केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के सीनियर IPS जीपी सिंह को बहाल करने का आदेश जारी कर दिया है। जीपी सिंह अब जल्द फिर से वर्दी में दिखेंगे। जीपी सिंह पर आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस में कार्रवाई की गई थी। अब नौकरी मिलते ही जीपी सिंह डीजी की रेस में भी शामिल हो गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह आदेश केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के निर्णय के आधार पर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने 20 जुलाई 2023 को जारी निलंबन आदेश को रद्द करते हुए उन्हें उसी दिनांक से फिर से उनके पद पर बहाल कर दिया है। दरअसल, जुलाई 2023 में केंद्र ने उनकी सेवा समाप्त कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। इस आदेश को जीपी ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में चुनौती दी। उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश को कैट ने गलत बताया। उन्हें बहाली का आदेश दिया। वहीं हाईकोर्ट ने भी सारे केस खत्म कर दिए हैं। जानिए कोर्ट ने किन आधारों पर सर्विस दी जीपी सिंह पर चल रहे मुकदमों को आधार बनाकर उन्हें उनकी नौकरी से अलग किया गया। इसके बाद सिंह की ओर से IPS-IAS अफसरों के एक तरह के न्यायिक आयोग केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में पूरे मामले को चैलेंज किया गया। 1994 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी गुरजिंदर पाल सिंह (GP सिंह) को 20 जुलाई 2023 को गृह मंत्रालय के आदेश पर सेवानिवृत्त कर दिया गया था, जिस पर उन्होंने CAT में चुनौती दी थी। ये रिटायरमेंट प्रदेश में तब की कांग्रेस सरकार की रिपोर्ट के आधार पर हुआ था। तो अब आगे क्या गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह की बहाली का आदेश दे दिया है। इसकी एक प्रति राज्य के मुख्य सचिव को भेज दी है। अब राज्य का गृह विभाग तय करेगा कि छत्तीसगढ़ के इस आईपीएस अधिकारी को कौन सी जिम्मेदारी दी जाए। जीपी सिंह के विभाग को लेकर गृह विभाग और मुख्यमंत्री के बीच चर्चा होगी। कल्लूरी और जीपी सिंह डीजी की रेस में एडीजी जीपी सिंह बहाली के साथ ही डीजी के रेस में शामिल होंगे। छत्तीसगढ़ में एक डीजीपी और तीन डीजी का पद है। इस साल आईपीएस पवन देव, अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता को डीजी प्रमोट किया गया है। फरवरी 2025 में अशोक जुनेजा रिटायर हो जाएंगे। उसके बाद एडीजी SRP कल्लूरी और इसी बैच के जीपी सिंह डीजी की रेस में शामिल हो गए हैं। हालांकि यह भी कहा रहा है कि अभी कुछ समय तक पुलिस हेडक्वार्टर में दफ्तरी काम कराने के बाद मेन स्ट्रीम के विभागों का चार्ज सिंह को दिया जा सकता है। जब GP सिंह के घर छापा पड़ा था GP सिंह खुद ACB के चीफ थे। जब उनके घर पर साल 2021 में छापा पड़ा तो वो ADG रैंक पर थे। जांच से जुड़े अफसरों ने बताया था कि उनके घर से कुछ डायरियां और डायरियों के फटे पन्ने मिले हैं। इस डायरी में जादू-टोने से जुड़ी बातें लिखी हुई हैं। एक डायरी में कोड वर्ड में कुछ अफसरों के बारे में अजीब बातें लिखी हैं। डायरी में लिखा है- वह थाईलैंड से 20 पैर वाला कछुआ मंगवा चुके हैं। उसकी बलि देने के बाद वह कुछ भी कर सकेगा। इनमें से एक अफसर का नाम “छोटा टकला” लिखा गया। 2 और अफसरों के लिए अनोपचंद- तिलोकचंद लिखा हुआ है। वहीं कुछ आईएएस अधिकारियों, सचिव स्तर के अफसरों, कांग्रेस-भाजपा के नेताओं का नाम भी कोड वर्ड में लिखा मिला था। इनके बंगले और कुछ दोस्तों रिश्तेदारों की घरों की जांच के बाद ACB ने जांच में 10 करोड़ की संपत्ति मिलने और इसके बढ़ने की आधिकारिक जानकारी दी। कहा गया कि IPS के बैंक मैनेजर दोस्त मणि भूषण के घर से एक 2 किलो सोने की पट्टी मिली थी, जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ थी। कई कंपनियों में निवेश गहने और लाखों रुपए कैश मिला था। कोर्ट में क्या-क्या हुआ ? जीपी सिंह के पास से मिली संपत्ति की वजह से आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह ब्लैकमेल कर रुपए वसूलने की धाराओं में रायपुर के कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई। 120 दिन ADG दूसरे कैदियों की तरह जेल में रहे। मामले की सुनवाई नवंबर 2024 तक हाईकोर्ट में चलती रही। हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच सिंह के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने को कहा। हाईकोर्ट ने कहा कि, उन्हें परेशान करने के लिए झूठे मामलों में फंसाया गया है। किसी भी मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। जीपी सिंह के वकील हिमांशु पांडेय ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में जिस व्यक्ति से गोल्ड सीज हुआ है, उस व्यक्ति को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है। गोल्ड को जीपी सिंह का बताकर उन्हें आरोपी बना दिया गया। जिस स्कूटी से गोल्ड जब्त हुआ है, वह भी जीपी सिंह की नहीं है। स्कूटी जीपी सिंह के परिजनों के नाम पर भी रजिस्टर्ड नहीं है। एडवोकेट ने सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन केस पर कहा कि, इसे सालों बाद बदले की भावना से रजिस्टर किया गया। कई साल बाद मामला दर्ज होने से मामला समझ से परे है। राजद्रोह के मामले में अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने कोर्ट को बताया था कि कागज के कटे-फटे टुकड़े जीपी सिंह के ठिकाने से मिले हैं। सिर्फ उसे ही आधार पर मानकर राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है। उन कागजों से कोई भी साजिश रिफ्लेक्ट नहीं हो रही। एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से अदालत में पेश किए गए जवाब में भी स्पष्ट है कि कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में कोई भी स्पष्टता नहीं है। पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है अदालत में पेश होते समय मीडिया से बात करते हुए जीपी सिंह ने कहा था कि ये उनके खिलाफ साजिश है। ये पॉलिटिकल विक्टमाइजेशन का केस है। मेरे खिलाफ दर्ज FIR पूरी तरह से गलत है। जीपी सिंह के वकील ने भी पुलिसिया कार्रवाई को गलत ठहराया था। जीपी सिंह कह चुके हैं कि जो संपत्ति उनके नाम बताई जा रही है वो उनकी नहीं है और न ही उनका उससे कोई लेना-देना है। उन्होंने तब कहा था कि ये पूरा केस फैब्रीकेटेड (रचा हुआ) है। जब कोर्ट में रमन सिंह का नाम लिया था जीपी सिंह ने कहा था कि नागरिक आपूर्ति निगम की जांच कर रहा था, तब गवाहों को हॉस्टाइल करने कहा गया। इस मामले में रमन सिंह और वीणा सिंह को फंसाने कहा गया। मैंने ये नहीं किया। हालांकि 2022 में जब इन केसेस में GP सिंह को रायपुर की जेल से जमानत पर रिहा किया गया तो उन्हें सख्त हिदायत थी कि वो मीडिया से बात न करें, और GP सिंह तब से चुप हैं। ………………………………………. ये खबर भी पढ़ें… ADG जीपी सिंह सस्पेंड: सरकार ने आदेश में लिखा- आप से ऐसी उम्मीद न थी, ACB के छापे में हुआ था 10 करोड़ की संपत्ति का खुलासा, पंजाब में भी खरीद रखी थी प्रॉपर्टी छत्तीसगढ़ के सीनियर IPS और ADG रैंक के अफसर जीपी सिंह को निलंबित कर दिया गया है। सोमवार की देर रात एक आदेश जारी कर राज्य सरकार की तरफ से ये कार्रवाई की गई है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी हुए आदेश में लिखा गया है कि जीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई दे रही है। यह भी लिखा गया है कि ऐसा काम की एक सरकार अफसर से उम्मीद नहीं की जा सकती इस लिए ये कार्रवाई की जा रही है। जीपी सिंह इस वक्त पुलिस ट्रेनिंग एकेडमी के चीफ थे। पढ़ें पूरी खबर