कोरबा में स्थानीय बेरोजगारों को निजी कंपनी में रोजगार देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने 6 दिसंबर की सुबह आंदोलन किया। प्रदर्शन शुरू होते ही पुलिस ने हस्तक्षेप कर एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। यह मामला एसईसीएल खदान में कार्यरत नीलकंठ कंपनी से जुड़ा है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बसों में भरकर कुसमुंडा थाने ले गई, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। संगठन के सदस्य एक कंपनी का गेट जाम करने पहुंचे थे, लेकिन पहले से तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। अधिकारों से वंचित करने का आरोप छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के सदस्यों ने आरोप लगाया कि संबंधित कंपनी ने स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का आश्वासन दिया था। हालांकि, कंपनी ने न तो पुलिस सत्यापन की प्रक्रिया पूरी की और न ही सूचीबद्ध स्थानीय वाहन चालकों को नियुक्त किया। इसके विपरीत, कंपनी लगातार अन्य राज्यों से वाहन चालक बुलाकर काम करा रही है। इससे स्थानीय युवाओं में गहरा असंतोष व्याप्त है, जो अपने अधिकारों से वंचित महसूस कर रहे हैं। स्थानीय लोगों को रोजगार देने की मांग कई बार उठाई जा चुकी है, लेकिन कंपनी बाहरी लोगों की भर्ती जारी रखे हुए है। बड़े स्तर पर आंदोलन की चेतावनी संगठन ने पुलिस की इस कार्रवाई को अनुचित और अलोकतांत्रिक बताया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने के संबंध में ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो यह आंदोलन और व्यापक रूप ले सकता है। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने इस घटना की जानकारी कलेक्टर, एसडीएम, पुलिस अधीक्षक, एसईसीएल प्रबंधन और निजी कंपनी को पत्र भेजकर पहले ही दे दी थी। स्थानीय युवाओं का कहना है कि अब रोजगार को लेकर निर्णायक लड़ाई लड़ने का समय आ गया है।


