कोंडागांव में वट सावित्री व्रत का पावन पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना के लिए व्रत रखा। सुबह से ही महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में नजर आईं। वे चूडिय़ों, सिंदूर और बिंदी से सजी हुई थीं। उन्होंने मंदिरों और वटवृक्षों के पास जाकर पूजा-अर्चना की। वटवृक्ष की जड़ में जल चढ़ाया और कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत सावित्री-सत्यवान की कथा पर आधारित है। सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस लिए थे। इसी कारण महिलाएं वटवृक्ष को शिव का स्वरूप मानकर पूजा करती हैं। वटवृक्ष को दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कोंडागांव शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यह पर्व मनाया गया। मंदिरों और वटवृक्षों के पास भक्तों की भीड़ उमड़ी। महिलाएं समूह में व्रत कथा का श्रवण करती दिखीं। पूजा के बाद उन्होंने एक-दूसरे को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया और प्रसाद बांटा।