कंगना रनोट आज भी आगरा कोर्ट नहीं आईं:अब 18 दिसंबर को सुनवाई, कहा था- किसान आंदोलन के समय रेप-मर्डर हुए

बॉलीवुड एक्ट्रेस और BJP सांसद कंगना रनोट आज भी आगरा की कोर्ट में पेश नहीं हुईं। उनकी तरफ से वकील भी कोर्ट नहीं आए। अब कोर्ट ने 18 दिसंबर को अगली सुनवाई की डेट दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस बार अगर कंगना पेश नहीं होती हैं या फिर अपना पक्ष नहीं रखती हैं तो आगे की कार्रवाई नियमानुसार जारी रहेगी। 28 नवंबर को कंगना को कोर्ट में अपना पक्ष रखना था, हालांकि न तो कंगना पेश हुईं और न ही वकील को भेजा। इसके बाद कोर्ट ने 12 दिसंबर को अगली सुनवाई की तारीख दे दी थी। स्पेशल कोर्ट MP-MLA अनुज कुमार सिंह ने 9 दिसंबर को कंगना को नोटिस भेजा और पेश होने के लिए कहा था। आगे जानिए पूरा मामला… कहा था- किसान आंदोलन के समय रेप-मर्डर हुए
इसी साल 24 अगस्त को कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान दैनिक भास्कर से कहा था- किसान आंदोलन के समय रेप-मर्डर हुए। बिल वापसी न होती तो प्लानिंग लंबी थी। इसके बाद उनके खिलाफ आगरा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रमाशंकर शर्मा ने MP/MLA कोर्ट में 11 सितंबर को याचिका दाखिल की थी। आरोप लगाया कि कंगना ने धरने पर बैठे लाखों किसानों पर अभद्र टिप्पणी की। उन पर राष्ट्रद्रोह का केस लगा। कंगना के बयान से किसानों की भावनाएं आहत हुईं एडवोकेट रमाशंकर शर्मा ने कहा- मैं भी किसान परिवार से हूं। 30 साल तक खेती-किसानी की। किसानों और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति सम्मान रखता हूं। कंगना ने हमारी और लाखों किसानों की भावनाएं आहत की हैं। 31 अगस्त को उन्होंने पुलिस कमिश्नर और थाना न्यू आगरा को शिकायत भेजकर कार्रवाई करने की मांग भी की थी। रमाशंकर शर्मा ने दैनिक भास्कर को बताया- 27 अगस्त को मैंने समाचार पत्रों को पढ़ा। इसमें लिखा था कि कंगना ने कहा, अगस्त 2020 से दिसंबर 2021 तक किसान काले कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे थे। उस दौरान रेप और मर्डर हुए। अगर देश का नेतृत्व मजबूत नहीं होता तो देश में बांग्लादेश जैसे हालात होते। इसका मतलब साफ है कि उन्होंने किसानों को हत्यारा, बलात्कारी, आतंकवादी और उग्रवादी करार दिया। 7 नवंबर, 2021 को कंगना रनोट का एक बयान छपा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाल पर चाटा खाने के बाद भीख मिलती है, आजादी नहीं। 1947 में जो आजादी हमें मिली, वो महात्मा गांधी के भीख के कटोरे में मिली थी। असली आजादी तब मिली, जब 2014 में सत्ता में नरेंद्र मोदी की सरकार आई। इसका मतलब साफ है कि आजादी में महात्मा गांधी, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर जैसे तमाम महापुरुषों ने जो बलिदान दिया, वो बेकार है। इस तरह कंगना ने राष्ट्रपिता का भी अपमान किया। पहले भी किसानों पर विवादित बयान दे चुकी हैं कंगना 1- आंदोलनकारी किसानों की तुलना खालिस्तानी आतंकियों से की
कंगना ने किसान आंदोलन के दौरान कई बयान दिए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर आंदोलनकारियों की तुलना खालिस्तानी आतंकियों से की थी। उन्होंने लिखा था- खालिस्तानी आतंकवादी आज सरकार पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन हमें एक महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नहीं भूलना चाहिए। इंदिरा गांधी ने इन्हें अपनी जूती के नीचे कुचल दिया था। 2- किसान आंदोलन में महिलाएं 100 रुपए में शामिल होती हैं
किसान आंदोलन के वक्त कंगना ने 27 नवंबर 2020 को एक सोशल मीडिया पोस्ट की। इसमें उन्होंने एक महिला का फोटो पोस्ट करते हुए लिखा था कि किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुई यह महिला वही मशहूर बिलकिस दादी हैं। यह शाहीन बाग के प्रदर्शन में भी थी, जो 100 रुपए लेकर उपलब्ध हैं। कंगना ने जिस महिला की तस्वीर पोस्ट की, वह पंजाब में मानसा की किसान मोहिंदर कौर थीं। कंगना को बिलकिस बानो और मोहिंदर कौर को पहचानने में गलती हुई। हालांकि, कंगना ने बाद में यह पोस्ट डिलीट कर दी, लेकिन तब तक इसके स्क्रीनशॉट वायरल हो चुके थे। इसके बाद किसान मोहिंदर कौर ने कोर्ट में भी मानहानि का केस कर दिया, जिसकी सुनवाई चल रही है। CISF कॉन्स्टेबल ने कंगना को जड़ा था थप्पड़ 3 महीने पहले कंगना रनोट जब चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर आईं तो यहां CISF की महिला कॉन्स्टेबल कुलविंदर कौर ने उन्हें थप्पड़ जड़ दिया। CISF कॉन्स्टेबल का वीडियो भी सामने आया था। इसमें वह कह रही थीं कि कंगना ने जब किसान आंदोलन में शामिल महिला को 100 रुपए में धरना देने वाली कहा था, तो उसकी मां भी धरने पर बैठी थीं। थप्पड़ जड़ने के बाद एयरपोर्ट पर अधिकारियों ने कुलविंदर कौर को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था।

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