कंचनबेड़ा गांव में गुरुजी ने शुरू िकया था मेला जो संवाद व जनसंपर्क का महत्वपूर्ण माध्यम था

शशि कुमार | जामताड़ा झारखंड की राजनीति में जामताड़ा एक अहम केंद्र रहा है और इस राजनीतिक धुरी के केंद्र में रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री एवं झारखंड आंदोलन के प्रणेता शिबू सोरेन। उन्होंने न केवल झारखंड की राजनीति को दिशा दी, बल्कि जामताड़ा जिले को भी राज्य की मुख्यधारा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जामताड़ा जिले के चिरूडीह गांव में शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था। वर्ष 1975 में जामताड़ा जिले के चिरूडीह गांव के महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन ने झारखंड की राजनीति की दिशा भी बदल दी। इस घटना ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को आदिवासी राजनीति का एक मजबूत चेहरा बना दिया। वे सूदखोरी और महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलनरत रहे। बता दें कि 23 जनवरी 1975 चिरूडीह में महाजनों के साथ आदिवासियों की हिंसक भिड़ंत हो गई। चिरूडीह गांव की इस घटना ने शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा को नई दिशा दी। जामताड़ा जिले के जामताड़ा शहर से 2 किलोमीटर दूर कंचनबेड़ा गांव में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक रासमेला में शिबू सोरेन नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे। कंचनबेड़ा गांव में मेला की शुरुआत शिबू सोरेन के द्वारा की गई थी। यह मेला न सिर्फ सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि राजनीतिक संवाद और जनसंपर्क का भी महत्वपूर्ण माध्यम था। यहां उनकी उपस्थिति आमजन के साथ उनके गहरे जुड़ाव का प्रमाण थी। लोगों से सीधे संवाद कर वे न केवल उनकी समस्याओं को समझते थे, बल्कि उनके समाधान की दिशा में ठोस प्रयास भी करते थे। कई बार शिबू सोरेन कंचनबेड़ा गांव आ चुके हैं। यहां के कई पुराने लोग आज भी उनकी हर बात को याद करते हैं। उनके निधन की खबर से गांव में शोक का माहौल है। जामताड़ा के विकास को लेकर उनकी सोच दूरदर्शी रही : कैलाश झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता प्रो कैलाश प्रसाद साव ने बताया कि जामताड़ा जिले के विकास को लेकर उनकी सोच दूरदर्शी रही। उन्होंने ग्रामीण सड़कों के निर्माण, आदिवासी छात्रों के लिए छात्रावासों की स्थापना, जलापूर्ति योजनाओं तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर कार्य किया। उन्होंने हमेशा यह प्रयास किया कि जामताड़ा जैसे अपेक्षाकृत पिछड़े जिले को समग्र विकास की राह पर अग्रसर किया जाए। शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा एक मिसाल रही है, संघर्ष से सत्ता तक की। जामताड़ा जैसे क्षेत्र में उनकी सक्रियता और योगदान ने न केवल उनके नेतृत्व को जनमानस के बीच मजबूत किया, बल्कि झारखंड के राजनीतिक इतिहास में उन्हें एक युगपुरुष के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कहा कि आज जब झारखंड अपनी राजनीतिक पहचान को सुदृढ़ कर रहा है, तो शिबू सोरेन जैसे नेताओं का योगदान स्मरणीय और प्रेरणादायी बना हुआ है। जामताड़ा की जनता आज भी उन्हें संघर्षशील नेता और जननायक के रूप में याद करती है, जिनकी सोच और कर्म दोनों ही आम जन की भलाई के लिए समर्पित रहे। गुरुजी का झारखंड में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

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