ई-कॉमर्स कैश ऑन डिलीवरी पर एक्स्ट्रा चार्ज ले रहे:ऑर्डर के फाइनल स्टेज में छिपे शुल्क भी जोड़े जा रहे; सरकार बोली ये गलत, जांच शुरू

सरकार ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कैश ऑन डिलीवरी ऑर्डर्स पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाए जाने की औपचारिक जांच शुरू कर दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा सीओडी पर अतिरिक्त शुल्क लगाना एक तरह का ‘डार्क पैटर्न’ है। इस साल प्राप्त शिकायतों के बाद विभाग ने जांच तेज कर दी है।’ जोशी के मुताबिक, सीओडी पर ज्यादा पैसे लेना ड्रिप प्राइसिंग का उदाहरण है। यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 13 डार्क पैटर्न्स में से एक है। जुलाई में जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ सोशल मीडिया पर शिकायतें सामने आईं, जहां चेकआउट पर ‘कैश हैंडलिंग फीस’ जोड़ी गई। मंत्री ने कहा, ‘प्लेटफॉर्म्स की गहन जांच होगी। ग्राहकों के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई पक्की की जाएगी, ताकि ई-कॉमर्स में पारदर्शिता बनी रहे। इन डार्क पैटर्न्स का ज्यादा ट्रेंड ये तरीके अपनाना नियमों का उल्लंघन है। इसमें सीओडी पर एक्स्ट्रा चार्ज भी शामिल है। जांच में दोषी पाए जाने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना और अन्य कार्रवाई की जा सकती है। ऑनलाइन सामान मंगाने से जुड़े कुछ सवालों के जवाब… सवाल 1: ऑनलाइन खरीदारी में डिफेक्टिव या अलग प्रोडक्ट मिले तो क्या करें? जवाब- ऐसी स्थिति में ग्राहक को सबसे पहले सबूत के तौर पर प्रोडक्ट की फोटो और वीडियो बनानी चाहिए। फिर शॉपिंग एप या वेबसाइट पर जाकर रिटर्न-रिप्लेसमेंट के लिए रिक्वेस्ट दर्ज करानी चाहिए। ज्यादातर कंपनियों के पास 7 से 10 दिन की रिटर्न पॉलिसी होती है। सवाल 2: क्या ग्राहक को बिना कारण बताए भी सामान लौटाने का अधिकार है? जवाब- यह पूरी तरह से उस ई-कॉमर्स वेबसाइट की रिटर्न पॉलिसी पर निर्भर करता है। कुछ वेबसाइट्स पर ‘नो-क्वेश्चन रिटर्न’ की सुविधा होती है, जहां ग्राहक बिना कारण बताए भी तय समय ( आमतौर पर 7 या 10 दिन) के भीतर सामान लौटा सकता है। हालांकि कई बार अंडरगार्मेंट्स, पर्सनल केयर आइटम्स या कस्टमाइज्ड ऑर्डर्स इसमें शामिल नहीं होते हैं। इसलिए खरीदारी से पहले वेबसाइट की रिटर्न और रिफंड पॉलिसी को ध्यान से पढ़ना जरूरी है। सवाल 3: कंपनी रिफंड देने में आनाकानी या देरी करे तो क्या करना चाहिए? जवाब- ग्राहक को सबसे पहले अपने सारे रिकॉर्ड्स संभाल कर रखने चाहिए। जैसे ऑर्डर की रसीद, कस्टमर केयर के कॉल या चैट के स्क्रीनशॉट, ईमेल का प्रूफ आदि। अगर कंपनी बार-बार रिफंड टाल रही है या जवाब नहीं दे रही है तो इसके बाद इन कदमों को उठाएं- सवाल 4: ऑनलाइन शॉपिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जवाब- ऑनलाइन शॉपिंग करते इन बातों का विषेश ध्यान रखना जरूरी है… सवाल 5: क्या ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह एक जैसे उपभोक्ता अधिकार हैं? जवाब- हां, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से की गई खरीदारी में उपभोक्ता को एक जैसे कानूनी अधिकार प्राप्त हैं। कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को भी स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है। कंपनियों को पारदर्शिता, क्वालिटी, सुरक्षित लेन-देन और रिटर्न पॉलिसी से जुड़े नियमों का पालन करना होता है। —————– ये खबर भी पढ़ें… क्विक-कॉमर्स का खेल; ₹57 का सामान ₹200 में आ रहा: जेप्टो-ब्लिंकिट जैसी क्विक डिलीवरी कंपनियां बारिश और छोटे ऑर्डर के नाम पर चार्ज ले रहीं मिनटों में किराना पहुंचाने वाली क्विक कॉमर्स कंपनियां चुपचाप ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही हैं। इसके लिए डिलीवरी के अलावा हैंडलिंग चार्ज, मेंबरशिप फीस, रेन फीस, प्रोसेसिंग फीस, प्लेटफॉर्म फीस और व्यस्त समय में सर्ज चार्ज भी वसूले जा रहे हैं। यह सब स्टैंडर्ड डिलीवरी और प्लेटफॉर्म चार्ज से अलग है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

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