काकोरी ट्रेन एक्शन के सौवें वर्ष पर दस्तावेजों की प्रदर्शनी:नई पीढ़ी ने राम प्रसाद बिस्मिल और क्रांतिकारियों के इतिहास को जाना

मुरैना के अंबाह में काकोरी ट्रेन डकैती के 100 साल पूरे होने और राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान दिवस पर चंबल संग्रहालय की ओर से दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन बुधवार को अंबाह पीजी कॉलेज के सभागार में दस्तावजों की प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें क्रांतिवीर राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ और उनके सहयोगियों से जुड़ी पांडुलिपियां, डायरियां, पत्र, तस्वीरें और केस दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। इस आयोजन का उद्देश्य युवाओं को क्रांतिकारी आंदोलन की सच्ची विरासत से परिचित कराना है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि बिस्मिल जैसे क्रांति योद्धाओं की विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। काकोरी एक्शन केवल एक डकैती नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का मील का पत्थर था। कई स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने इस प्रदर्शनी में भाग लिया। क्रांतिकारियों ने पैसे जुटाने के लिए काकोरी ट्रेन डकैती की 1925 में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संचालन के लिए पैसों और हथियारों की आवश्यकता बढ़ने पर काकोरी ट्रेन डकैती की योजना बनाई गई। 9 अगस्त 1925 को 10 क्रांतिकारियों की टीम ने सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को काकोरी स्टेशन के पास रोककर सरकारी खजाना लूटा। इसमें लगभग 4,679 रुपए हाथ लगे। यह डकैती ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संगठित भारतीय प्रतिरोध का प्रतीक बन गई। हालांकि, इसके बाद व्यापक गिरफ्तारियां हुईं। 19 दिसंबर 1927 को राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को फांसी दे दी गई। क्रांति के कलमवीर थे राम प्रसाद बिस्मिल चंबल संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना​ ने बताया कि​​​​​​ राम प्रसाद बिस्मिल ने न केवल हथियारों से क्रांति की मशाल जलाई, बल्कि अपनी लेखनी से भी युवा हृदयों में देशभक्ति का जोश भरा। उन्होंने ‘अमेरिका का स्वतंत्रता का इतिहास’, ‘वोल्शेविकों की करतूत’, ‘क्रांति गीतांजलि’, और ‘मन की लहर’ जैसी प्रमुख रचनाएं लिखीं। क्रांति के लिए धन जुटाने हेतु उन्होंने पुस्तकें प्रकाशित की जो अंग्रेजों ने जब्त कर ली थी। उन्होंने पंडित गेंदालाल दीक्षित के मार्गदर्शन में शिवाजी समिति और मातृवेदी जैसे गुप्त संगठनों के जरिये क्रांतिकारी आंदोलन को संगठित किया। बिस्मिल की विरासत रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी लेखनी के माध्यम से क्रांति का सपना संजोया। उनकी पुस्तकों में ‘निज जीवन की एक छटा’, ‘मैनपुरी षड्यंत्र’, और ‘पंडित गेंदालाल दीक्षित’ जैसे उल्लेखनीय दस्तावेज शामिल हैं। ये सिर्फ साहित्यिक कृतियां नहीं, बल्कि आजादी के आंदोलन के वैचारिक स्तंभ हैं। क्रांतिकारी योगदान का सम्मान 19 दिसंबर को बिस्मिल के बलिदान दिवस पर उनकी पैतृक भूमि बरबाई में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी। इस मौके पर महुआ डाबर एक्शन के नायक पिरई खां के वंशज डॉ. शाह आलम राना और अन्य क्रांतिकारी स्मृति यात्राएं करेंगे। अमर शहीद सम्मान सेवा संघ आयोजित मसाल यात्रा स्मारकों पर पुष्पांजलि अर्पित करेगी।

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