किशनपुरा स्थित कालिका धाम में भक्तों की ओर से दुख निवारण चंडी महायज्ञ करवाया गया। आचार्य इंद्रदेव काली (बबलू पंडित) ने अध्यक्षता की। उन्होंने पंडितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ भक्तों से हवन कुंड में आहुतियां डलवाईं। उन्होंने कहा कि जैसे सूरजमुखी का फूल दिनभर सूरज का पीछा करता है, सूरज के साथ अपनी दिशा बदलता है, यही प्रेम का प्रतीक है। सूरजमुखी की तरह ही एक सच्चा भक्त भी भगवान से जुड़ा रहता है, वह दिन-रात अपनी भक्ति में लीन रहता है, और यह नाता एक निरंतर प्रेम का रूप लेता है। उन्होंने कहा कि भक्ति में एक विशेष प्रकार का समर्पण और निरंतरता होती है। भक्ति केवल उस प्रेम का अनुभव करना नहीं, बल्कि भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा और समर्पण की भावना भी है। भक्त की भक्ति किसी स्वार्थ या लेन-देन से मुक्त होती है। कार्यक्रम के अंत में भक्तों ने दरबार में माथा टेककर अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना की।