प्रदेश के 41 जिलों में जल संरक्षण और खेती में सिंचाई के लिए 25 हजार खेतों में तालाब बनाए जाएंगे। इन पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी। अलग अलग श्रेणी के किसानों को अधिकतम 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। निर्माण की लागत का 60% तक या अधिकतम ₹1.20 लाख की सहायता मिलेगी। एससी एसटी वर्ग के किसानों को यह अनुदान लागत के 90 प्रतिशत तक है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए प्रदेश के 41 जिलों के लिए कुल 25 हजार फार्म पॉन्ड निर्माण के लिए बजट अब दिया गया है। गत वर्षों में इसके अनुदान के लिए लॉटरी व्यवस्था थी लेकिन अब पहले आओ पहले पाओ सिस्टम कर दिया। ऐसे में अब तक लॉटरी में वंचित रहे किसानों को इस बार अनुदान मिलने की संभावना ज्यादा है। योजना के तहत सबसे ज्यादा 3244 तालाब जयपुर जिले में बनाए जाएंगे। इसके बाद नागौर 2618, सीकर 2207 और डीडवाना कुचामन में 1971 फार्म पॉन्ड बनेंगे। इन चार जिलों में ही सर्वाधिक लक्ष्य आवंटित किया गया है। वहीं, कई जिलों में 1000 से 1500 तक तालाब बनाए जाएंगे। इनमें जोधपुर 813, फलोदी 830, जालोर 915, बाड़मेर 1157, जैसलमेर 1167, टोंक 1110, अजमेर 1258 और चूरू में 1483 फार्म पॉन्ड स्वीकृत होंगे। प्रदेश के अन्य कई जिलों में लक्ष्य कम रखा गया है। यहां जल स्तर कम ऊंचाई पर होने से तालाब की जरूरत भी कम है। इन जिलों में कोटा में 121, दौसा 520, बीकानेर 108, श्रीगंगानगर में नहरी पानी से सिंचाई की वजह सिर्फ 60, नए जिले डीग में 55, सिरोही में 74, खैराथल-तिजारा में 86, भरतपुर में 82, भीलवाड़ा में 432, राजसमंद में 102, उदयपुर 152, कोटपूतली बहरोड़ 151, प्रतापगढ़ 173, सलुम्बर 168, बांसवाड़ा 213, बालोतरा 580, पाली 226, बूंदी में 58, बारां 180, झालावाड़ 357, हनुमानगढ़ 393, झुंझुनूं 403, सवाई माधोपुर 434, अलवर 236, करौली में 139, ब्यावर में 230 किसानों को फायदा मिलेगा। सरकार के दो साल पूरे होने पर ट्रांसफर करेंगे पैसे सरकार के दो साल पूरे होने पर इन 25 हजार किसानों को खेत तलाई योजना के तहत मिलने वाले अनुदान को सीधे ट्रांसफर किए जाने की योजना है। हालांकि अपूर्ण दस्तावेज और बिना भौतिक निरीक्षण रिपोर्ट के अनुदान नहीं दिया जाएगा। योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु और सीमांत किसानों को अधिकतम लाभ दिया जाएगा। प्लास्टिक वाले तालाब की लागत का 90% तक अनुदान है। जबकि अन्य श्रेणी के किसान 80% तक दिए जाएंगे। कच्चे फार्म पॉन्ड पर कम लागत आती है। इसमें एससी एसटी, लघु एवं सीमांत किसान को लागत का 70% तक और सामान्य श्रेणी के किसानों को लागत का 60% तक मिलेगा।


