एकादशमुखी हनुमान की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न
अमलाई। नगर परिषद बरगवा अमलाई अंतर्गत वार्ड नंबर 5 में स्थित सिद्ध बाबा डोंगरिया में एकादशमुखी हनुमान जी का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरे भव्यता के साथ भंडारे के प्रसाद वितरण के बाद संपन्न हुआ।कार्यक्रम का प्रारंभ 12 अप्रैल को विशाल कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ जहां हनुमान जी की प्रतिमा को अमलाई इंदिरा नगर से कलश यात्रा पूरे नगर में भ्रमण करते करते हुए,भगवान के जयकारे से पूरा नगर गुंजायमान होते हुए,भक्तों के नाच गाने के साथ डोंगरिया पहुंचाई गई,इसके बाद अगले तीनो दिन पंडितों के द्वारा वैदिक मंत्रो का उच्चारण करते हुए रीति रिवाजों के साथ लगातार पूजा पाठ विधि विधान से संपन्न हुआ,तीसरे दिन मूर्ति को तय स्थान पर विराजमान करते हुए उसमे मंत्रो के द्वारा प्राणो का संचार किया गया,इसके बाद हवन और विशाल भंडारे का आयोजन रखा गया और इसी के साथ प्राण प्रतिष्ठा का यह कार्यक्रम पूर्ण हुआ,ज्ञात हो की यह मंदिर पूरे मध्यप्रदेश मे विरली ही है जिसमे भगवान हनुमान के ग्यारह मुख है,इस पूरे कार्यक्रम में आसपास व दूर दराज के सभी भक्त विशाल संख्या में उपस्थित हुए।
एकादशमुखी हनुमान की कथा
ग्यारह मुखी हनुमान, जिन्हें एकादशमुखी हनुमान भी कहा जाता है, हनुमानजी का एक दुर्लभ और शक्तिशाली रूप है, जिसमें 11 मुख और 22 भुजाएं होती हैं. इस रूप में, हनुमान जी भगवान शिव के 11 रुद्र अवतारों का प्रतीक हैं और उनकी पूजा से भक्तों को एक साथ कई आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
एकादशमुखी हनुमान की कथा
प्राचीन काल में, कालकारमुख नामक एक शक्तिशाली राक्षस ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करके अमरता का वरदान प्राप्त किया था. कालकारमुख ने कहा था कि जो भी उसकी जन्म तिथि पर 11 मुख धारण करे, वही उसे मार सकता है. देवताओं की रक्षा के लिए, हनुमानजी ने 11 मुखी रूप धारण किया और कालकारमुख का संहार किया। हनुमान जी के एकादशमुखी रूप की पूजा से भक्तों को बल, साहस और पराक्रम प्राप्त होता है। हनुमानजी के गुरु सूर्य देव अपनी ज्ञान और बुद्धि के लिए जाने जाते हैं, इसलिए हनुमानजी की पूजा से ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है। हनुमानजी के प्रत्येक मुख का एक अलग व्यक्तित्व और शक्तियां हैं, इसलिए उनकी पूजा से भक्त विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। एकादशमुखी हनुमान की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एकादशमुखी हनुमान मंदिर भारत में कई स्थानों पर एकादशमुखी हनुमान जी के मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख मंदिर हैं। उत्तराखंड के देहरादून में एकादशमुखी हनुमान मंदिर, राजस्थान के भीलवाड़ा में एकादशमुखी हनुमान मंदिर, बिहार के सासाराम में एकादशमुखी हनुमान मंदिर, एकादश मुखी हनुमान जी के सभी मुखो का है। ग्यारह मुखी हनुमान, जिन्हें एकादशमुखी हनुमान भी कहा जाता है, हनुमान जी का एक रूप है जिसमें उनके 11 मुख होते हैं। ये मुख अलग-अलग शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और हनुमान जी के पराक्रम का प्रतीक हैं।
मुख्य विशेषताएँ
11 मुख हनुमान जी के विभिन्न शक्तियों और रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे कि श्री राम, शिव, अग्नि देव, नागदेव, गणेश, गरुड़, हयग्रीव, बराह और नरसिंह. यह रूप हनुमान जी के बल, साहस और असीमित ऊर्जा का प्रतीक है, जो संकटों को दूर करने और भक्तों को सुख प्रदान करने में सहायक है। मान्यता है कि ग्यारह मुखी हनुमान जी के दर्शन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने कालकारमुख नामक राक्षस का वध करने के लिए ग्यारह मुखी रूप धारण किया था। प्रत्येक मुख अलग-अलग शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे कि ज्ञान, बुद्धि, साहस, शक्ति, और कृपा। ग्यारह मुखी हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों को सभी देवी-देवताओं की पूजा का फल मिलता है। निष्कर्ष ग्यारह मुखी हनुमान जी का रूप हनुमान जी के पराक्रम, शक्ति और असीमित ऊर्जा का प्रतीक है। उनके प्रत्येक मुख में अलग-अलग शक्तियों का निवास है जो भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं।