कमरे से दुधमुंही बच्ची गायब, मां बोली-प्रेत ले गया:बेटी पलंग पर सो रही थी, दरवाजे भी बंद थे; परिवार ने ढूंढने तांत्रिक को बुलाया

मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स में बात पांच साल पुराने ऐसे मामले की जिसमें एक मां ने यकीन के साथ बताया था कि उसकी एक महीने की बच्ची को प्रेत उठाकर ले गया है। मां अपने बयान पर कायम थी और परिवार के लोग असमंजस में। बच्ची को वापस लाने के लिए तांत्रिक को बुलाकर बाकायदा तंत्र-मंत्र क्रियाएं कराई गईं। इसके बाद भी बच्ची का पता नहीं चला। इसके बाद जो हकीकत सामने आई उसने सभी के होश उड़ा दिए। क्या था ये पूरा मामला? पढ़िए मध्य प्रदेश क्राइम फाइल्स का पार्ट-1 तारीख-16 सितंबर 2020, जगह-खजूरी सड़क, भोपाल
भोपाल के बाहरी इलाके में बसा डेहरिया गांव, जहां रहने वाले ज्यादातर लोग खेती-किसानी से जुड़े हैं। उस दिन भी मौसम बिल्कुल साफ था। सितंबर की हल्की ठंड हवा में घुलने लगी थी, जो दिन में धूप की तपिश से राहत दे रही थी। गांव के बाकी लोगों की तरह, अशोक मेवाड़ा और उनका परिवार भी अपने खेतों में सोयाबीन की फसल काटने में व्यस्त था। दोपहर के करीब 11 बज रहे थे, काम अपने चरम पर था, तभी अशोक के फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर गांव के सरपंच पुरुषोत्तम मेवाड़ा का नाम चमक रहा था। एक अनजानी आशंका के साथ अशोक ने फोन उठाया। दूसरी तरफ से सरपंच की घबराई हुई आवाज आई, ‘अशोक, जल्दी घर आओ… किंजल घर पर नहीं है, कहीं मिल नहीं रही।’ यह सुनते ही अशोक के पैरों तले जमीन खिसक गई। किंजल, उसके छोटे भाई सचिन की महज एक महीने की बेटी थी। पूरे परिवार की आंखों का तारा। घर में कोहराम और ‘प्रेत’ की दस्तक
घर पहुंचने पर जो मंजर था, वह दिल दहला देने वाला था। घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा थी। अंदर सचिन की पत्नी और किंजल की मां, सरिता, बदहवास रो रही थी। घर की महिलाएं उसे संभालने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सचिन ने अपनी पत्नी सरिता से कांपती आवाज में पूछा, ‘किंजल कहां है? क्या हुआ?’ सरिता ने रोते हुए जो बताया, उसने वहां मौजूद हर शख्स को हैरान कर दिया। उसने कहा, ‘मैं उसे (किंजल को) कमरे में चारपाई पर लिटाकर कपड़े धोने बाहर गई थी। जब वापस आई तो वो वहां नहीं थी। मुझे लगता है… उसे कोई प्रेत-आत्मा उठा ले गई है।’ प्रेत का नाम सुनते ही पूरे गांव में सनसनी फैल गई। यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई। किंजल को ढूंढने के लिए पूरा गांव एकजुट हो गया
अब एक महीने की बच्ची का इस तरह रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाना और मां का सीधे तौर पर प्रेत-आत्मा पर शक जताना, लोगों के गले नहीं उतर रहा था, लेकिन डर और अंधविश्वास के माहौल में कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। देखते ही देखते, किंजल को ढूंढने के लिए पूरा गांव एकजुट हो गया। कोई खेतों की ओर भागा, तो कोई पास के तालाब और कुओं में झांकने लगा। हर झाड़ी, हर नाले को छाना जा रहा था, लेकिन किंजल का कोई सुराग नहीं था। बंद कमरे में तांत्रिक की तंत्र-साधना
जैसे-जैसे समय बीत रहा था, परिवार की उम्मीदें टूट रही थीं और अंधविश्वास गहराता जा रहा था। परिवार ने फौरन भोपाल के एक जाने-माने तांत्रिक भादर सिंह को बुलाने का फैसला किया। कुछ ही देर में तांत्रिक भादर सिंह अपनी ‘टीम’ के साथ मेवाड़ा परिवार के घर पहुंच गया। घर का माहौल अब और भी रहस्यमयी हो गया था। तांत्रिक सीधे उस कमरे में गया, जहां से किंजल गायब हुई थी। उसने कमरे में मौजूद सरिता समेत सभी लोगों को बाहर निकाल दिया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। अंदर से मंत्रों के उच्चारण और अजीबोगरीब आवाजें आने लगीं। बाहर परिवार और गांव वाले सांस रोके खड़े थे, इस उम्मीद में कि तांत्रिक उनकी बच्ची को प्रेत के चंगुल से छुड़ा लाएगा। करीब एक घंटे तक यह ड्रामा चलता रहा। 5 घंटे बाद… जब सच सामने आया
दोपहर ढलकर शाम में बदल रही थी। बच्ची को गायब हुए करीब 5 घंटे बीत चुके थे। तांत्रिक की कोशिशें भी नाकाम लग रही थीं। अब तक गांव के लोग बाहरी हर संभावित जगह छान चुके थे। थक-हारकर, परिवार के लोगों ने घर के अंदर ही एक बार फिर से तलाशी शुरू करने का फैसला किया। शाम के करीब 4 बज रहे थे। अशोक मेवाड़ा की नजर किचन के पास रखे 50 लीटर के नीले रंग के प्लास्टिक के ड्रम पर पड़ी। यह ड्रम पानी भरने के काम आता था। न जाने क्यों, अशोक का मन आशंकित हुआ। उसने कांपते हाथों से ड्रम का ढक्कन खोला। ढक्कन खुलते ही वहां मौजूद लोगों की चीख निकल गई। ड्रम के पानी में, एक महीने की मासूम किंजल का नन्हा शरीर डूबा हुआ था। उसकी सांसें हमेशा के लिए थम चुकी थीं। अशोक और सचिन ने फौरन उसे बाहर निकाला। उसका शरीर अकड़ चुका था, और नाक-मुंह से झाग निकल रहा था। पुलिस की जांच और उलझती गुत्थी
शाम करीब 5 बजे, अशोक मेवाड़ा ने खजूरी सड़क पुलिस स्टेशन को इस दर्दनाक घटना की सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस निरीक्षक एल.डी. मिश्रा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। पहली नजर में यह एक हादसा लग सकता था, लेकिन एक महीने की बच्ची खुद चलकर ड्रम तक कैसे पहुंच सकती थी? यह सवाल हर किसी के जेहन में था, और पुलिस को भी हत्या का शक था। पोस्टमॉर्टम और डायटम टेस्ट की रिपोर्ट ने इस शक को यकीन में बदल दिया। रिपोर्ट में साफ लिखा था कि बच्ची की मौत पानी में डूबने से हुई है। उसके शरीर पर किसी तरह की चोट या खरोंच के निशान नहीं थे, जिसका मतलब था कि उसे सीधे पानी में डुबोया गया था। यह एक निर्मम हत्या थी। अब पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल था – कातिल कौन है?
इंस्पेक्टर एल.डी. मिश्रा ने जांच का जिम्मा संभाला। घर में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। पुलिस के पास सिर्फ वे लोग थे जो घटना के वक्त घर पर मौजूद थे। जांच की सुई तीन लोगों पर आकर टिक गई: पुलिस ने तीनों से अलग-अलग पूछताछ शुरू की तीनों के बयानों में कोई ऐसा सूत्र नहीं मिल रहा था जो किसी बाहरी व्यक्ति के आने की ओर इशारा करता हो। घर के दो दरवाजों में से एक बंद था, और दूसरे पर सरिता खुद कपड़े धो रही थी। फिर बच्ची को कौन, कैसे और क्यों मार गया? पुलिस का शक गहराता जा रहा था। क्या कातिल इन्हीं तीन में से कोई एक था? क्राइम फाइल्स के पार्ट-2 में पढ़िए…

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