कांग्रेस उम्मीदवारों की हार का ठीकरा अपनों के ​ही सिर फूटेगा

कांग्रेस प्रत्याशियों की हार की समीक्षा के लिए गठित समितियों ने अबतक नहीं सौंपी है रिपोर्ट
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने हारी हुई सीटों की समीक्षा के लिए छह समितियां बनाई थीं। इन समितियों ने हार की समीक्षा करके रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली हैं, लेकिन अधिकतर ने अभी रिपोर्ट सौंपी नहीं है। समीक्षा के दौरान कार्यकर्ताओं, प्रत्याशियों और पार्टी पदाधिकारी ने जो बातें जांच समिति को बताई हैं, उनसे यह स्पष्ट हो रहा है कि हार की मुख्य वजह प्रत्याशियों और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की कमी रही है। इसलिए, यदि हार का ठीकरा अपनों पर ही फूटे तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। हालांकि, तालमेल के अलावा कुछ अन्य कारणों को भी समितियों के समक्ष रखा गया है। बताया जा रहा है कि हजारीबाग आैर बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी व कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल की कमी के कारण सफलता नहीं मिली। अति आत्मविश्वास में बन्ना गुप्ता जीत से चूके जमशेदपुर पूर्वी व पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। दोनों क्षेत्र में संगठन आैर उम्मीदवार में तालमेल की कमी को समिति के समक्ष कार्यकर्ताओं ने उजागर किया है। जमशेदपुर पूर्वी से ज्यादा पश्चिमी के बारे में कार्यकर्ताओं और पार्टी पदाधिकारियों में अति आत्मविश्वास भी था, जो आत्मघाती रहा। बन्ना गुप्ता हार गए। हटिया में भी कार्यकर्ताओं और प्रत्याशी ने एक-दूसरे पर समन्वय न रखने की बात बताई है। जबकि, जरमुंडी में हार के लिए कार्यकर्ताओं ने अंतिम समय में बादल को मंत्री पद से हटाने को भी जिम्मेदार बताया है। इसके अलावा इस बार भाजपा ने बेहतर घेराबंदी कर त्रिकोणात्मक संघर्ष को रोक दिया। हर बार हरिनारायण राय या उनके परिवार को कोई व्यक्ति चुनाव लड़कर जितना वोट लाता था उससे बादल की जीत हो रही थी। इस बार भाजपा ने इसे बंद कर दिया। यह बात समिति को बताई गई। तालमेल की कमी से हारे डाल्टनगंज सीट बरही में अचानक प्रत्याशी बदलने का खामियाजा भुगतना पड़ा। मांडू सीट हारने के बावजूद वोटों का अंतर काफी कम था। इसे संयोग माना गया है। बाघमारा में निर्दलीय उम्मीदवारों के अलावा उम्मीदवार आैर पार्टी के बीच समन्वय की कमी की बात कार्यकर्ताओं ने समिति के समक्ष रखी है। धनबाद में काफी विलंब से उम्मीदवार की घोषणा और झरिया में भी संगठन व प्रत्याशी में तालमेल की कमी की बात आई है। डाल्टनगंज में कार्यकर्ताओं व उम्मीदवार का तालमेल अच्छा नहीं रहा। कार्यकर्ता, पार्टी पदाधिकारियों आैर प्रत्याशी ने एक दूसरे के विरुद्ध समन्वय नहीं रखने की बात समिति के समक्ष रखी। विश्रामपुर में तो दोस्ताना संघर्ष था। कांग्रेस ने विश्रामपुर को लेकर अपनी उदासीनता पहले ही जाहिर कर दी थी। जबकि, पांकी विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी के चयन पर कार्यकर्ताओं ने समिति के समक्ष अपनी बात रखी।

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