यूजी फर्स्ट ईयर में पिछले साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानी एनईपी लागू हुई। इसका असर रिजल्ट पर दिखने लगा है। बीकॉम में इस बार 61 प्रतिशत छात्र पास हुए हैं। पिछले वर्षों की तुलना में इस बार का रिजल्ट सबसे अच्छा रहा है। इससे पहले, बीसीए में भी 60 प्रतिशत से अधिक छात्र पास हुए थे। इसे लेकर इस बार बीए और बीएससी फर्स्ट सेमेस्टर के नतीजे भी बेहतर होने की उम्मीद है।
पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों में ऑटोनोमस को छोड़कर, यूजी की पढ़ाई पहले एनुअल पैटर्न पर थी। एनईपी लागू होने से यह सेमेस्टर आधारित हो गई। इसके तहत फर्स्ट ईयर का न सिर्फ कोर्स बदला, बल्कि इंटर्नल एग्जाम और प्रश्न पूछने के तरीके में भी बदलाव हुआ। कोर्स को 70 व 30 के अनुपात में बांटा गया। 70 अंक की परीक्षा विवि से निर्धारित परीक्षा केंद्र में हुई। जबकि 30 अंक इंटर्नल असेसमेंट के लिए थे, इसके लिए कॉलेजों ने अपने स्तर पर असाइनमेंट देकर व अन्य तरीके से टेस्ट लिया। जानकारों का का कहना है कि इंटर्नल एग्जाम में ज्यादातर छात्रों को 22 से अधिक नंबर मिले। इससे पास होने से निर्धारित अंक जुटाना छात्रों के लिए थोड़ा आसान रहा। इसी तरह प्रश्न पूछने का तरीका भी बदला। पहले यूजी फर्स्ट ईयर की परीक्षा में 20-20 अंक के पांच बड़े उत्तर वाले प्रश्न पूछे जाते थे। इस बार वस्तुनिष्ठ व छोटे उत्तर वाले भी सवाल भी आए। यह भी छात्रों के लिहाज से अच्छा रहा। 8827 छात्रों ने दी थी बीकॉम की परीक्षा
बीकॉम फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा में कुल 8827 परीक्षार्थी थे। 5378 पास हुए। 2976 को एटीकेटी मिला। जबकि 473 छात्रों के नतीजे रोके गए। इस तरह से रिजल्ट 60.93 प्रतिशत रहा। पिछले दिनों बीसीए फर्स्ट सेमेस्टर के परिणाम जारी हुए थे। इसमें 884 परीक्षार्थी थे। इनमें से 555 पास हुए हैं। 329 को एटीकेटी मिला था। इसी तरह 27 मार्च को एमकॉम प्रथम वर्ष के नतीजे भी जारी हुए हैं। इस परीक्षा में 956 परीक्षार्थी थे। 529 पास हुए। 425 को एटीकेटी और दो छात्रों के नतीजे रोके गए। इस तरह से एमकॉम का रिजल्ट 53.33 प्रतिशत रहा। 50 प्रतिशत छात्र भी नहीं होते थे पास
बीकॉम फर्स्ट ईयर के रिजल्ट को देखा जाए तो 2015 से लेकर 2024 तक, कोरोना काल तीन साल को छोड़कर बीकॉम का रिजल्ट कभी 50 फीसदी तक नहीं पहुंचा। 2024 में सबसे अधिक 49.15 प्रतिशत छात्र पास हुए थे। उससे पहले 2023 में 45 प्रतिशत, 2019 में 40%, 2018 में 36%, 2017 में 34.74%, 2016 में 43.28% और 2015 में 41.60% छात्र पास हुए थे। कोरोना काल में 2020 से 2022 की परीक्षा छात्रों ने घर से दी थी। तब ज्यादातर पर हुए थे।