उत्तराखंड में सर्दियों का मौसम माल्टे के बिना अधूरा माना जाता है। पहाड़ों के लगभग हर घर में इस फल का पेड़ मिल ही जाता हैं, लेकिन सालों से यह फल उत्पादन के बावजूद किसानों को उचित दाम नहीं दिला पा रहा था। नतीजा यह था कि माल्टे ज्यादा होने पर या तो ये रिश्तेदारों को बांट दिए जाते थे, या फिर ये पेड़ों पर ही सड़ जाते हैं। लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव होने लगा है, लोग माल्टा बेच एक्स्ट्रा इनकम कर रहे हैं। एक सांस्कृतिक संस्था ‘धाद’ ने माल्टा के लिए एमएसपी के बजाय ‘जनसमर्थन मूल्य’ का मॉडल अपनाया है। इसके तहत किसानों से सीधे माल्टा खरीद कर शहरों तक बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। धाद पहाड़ में किसानों से 25 से 30 रुपए प्रति किलो और देहरादून तक माल्टा पहुंचाने पर 40 रुपए प्रति किलो तक की दर से खरीद कर रही है। इसके बाद इसे देहरादून, ऋषिकेश और कोटद्वार जैसे शहरों में 60 रुपए प्रति किलो के दाम पर बेचा जा रहा है। इस सीजन में 6 टन माल्टा बिक चुका, प्रयोग रहा सफल धाद के सचिव तन्मय ममगाईं के अनुसार संस्था लंबे समय से पहाड़ के गांवों की आर्थिकी को मजबूत करने के मॉडल पर काम कर रही है। इसी क्रम में पिछले साल सहकारी संस्था के जरिए माल्टा खरीदने का प्रयोग शुरू किया गया था। पिछले साल किसानों से 30 रुपए प्रति किलो की दर से 15 क्विंटल माल्टा खरीदा गया और देहरादून में 50 रुपए प्रति किलो के भाव पर बेचा गया। प्रयोग सफल रहने के बाद इस साल इसे बड़े स्तर पर लागू किया गया। इस सीजन में अब तक करीब 6 टन माल्टा की बिक्री हो चुकी है। इस साल ए ग्रेड माल्टा 60 रुपए और बी ग्रे ड माल्टा 50 रुपए प्रति किलो की दर से बाजार में उपलब्ध कराया जा रहा है। हर गांव में माल्टा, लेकिन अब तक नहीं था बाजार उत्तराखंड उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में नींबू प्रजाति के फलों-माल्टा, नींबू और गलगल-का औसत वार्षिक उत्पादन करीब 36,486 मीट्रिक टन है। इसमें माल्टा लगभग हर गांव में पाया जाता है। कई गांवों में पलायन के चलते घर खंडहर हो चुके हैं, लेकिन चौक-सग्वाड़ी में लगे माल्टा के पेड़ आज भी फलों से लदे रहते हैं। अब तक बिक्री की ठोस व्यवस्था न होने के कारण यह फल किसानों के लिए आमदनी का साधन नहीं बन पाया था। फूड फेस्टिवल, मोबाइल वैन और होम डिलीवरी से बढ़ी मांग धाद माल्टा माह अभियान के मुख्य संयोजक हरीश डोबरियाल के अनुसार देहरादून में माल्टा को लोकप्रिय बनाने के लिए मोबाइल वैन, होम डिलीवरी और स्टूडेंट स्टाल जैसे प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज 14 दिसंबर को देहरादून के मालदेवता स्थित स्मृतिवन में माल्टा आधारित ‘कल्यो फूड फेस्टिवल’ का आयोजन किया जा रहा है। संयोजक देवेंद्र नेगी के मुताबिक कई किसानों को पहली बार उनकी फसल का सही मूल्य मिला है। ‘धाद’ के बाद सक्रिय हुआ उद्यान विभाग गढ़वाली भाषा में ‘धाद’ का अर्थ जोर से आवाज लगाना होता है। माल्टा को लेकर उठी इस सामूहिक ‘धाद’ का असर यह हुआ कि अब उद्यान विभाग भी सक्रिय हो गया है। उत्तराखंड हॉर्टिकल्चर बोर्ड के सीईओ नरेंद्र यादव के अनुसार विभाग हर जिले में एक दिन का माल्टा फेस्टिवल आयोजित करेगा। इसके अलावा देहरादून में महीने के अंत तक दो दिवसीय माल्टा फेस्टिवल की तैयारी है। साथ ही विभाग ने पहली बार सी ग्रेड माल्टा के लिए 10 रुपए प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। अधिकारियों के मुताबिक ए और बी ग्रेड माल्टा बाजार में बिक जाता है, इसलिए समर्थन मूल्य सिर्फ सी ग्रेड के लिए तय किया गया है।


