8.00 बजे इद की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद इमाम जनाब शौकत रजा ने दुनिया में अमन चैन और भाईचारे की दुआ मांगी। हजरत इब्राहीम अलैही अस्सलाम से अल्लाह ने परीक्षा लेने कुर्बानी का हुक्म किया था। इस पर हजरत इब्रहीम अलैही अस्सलाम ने अपने बेटे इस्माइल अलैही अस्सलाम को खुदा की राह में कुर्बान करने उस परीक्षा में से गुजरे और कामयाब हुए। बेटे की जगह खुदा ने उनके हाथ में दुम्मा यानी अरावी बकरा दे दिया और हजरत इस्माइल अलैही अस्सलाम को अलग कर दिया। इसी कुर्बानी की याद में इद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाता हैं। बकरीद के एक दिन पहले मक्का मदीने में हाजियों का हज होता है जो लोग हज करने सउदी अरब गये है आज ही उनका हज पूरा हुआ। हज के दौरान एक अरकान कुर्बानी का भी है। बिना कुर्बानी के हज कुबूल नहीं होता। इद-उल-अजहा पर ईदगाह सहित शहर के जामा मस्जिद में भी विशेष नमाज अदा की गईं। सुन्नी मुस्लिम समाज के अध्यक्ष अशरफ चौहान ने व्यवस्थाओं पर प्रमुखता से ध्यान दिया था। इस दौरान समाज के सभी लोगो ने एक-दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी।