उर्दू में हनुमान चालीसा पढ़ते हैं सिंधी शरणार्थी:बोले- पाकिस्तान में डर, भारत में अपनापन… सांसद लालवानी ने दिया नागरिकता का आश्वासन

“हम उर्दू में हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, क्योंकि हिंदी ठीक से नहीं आती… लेकिन इससे मन को सुकून और शक्ति मिलती है।”यह कहना है उन सिंधी शरणार्थियों का, जो पाकिस्तान छोड़कर शांति और सुरक्षा की तलाश में भारत आए हैं। मध्यप्रदेश में ऐसे करीब 3 हजार परिवार हैं जो शॉर्ट टर्म वीजा पर भारत आए और अब वर्षों से नागरिकता की आस लगाए हुए हैं। इनमें से अधिकतर परिवार भोपाल और इंदौर में बसे हैं। इसी बीच, इंदौर से सांसद शंकर लालवानी ने एक वीडियो संदेश जारी कर सिंधी समुदाय को बड़ा आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से सिंधी हिंदुओं को किसी भी हाल में वापस नहीं भेजा जाएगा। खास बात यह रही कि सांसद ने यह वीडियो सिंधी भाषा में जारी किया, ताकि बात सीधे उनकी मातृभाषा में समुदाय तक पहुंच सके। लालवानी ने कहा- इन शरणार्थियों की सुरक्षा और स्थायी भविष्य केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि नागरिकता प्रक्रिया को सरल बनाकर इन्हें जल्द भारतीय नागरिकता दिलाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। सिंधी समुदाय के लिए राहत भरा आश्वासन सांसद का यह बयान ऐसे समय आया है, जब कई सिंधी शरणार्थी परिवार अपने भविष्य को लेकर असमंजस में थे। उनका यह आश्वासन सिंधी समुदाय के लिए राहत भरा माना जा रहा है। सांसद ने बताया कि वे सिंधी समुदाय के अधिकारों की पैरवी कर रहे हैं। सिंधी बोले- पाकिस्तान में डर, भारत में अपनापन इंदौर में रह रहे कई सिंधी शरणार्थियों ने बताया कि पाकिस्तान में आए दिन लूटपाट और भय का माहौल रहता था। वहीं भारत में उन्हें शांति और सुरक्षा महसूस होती है। चूंकि इनमें से अधिकांश को हिंदी बोलने में कठिनाई होती है, इसलिए वे उर्दू में हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। एक शरणार्थी ने बताया कि “उर्दू में हनुमान चालीसा पढ़ने से मन को सुकून और ऊर्जा मिलती है।” धीरे-धीरे वे हिंदी भी सीख रहे हैं और भारतीय समाज में घुलने-मिलने की कोशिश कर रहे हैं। 3 हजार सिंधी परिवार, पाकिस्तान से शॉर्ट टर्म वीजा पर मध्यप्रदेश में करीब 3 हजार सिंधी परिवार हैं जो पाकिस्तान से शॉर्ट टर्म वीजा लेकर भारत आए और अब यहीं बस गए हैं। इनमें भोपाल और इंदौर में सबसे ज्यादा संख्या है। ये परिवार पिछले सात से पच्चीस वर्षों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर रहे हैं। पूज्य सिंधी पंचायत के अनुसार, इन मामलों में देरी के बावजूद, केंद्र सरकार ने भोपाल और इंदौर के कलेक्टरों को नागरिकता देने का अधिकार दे रखा है। विशेष बात यह है कि देश में बसे पाकिस्तानी नागरिकों में से लगभग 50 फीसदी सिर्फ इंदौर में रह रहे हैं। ये सभी मुख्यतः पाकिस्तान के सिंध प्रांत, खासकर कराची से लगे इलाकों से आए हैं। इंदौर में नागरिकता के लिए बना विशेष डेस्क नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के बाद इंदौर प्रशासन ने इसके लिए विशेष डेस्क बनाया है, जहां नागरिकता संबंधी आवेदनों की जांच की जाती है। प्रक्रिया के दौरान यह पूछा जाता है कि क्या वे अब पाकिस्तान वापस लौटना चाहते हैं या नहीं। साथ ही, उन्हें भारत के संविधान को मानने की शपथ दिलाई जाती है, जिसके बाद नागरिकता दी जाती है।

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