भास्कर न्यूज | गिरिडीह जिले भर के प्राथमिक और मध्य विद्यालय के विद्यार्थी अपना रिजल्ट जानने को उत्सुक हैं। मगर सभी पास हैं, ये बोलकर घर भेज दिया जा रहा है। किस विषय में किसे कितने अंक मिले, इसकी कोई जानकारी नहीं। ऐसा ही नजारा राजकीय मध्य विद्यालय सुग्गासार, मध्य विद्यालय बकोईया, मध्य विद्यालय रानीडीह व खावा, मध्य विद्यालय परसाटांड़ में देखने को मिला। बच्चों ने अपने रिजल्ट पूछे तो बस स्कूल में शिक्षक ने कह दिया-सभी बच्चे पास हैं। और… हो गया रिजल्ट। बच्चों को छुट्टी दे दी गई। यही स्थिति अन्य सरकारी विद्यालयों की भी रही। इस संबंध में राजकीय मवि सुग्गासार के प्रभारी प्रधानाध्यापक रविकांत चौधरी और मध्य विद्यालय पिंडाटांड़ के प्रधानाध्यापक लाल मोहन दास ने बताया कि विभाग की तरफ से सादा रिपोर्ट कार्ड नहीं मिला है। हर कक्षा के टॉप-10 बच्चों को कागज में उन्हें मिले प्राप्तांक लिखकर दे दिया जा रहा है। दरअसल, इस बार जिले के प्रारंभिक स्कूलों में कक्षा 1 से 7 तक की वार्षिक परीक्षा को मजाक बना दिया गया है। पहले तो परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र और कॉपी ही नहीं दिए गए। शिक्षकों ने ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखा और परीक्षार्थियों ने उसी के अनुसार उत्तर दिए।अब रिजल्ट का समय आया, तो स्कूलों को रिपोर्ट कार्ड ही उपलब्ध नहीं कराया गया। 35% स्कूलों में सादे कागज पर लिख दिए अंक, बाकी में नहीं मिला है रिजल्ट शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों को 25 मार्च तक रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था। लेकिन इसके लिए स्कूलों को रिपोर्ट कार्ड नहीं दिया, जिसमें विषयवार अंक अंकित किए जाते हैं। इसकी जगह एक सॉफ्ट कॉपी भेजते हुए प्रिंटआउट निकाल कर रिजल्ट देने की बात कही गई। हालांकि जिले के 65% मध्य विद्यालयों ने बुधवार को भी रिजल्ट नहीं दिया। कुछ स्कूलों में पिछले साल के खाली रिपोर्ट कार्ड स्कूलों में सादे कागज पर अंक प्रिंट कर रिजल्ट के रूप में दिए गए। स्कूल प्रबंधन अपने फंड से छपवा सकते हैं रिपोर्ट कार्ड मूल्यांकन हुआ है और छात्र-छात्राओं को उनके विषयवार अंक बता दिए गए हैं। प्रिंटेड रिपोर्ट कार्ड के लिए स्कूल प्रबंधन अपने फंड में जमा राशि का उपयोग कर सकते हैं। जिले के सभी स्कूलों की रिपोर्ट ली जाएगी। मो वसीम अहमद, जिला शिक्षा पदाधिकारी, गिरिडीह विभाग आगे से रिपोर्ट कार्ड की समुचित व्यवस्था करे यह अत्यंत दुखद है। कई विद्यालयों में अपने स्तर से व्यवस्था की गई, पर यह नाकाफी थी। विभाग को इस पर संज्ञान लेकर आगे से प्रश्न पत्र, उतर पुस्तिका और रिपोर्ट कार्ड की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। राजेंद्र प्रसाद, प्रांतीय उपाध्यक्ष, झारखंड ऑफिसर्स टीचर्स एंड एम्पलाइज फेडरेशन।