ओवरफ्लो पानी से नहर से सिंचाई व दूसरे बांध को भरा जा सकेगा

भास्कर न्यूज| महासमुंद/ बागबाहरा सिकासेर नहर परियोजना के डीपीआर बनाने का काम अंतिम चरण में है। मैन्युअल सर्वे के बाद अब लीडार तकनीक ड्रोन से सर्वे शुरू हो गया है। हाई तकनीकी से लैस ड्रोन के जरिए महासमुंद ब्लॉक के ग्राम बरेकल मुंनगासेर के पास स्थित नहर पॉइंट से सर्वे शुरू किया गया। प्रदेश का यह पहला लिंक परियोजना होगा, जिसमें जिले के सबसे बड़े कोडार बांध को भरा जा सकेगा। इससे बड़ी संख्या में किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। सिकासेर जलाशय के अतिरिक्त पानी और उसके पैरी नदी में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को नहर के माध्यम से महासमुंद के कोडार बांध से जोड़ा जाएगा। बांध बनने पर 5 ब्लॉक में सिंचाई की सुविधा में इजाफा होगा, जिसमें छुरा ब्लॉक, फिंगेश्वर ब्लॉक के असिंचित एरिया 18 गांव शामिल होंगे। इसके लिए अलग से बांध बनाने की योजना भी प्रस्तावित है। बागबाहरा व महासमुंद ब्लॉक के पूरा रकबा, पिथौरा ब्लॉक के जोग नदी के तट तक व जोग नदी में परसवानी बैराज से और आगे पानी को ले जाया जा सकेगा, जिससे लाखों एकड़ खेतों की सिंचाई होगी। सर्वे टीम से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव आचार संहिता हटते ही सर्वे कंपनी को कार्य आदेश जारी हुआ। जिसमें मैन्युअल सर्वे कंप्लीट हो चुका है। अब लीडार सर्वे ड्रोन से किया जा रहा है। उसके उपरांत संपूर्ण कार्य योजना डीपीआर तैयार किया जाएगा। और जल संसाधन विभाग को सौंप दी जाएगी। सिंचाई परियोजना के लिए आंदोलनरत किसान नेता हितेश चंद्राकर ने बताया कि यह परियोजना धरातल में उतर गया तो छत्तीसगढ़ का पहला मॉडल परियोजना होगा जिसमें बिना बांध बनाएं 5 ब्लॉक में सिंचाई होगा। लगातार गिरते जल स्तर व लगातार अल्प वर्षा से प्रभावित अकाल ग्रस्त क्षेत्र के लिए जीवन दायनी साबित होगा। सिकासेर बांध से बागबाहरा के बोकरामुड़ा यानी 130 किलोमीटर तक नहर का निर्माण होगा। यहां से सिकासेर का पानी पहुंचेगा और बागबाहरा के नहर से होते हुए ये पानी सीधे कोडार जलाशय में पहुंचेगा। बता दें कि कोडार जलाशय की सिंचाई क्षमता 16 हजार 754 हेक्टेयर है। ये खरीफ सीजन का है। रबी सीजन में 6 हेक्टेयर की क्षमता है। खरीफ सीजन में जैसे तैसे पानी किसानों को मिल जाता है, लेकिन रबी सीजन में परेशानी होती है। इस नए प्रोजेक्टर से किसानों को लाभ मिलेगा। फसल की सिंचाई दोनों ही सीजन में बड़ी आसानी से होगी। जल संसाधन विभाग गरियाबंद के कार्यपालन अभियंता एसके बर्मन ने बताया कि यह प्रदेश का पहला लिंक परियोजना होगा, जिसमें बगैर बांध बनाए बांध के ओवरफ्लो पानी को नहर के माध्यम से सिंचाई और दूसरे बांध को भरा जाएगा। इसका सर्वे कार्य अंतिम चरण में है। अभी सिकासेर जलाशय में ओवरफ्लो होने से बारिश में औसतन 60 मिलियन घन मीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। इस प्रोजेक्ट से पानी का उपयोग सिंचाई सुधार के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।

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