भूपेश सरकार की गोठान योजना में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा दैनिक भास्कर करने जा रहा है। 17 विभागों में दबे 10 हजार पेज की 25 दिन तक पड़ताल करने के बाद यह बात सामने आई है कि गोठान के लिए कोई बजट ही आवंटित नहीं था। विकास कार्यों के लिए केंद्र और राज्य से मिले 24 योजनाओं के 1175 करोड़ रुपए गोठान बनाने में खर्च कर दिए गए। नियमों को ताक पर रखकर यह काम हुआ। क्योंकि इसमें नक्सल उन्मूलन, 14वें-15 वें वित्त जैसी योजनाएं भी शामिल हैं, जिनका पैसा किसी और कार्य में खर्च ही नहीं किया जा सकता। इससे विकास की योजनाएं प्रभावित हुई। सारा खेल हुआ कोविड काल में : 2019 में गोठान योजना शुरू हुई। कुछ महीने बाद ही कोविड आ गया। दस्तावेज खंगालने पर यह सामने आया कि 80 प्रतिशत गोठान 2019 से 2021 के बीच बने। यह कोविड काल का दौर था। यानी एक तरफ लोग अपनी जान बचाने के लिए लड़ रहे थे, वहीं सरकार दूसरी योजनाओं की राशि से गोठान बनाने में लगी थी। जहां जो कम पड़ा दूसरे विभाग से एडजस्ट किया भूपेश सरकार ने गोठान बनाने के लिए नियम ताक पर रख दिए थे। गोठान में जो कमी नजर आई, वहां जिस विभाग को चाहा उसे काम दे दिया। जैसे लाइट लगाने का काम क्रेडा से करवाया गया। वहीं गोठान बनाने में मजदूरों को पैसा मनरेगा से दिया गया। आदिवासी क्षेत्रों में तो प्राधिकरण से लेकर एनडब्ल्यूई तक के पैसे खर्च किए। गोठान की वजह से स्वच्छता में पिछड़े: विधायक सुशांत शुक्ला का कहना है कि स्वच्छ भारत और अधोसंरचना मद का 80 प्रतिशत पैसा गोठान बनाने में खर्च हुआ। इससे सफाई पर असर पड़ा। तीन जिलों में ऐसे हुआ पैसों का इस्तेमाल कोरबा : करतला ब्लॉक का ग्राम पंचायत अमलडीहा। 14वें वित्त की राशि से सीसी रोड और नाली बनाना था। इससे नवापारा में गोठान बना। पूर्व सरपंच फिरोज कंवर बताते हैं कि शुरुआत में 4 लाख रुपए रोड बनाने में खर्च हुए। गोठान के लिए शेड और फेंसिंग हुई। सीसी रोड व नाली निर्माण अधूरा है। कोरिया : बैकुंठपुर के ग्राम कंचनपुर में सीएमएचओ कार्यालय के पास नगर पालिका ने पहले 19 लाख रुपए से गोठान बनाया। फिर नए जिला अस्पताल व एमसीएच भवन के लिए इसे डिस्मेंटल कर दिया। गोठान के लिए अधोसंरचना मद से राशि खर्च की गई। जांजगीर : सड़क से मवेशियों को हटाने के लिए नेशनल हाईवे 49 के पास ग्राम तिलई गोठान में 19 लाख रुपए खर्च कर पशु आश्रय स्थल बनाया गया। यहां वेटरनरी डॉक्टर, चौकीदार के लिए कमरे बनाए गए, लेकिन यहां एक भी दिन पशुओं को आश्रय नहीं मिला। डीएमएफ राशि बर्बाद हो गई। कुछ योजनाओं का मद नहीं बदला जा सकता भास्कर एक्सपर्ट सुशील त्रिवेदी, रिटायर्ड आईएएस कई योजनाएं सरकार ऐसी लाती है, जिनके लिए बजट नहीं होता। ऐसे में दूसरी योजनाओं का मद बदलकर उसे दिया जाता है। कुछ ऐसी हैं जिनका मद नहीं बदला जा सकता। जैसे 14वें-15 वें वित्त, नक्सल उन्मूलन, डीएमएफ आदि। केंद्र की अधिकतर योजनाओं मेंं मद परिवर्तन नहीं होता है। 24 योजनाओं का पैसा एक योजना में लगाना तो वैसे भी गलत है। गोठान का बजट नहीं था। कलेक्टर व जिला पंचायत अधिकारी को योजनाओं से पैसे लगाने थे। जैसे सौर सुजला के पैसे से लाइट व पंप लगाए गए। योजनाओं के मद नहीं बदले गए।- रवींद्र चौबे, पूर्व कृषि मंत्री बिना बजट के योजना बनाना ही गलत है। कांग्रेस सरकार ने विकास के पैसों को गोठान के भ्रष्टाचार में फूंक दिया। 24 योजना के पैसे लगे। अब इस मामले की जांच की जाएगी। – रामविचार नेताम, कृषि मंत्री