भास्कर न्यूज | जांजगीर कॉलोनाइजर और बिल्डर सरकार से प्रोजेक्ट की अनुमति तो ले रहे हैं, लेकिन नियमों का पालन नहीं कर रहे। नियम के अनुसार, कॉलोनी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और वाटर ट्रीटमेंट की व्यवस्था जरूरी है, पर शहर की कई कॉलोनियों में यह काम नहीं हो रहा। न कचरा प्रबंधन है, न गंदे पानी की सफाई और दोबारा उपयोग की व्यवस्था। सरकार ने इस स्थिति को पूरी तरह अस्वीकार्य बताया है। अब कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने राज्य की सभी नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के सीएमओ को आदेश जारी किया है। आदेश में कहा है कि निकाय क्षेत्र में आने वाले सभी आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और उपयोगित जल के संग्रहण, उपचार और पुनर्चक्रण की व्यवस्था कराई जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो संबंधित कॉलोनियों और परिसरों के खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार के दो जरूरी नियम, पालन करना है अनिवार्य छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 और नगर पालिका (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रेशन, निबंधन तथा शर्तें) नियम, 2013 के तहत कॉलोनाइजर और बिल्डरों को आवासीय और व्यावसायिक परिसर बनाने की अनुमति दी जाती है। यह अनुमति तय शर्तों के साथ मिलती है। परिसरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और उपयोग किए गए जल के संग्रहण, उपचार और पुनर्चक्रण की व्यवस्था जरूरी होती है। कॉलोनाइजर को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होता है। जल का पुनर्चक्रण तय मानकों और नियमों के अनुसार करना जरूरी है। परिसर में कचरा एकत्र करने की पर्याप्त सुविधा देना और उसका वैज्ञानिक तरीके से निपटान करना भी जरूरी है। इन सभी शर्तों का पालन करना कॉलोनाइजर के लिए अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जा सकती है। जानिए… ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 इसके तहत कॉलोनी परिसर में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था अनिवार्य है। नियम के अनुसार, कॉलोनाइजर या बिल्डर द्वारा बनाए गए आवासीय और व्यावसायिक परिसरों में कचरे के संग्रहण, उपचार और पुनर्चक्रण की पूरी जिम्मेदारी बिल्डर की होगी। जब कॉलोनी हैंडओवर हो जाएगी, तब यह जिम्मेदारी रहवासी कल्याण संघ की होगी। इसके साथ ही उपयोगित जल के संग्रहण, उपचार और पुनः उपयोग की व्यवस्था भी इन्हीं के जिम्मे रहेगी।