ऑनलाइन गेमिंग एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज (सोमवार, 8 सितंबर) सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को लेकर बनाए गए प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को एक साथ सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुआई वाली बेंच के सामने इस मामले का जिक्र हुआ था। कोर्ट ने इसे 8 सितंबर को सुनवाई के लिए लिस्टेड करने का आदेश दिया था। केंद्र का कहना है कि अगर अलग-अलग हाई कोर्ट में सुनवाई हुई तो फैसलों में टकराव हो सकता है, जिससे कानूनी स्थिति मुश्किल हो जाएगी। यह कानून रियल-मनी गेम्स (पैसे दांव पर लगाकर खेले जाने वाले गेम्स) पर पूरी तरह पाबंदी लगाता है। जिसके खिलाफ कर्नाटक, दिल्ली और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इन याचिकाओं को एक साथ सुप्रीम कोर्ट या किसी एक हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए, ताकि अलग-अलग फैसले आने से बचा जा सके। ऑनलाइन गेमिंग कानून को हाई कोर्ट में चुनौती इस कानून के खिलाफ तीन कंपनियों ने अलग-अलग हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं: 1. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट: क्लबबूम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट ने इस कानून को MP हाई कोर्ट में चुनौती दी है। यह कंपनी ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म बूम11 चलाती है।
2. कर्नाटक हाई कोर्ट: हेड डिजिटल वर्क्स ने कर्नाटक हाई कोर्ट में इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की है। कोर्ट ने 8 सितंबर को इसकी अंतरिम राहत की मांग पर सुनवाई तय की है। हेड डिजिटल वर्क्स ऑनलाइन रम्मी प्लेटफॉर्म A23 रम्मी चलाती है।
3. दिल्ली हाई कोर्ट: ऑनलाइन कैरम प्लेटफॉर्म बघीरा कैरम ने भी इस कानून के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा इससे पहले 30 अगस्त को हुई सुनवाई में कर्नाटक हाईकोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 को चुनौती देने वाली ऑनलाइन गेमिंग कंपनी A23 की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस याचिका में भारत में ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूरी तरह बैन लगाने वाले नए कानून को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यह कानून अचानक हजारों लोगों की रोजी-रोटी छीन लेगा और इंडस्ट्री को ‘रातोंरात बंद’ कर देगा। अगर इंडस्ट्री अचानक बंद हुई तो गंभीर असर होगा मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बी.एम. श्याम प्रसाद ने केंद्र को नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत की मांग पर अपने पॉइंट्स पेश करने की अनुमति दी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर वकील ने दलील दी थी कि यह अधिनियम राष्ट्रपति की मंजूरी के बावजूद अभी अधिसूचित नहीं हुआ है। याचिका 28 अगस्त को जस्टिस बी एम श्याम प्रसाद की बेंच के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। वकील ने कहा था कि अगर यह इंडस्ट्री अचानक बंद हो गई तो गंभीर असर होगा। सरकार या तो अधिसूचना रोके या फिर कम से कम एक हफ्ते का नोटिस दे ताकि हम अदालत आ सकें। वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की ओर से कहा था कि एक बार संसद कानून पास कर देती है और राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाती है तो अधिसूचना संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें अदालत दखल नहीं दे सकती। 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी 22 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। अब ये कानून बन गया है। 21 अगस्त को राज्यसभा ने और उससे एक दिन पहले लोकसभा ने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 को मंजूरी दी थी। इस बिल को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया था। A23 बोला- नया कानून मौलिक अधिकार का हनन A23 की पैरेंट कंपनी हेड डिजिटल वर्क्स का कहना है कि ये कानून उन गेम्स को भी बैन करता है, जो स्किल-बेस्ड हैं, जैसे रमी और पोकर। भारत में पिछले 70 सालों से सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट्स ने स्किल-बेस्ड गेम्स को गैंबलिंग से अलग माना है। A23 का तर्क है कि: इंडस्ट्री पर क्या असर पड़ेगा? इस कानून के आने के बाद ड्रीम11, गेम्स24×7, विंजो, गेम्सक्राफ्ट, और माय11सर्कल जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स ने अपने मनी-बेस्ड गेम्स बंद कर दिए हैं। उदाहरण के लिए: ऑनलाइन गेमिंग कानून में 4 सख्त नियम इस कानून में कहा गया है कि चाहे ये गेम्स स्किल बेस्ड हों या चांस बेस्ड दोनों पर रोक है। मनी बेस्ड गेमिंग से आर्थिक नुकसान हो रहा सरकार का कहना है कि मनी बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग की वजह से लोगों को मानसिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। कुछ लोग गेमिंग की लत में इतना डूब गए कि अपनी जिंदगी की बचत तक हार गए और कुछ मामलों में तो आत्महत्या की खबरें भी सामने आईं। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर भी चिंताएं हैं। सरकार इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाना चाहती है। मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा, “ऑनलाइन मनी गेम्स से समाज में एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है। इनसे नशा बढ़ रहा है, परिवारों की बचत खत्म हो रही है। अनुमान है कि करीब 45 करोड़ लोग इससे प्रभावित हैं और मिडिल-क्लास परिवारों के 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।” उन्होंने यह भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है। ऑनलाइन गेमिंग मार्केट में 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से थी भारत में ऑनलाइन गेमिंग मार्केट अभी करीब 32,000 करोड़ रुपए का है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी फॉर्मेट से आता था। 2029 तक इसके करीब 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन अब इन्होंने रियल मनी गेम्स बंद कर दिए हैं। इंडस्ट्री के लोग कह रहे हैं कि सरकार के इस कदम से 2 लाख नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार को हर साल करीब 20 हजार रुपए के टैक्स का नुकसान भी हो सकता है।


