साढ़े तीन करोड़ के कोडीन कफ सिरप बरामदगी में गाजियाबाद पुलिस वांटेड आसिफ को ढूंढ रही थी। लेकिन, उसने दुबई में बैठकर इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे पा लिया। मतलब, उसकी गिरफ्तारी पर रोक है। गाजियाबाद पुलिस का दावा है कि आसिफ मुख्य ट्रांसपोर्टर है। वह कोडीन कफ सिरप की शीशियां बांग्लादेश तक सप्लाई करता था। आसिफ बीते कई साल से दुबई में बैठकर ट्रांसपोर्ट का बड़ा बिजनेस कर रहा। हमने दुबई में मौजूद आसिफ से वॉट्सऐप कॉल पर एक्सक्लूसिव बात की। उसने कहा- कफ सिरप मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मैं दुबई में होटल चलाता हूं और ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करता हूं। आसिफ कौन है? कफ सिरप मामले से उसका क्या कनेक्शन है? उसके परिवारवाले क्या कहते हैं? दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर इसकी पड़ताल की। ये रिपोर्ट पढ़िए… भास्कर पोल में हिस्सा लेकर राय दें… गाजियाबाद में पकड़े 3 ट्रक कफ सिरप, आया था आसिफ का नाम
गाजियाबाद पुलिस ने 4 नवंबर को 3 ट्रक कोडीन कफ सिरप पकड़ा। इसकी कीमत करीब 3 करोड़ 40 लाख रुपए बताई गई। कुल 7 आरोपी सौरव त्यागी, शादाब, शिवकांत, संतोष भड़ाना, अंबुज कुमार, धर्मेंद्र सिंह, दीपू यादव और सुशील यादव पकड़े गए। पूछताछ में सौरव त्यागी ने बताया- कफ सिरप में कोडीन होने की वजह से भारत और बांग्लादेश में ये नशे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत में इसकी बिक्री पर कई तरह के प्रतिबंध हैं। इसलिए इसकी ब्लैक मार्केटिंग और तस्करी होती है। सौरव के अनुसार- इस कारोबार का मुख्य सरगना मेरठ में रहने वाले आसिफ और वसीम और वाराणसी निवासी शुभम जायसवाल हैं। ये तीनों देश के अलग-अलग हिस्सों से कफ सिरप इकट्ठा करके बांग्लादेश तक भेजते हैं। सबसे पहले ये कफ सिरप दिल्ली-एनसीआर के गोदामों पर इकट्ठा होता है। वहां से बरेली-गोरखपुर के ट्रांसपोर्ट गोदामों तक लाया जाता है। यहां से आसिफ और वसीम के निर्देश पर सौरव त्यागी कफ सिरप के ट्रकों को झारखंड, वेस्ट बंगाल, असम समेत कई राज्यों में भेजता है। गांव में आसिफ का मकान बंद, कई साल है दुबई में
आसिफ मूलरूप से मेरठ जनपद में किठौर थाना क्षेत्र के राधना गांव का रहने वाला है। सबसे पहले हम राधना में पुलिस चौकी पहुंचे। यहां एक सब-इंस्पेक्टर मिले। उन्होंने बताया- आसिफ कुल 5 भाई है। सलीम और आसिफ कैंटर ड्राइवर हैं। शहजाद नोएडा में होटल चलाता है। चौथा भाई मानसिक रूप से विक्षिप्त है। जबकि, आसिफ बीते काफी वर्षों से दुबई में रहता है। उसके खिलाफ कई तरह के मुकदमे दर्ज हैं। यहां से हम सीधे आसिफ के घर पहुंचे। राधना से किला परीक्षितगढ़ को जाने वाले मुख्य रास्ते पर ही आसिफ का मकान है। आसिफ के बगल में ही बाकी चारों भाइयों के अलग-अलग मकान बने हैं। इनमें सबसे बेहतर मकान आसिफ का बना है। पूरे मकान पर टाइल्स-पत्थर लगा है। गेट पर ताला लगा है। पूरा घर धूल से अटा पड़ा है। यह दिखाता है कि लंबे वक्त से मकान का दरवाजा तक नहीं खुला। भाभी बोलीं- आसिफ दुबई में, गाड़ी का बिजनेस है
बगल के घर में रहने वाली आसिफ की भाभी अफसाना मौजूद मिलीं। आसिफ घर पर कब से नहीं है? इस सवाल पर अफसाना कहती हैं- 4-5 साल हो गए। हमने दुबई की सुनी थी कि वहां गाड़ी का बिजनेस कर रखा है। हमारे परिवार के बाकी लोग भी गाड़ी पर रहते हैं। वो बिहार, बंगाल जाते रहते हैं और कई-कई महीने में घर वापस आते हैं। दुबई जाने के बाद आसिफ से हमारा कोई संपर्क नहीं रहा। आखिरी बार वो कब गांव आया, हमें ये भी याद नहीं। मैं खुद भी बाहर रहती हूं, आज गांव आई हूं। पुलिस ने कई बार घर आकर की पूछताछ
आसिफ की दूसरी भाभी रुखसाना ने बताया- पुलिस पहले कई बार पूछताछ करने यहां आई है। लेकिन जब आसिफ यहां मौजूद ही नहीं है, तो हम उसके बारे में क्या बताएं? पुलिसवालों ने हमसे पूछा कि आसिफ कहां है? हमने कह दिया कि हमें कोई जानकारी नहीं है। दुबई में आसिफ क्या काम करते हैं, ये भी हमें मालूम नहीं है। वॉट्सऐप कॉल पर आसिफ बोला- FIR में जितने नाम, मेरे लिए सब अनजान
जब हम आसिफ के घर के बाहर मौजूद थे, तभी एक व्यक्ति वहां कुर्सी पर बैठा था। हमें बताया गया कि वो आसिफ के रिश्तेदार हैं। उन्होंने हमारी आसिफ से वॉट्सऐप कॉल पर बात कराई। बातचीत शुरू होते ही आसिफ ने इस पर आपत्ति जताई कि मीडिया उसके घर रिपोर्ट करने क्यों आई है, जब उसको अरेस्टिंग स्टे मिल चुका है। हमने समझाया कि अभी सिर्फ अरेस्टिंग पर स्टे मिला है, पुलिस के डॉक्यूमेंट्स में बतौर आरोपी नाम दर्ज है। हमने पूछा- आपका बिजनेस क्या है, कफ सिरप का क्या मामला है? जवाब में आसिफ ने कहा- जब मैं मेरठ में था, तब ट्रांसपोर्ट का बिजनेस करता था। मेरे बाकी भाई भी गाड़ियां चलाते हैं। साल-2020 में मैं सऊदी आ गया। यहां भी ट्रांसपोर्ट का बिजनेस किया, लेकिन चला नहीं। फिर मैं होटल लीज पर लेकर चलाता हूं। कफ सिरप मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं। इसकी मुझे कोई जानकारी भी नहीं। FIR में जिस शुभम जायसवाल और अभिषेक शर्मा का नाम दर्ज है, उससे क्या रिश्ते हैं? इस पर आसिफ ने कहा- FIR में जितने भी नाम हैं, मेरे लिए अनजान हैं। मैं इनमें से किसी को जानता तक नहीं। किसी से कभी मिला भी नहीं। मुझे नहीं मालूम कि मेरा नाम इस FIR में कैसे आया? दुबई में बैठकर अरेस्टिंग स्टे कैसे मिल गया? इस सवाल के जवाब में आसिफ ने कहा- मैंने पोस्ट के जरिए दुबई से ही अपना वकालतनामा इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील को भेजा था। इसके बाद लीगल प्रक्रिया शुरू हुई और मुझे हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे मिला। हमने आसिफ से वॉट्सऐप कॉल पर हुई इस बातचीत को रिकॉर्ड करना चाहा, लेकिन उसके परिवारवालों ने प्राइवेसी और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए ऐसा करने से रोक दिया। वकील बोले- ऐसे कई उदाहरण, जब बेल मिली
क्या कोई व्यक्ति दुबई में बैठकर भारत आए बिना ही यहां की अदालत से गिरफ्तारी पर स्टे पा सकता है? यह जानने के लिए हमने मेरठ के वरिष्ठ अधिवक्ता रामकुमार शर्मा से बात की। उन्होंने बताया- पहले 438 CRPC और वर्तमान में 482 BNS के अंतर्गत ऐसा प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति को आशंका है कि गंभीर अपराध में उसकी गिरफ्तारी हो सकती है। छवि धूमिल हो सकती है। गलत तरीके से फंसाया जा रहा हो अथवा भारत आने पर वो गिरफ्तार हो सकता हो। ऐसे मामले में वो सेशन कोर्ट या हाईकोर्ट जाकर अग्रिम जमानत ले सकता है। इस तरह के कई उदाहरण हैं, जब बेल दी गई हो। हालांकि अदालत ये शर्त लगा सकती है कि वो अपना पासपोर्ट यहां जमा करे और पुलिस को जांच में सहयोग करे। HC ने कहा- याचिकाकर्ता पुलिस जांच में सहयोग करे
गाजियाबाद पुलिस की FIR में दर्ज नाम को रद्द कराने के लिए आसिफ मोहम्मद की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका डाली गई। 20 नवंबर को जस्टिस अचल सचदेव और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। कहा- अगली सुनवाई की तारीख तक या चार्जशीट प्रस्तुत होने तक (जो भी पहले हो) याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। बशर्ते वह जांच में सहयोग करे। अगर जांच में सहयोग नहीं करता, तो पुलिस इस न्यायालय में अपील करने के लिए स्वतंत्र है। ———————— ये खबर भी पढ़ें… पूर्वी यूपी में फिर जमीन पर आई माफियाओं की जंग, ‘कोडीन भैया’ से खनन के काले खेल तक यूपी के पूर्वी हिस्से में माफियाओं का साया फिर से गहराने लगा है। खनन हो या फिर नशे का कारोबार। वर्चस्व की इस जंग में नए उभरते माफिया भी हाथ आजमाने की तैयारी में हैं। सीएम योगी की सख्ती के बाद भी कई बार पुलिस की खामोशी से इनके हौसले बढ़ते दिख रहे। पढ़ें पूरी खबर


