कांग्रेस सरकार का 2161 करोड़ का शराब घोटाला फूटा था, अब बोतलों में नकली होलोग्राम लगाकर मप्र की शराब बेचने वाला नया खेल सामने आया है। शराब कारोबारी, कोचिया और ठेकेदार सिंडीकेट बनाकर मप्र से शराब तस्करी कर उसमें पानी मिलाते हैं। फिर उसमें खुद का बनाया नकली होलोग्राम व स्टीकर लगाते हैं। उसे ढाबों-मोहल्लों में बेचा जा रहा है। इस मिलावटी शराब की एक बोतल(पौव्वा) से तस्करों को सीधे 25-30 रुपए का फायदा हो रहा है। भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि कबीर नगर का पुराना शराब ठेकेदार रंजीत सिंह रायपुर में ये सिंडीकेट चला रहा था। अभी फरार है। छत्तीसगढ़ से लगे हैं एमपी के 7 जिले, यहीं से तस्करी 100 रु. की शराब बेच रहे 130 में भास्कर ने शराब के तस्कर से संपर्क किया। उसने नाम नहीं छापने की शर्त में बताया कि मध्यप्रदेश में अभी शराब के कारोबार में ठेकेदारी सिस्टम है। इसलिए ये सिंडीकेट मध्यप्रदेश के शराब ठेकेदारों से अनलिमिटेड शराब की खरीदारी कर रहा है। वहां के ठेकेदार दो रुपए मुनाफे में यहां के तस्करों को शराब बेच रहे हैं। एमपी से 105 रुपए में गोवा की शराब आ रही है। उसे यहां की बोतल में बदलकर नकली स्टीकर और ढक्कन लगाने के बाद 130 रुपए में बाजार में बेचा जा रहा है। यही नहीं 10 बोतल में पानी मिलाकर 12-15 बोतल बना दी जा रही है। गोवा ही नहीं इस स्तर की हर ब्रांड मप्र से लाए जा रहे हैं। आबकारी के हाथों भी नहीं चढ़ा रंजीत बीरगांव के प्रिटिंग प्रेस में रंजीत सिंह नकली होलोग्राम व स्टीकर छपवाता है। उसका लिंक नागपुर में भी है। पव्वे की बोतलों के लिए वह नागपुर से ढक्कन मंगवाता है। फिर एमपी की शराब को यहां बोतलों में भरकर बेच रहा है। ये सिंडीकेट 2 साल से चल रहा है। वह रायपुर के अलावा बस्तर और बिलासपुर संभाग में शराब की तस्करी करता है। वह बीरगांव की प्रिंटिंग प्रेस से दो लाख से ज्यादा नकली होलोग्राम छपवा चुका है। पुलिस को प्रिंटिंग प्रेस से 40 हजार नकली होलोग्राम मिले हैं। पुलिस और आबकारी इसे 15 दिन से खोज रहे हैं। रिपोर्टर जब कबीर नगर स्थित घर पर पहुंचा तो वहां ताला लगा मिला। जिला अधिकारी करेंगे जांच राज्य के कई जिलों में रैकेट का नेटवर्क फैलने का इनपुट है। ये रैकेट नकली होलोग्राम लगाकर मिलावट वाली शराब बेच रहा है। जिला अधिकारियों को जांच करने कहा है। कुछ जगहों पर पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है।
-श्याम धावड़े, आयुक्त आबकारी