जयपुर में 5 मंजिल (G+4) की निर्माणाधीन होटल को धराशायी कर दिया गया। पिछले 5 महीने से बन रहा होटल शनिवार से सड़क की ओर खतरनाक तरीके से झुकने लगा था। आखिर यह बिल्डिंग अचानक कैसे झुक गई, इसकी जांच जयपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी के अधिकारी करेंगे। उससे पहले कारणों को समझने के लिए भास्कर ने एक्सपर्ट आर्किटेक्ट मनीष जैन और स्ट्रक्चरल इंजीनियर सुनील गोयल से बात की। मालिकों ने दावा किया कि वो बेसमेंट में लोहे की सीढ़ियां लगा रहे थे। एक्सपर्ट की मानें तो बिल्डिंग का अचानक झुकना मतलब नींव से छेड़छाड़ ही हो सकती है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 90 गज में बेसमेंट के साथ बन रहा था होटल
जयपुर के मालवीय नगर स्थित अमित भारद्वाज पेट्रोल पंप के ठीक सामने 90 वर्गगज एरिया के प्लॉट में होटल बनाया जा रहा था। पूरा स्ट्रक्चर पिल्लर पर खड़ा हो चुका था। अंदर इंटीरियर का काम चल रहा था। 2-3 दिन पहले अचानक आसपास के लोगों ने देखा कि निर्माणाधीन होटल और उसके पीछे की बिल्डिंग में गैप आ रहा है। 6 दिसंबर को यह गैप (दरार) और ज्यादा बढ़ गया। निर्माणाधीन होटल की बिल्डिंग सड़क की तरफ झुकने लगी।जेडीए अधिकारियों ने इसे नोटिस में लिया और कुछ ही घंटों बाद इसे गिराने का फैसला लिया गया। 7 दिसंबर को बिल्डिंग को गिरा दिया गया। एक्सपर्ट ने बताए ये 3 कारण 1. सॉयल टेस्ट : स्ट्रक्चरल इंजीनियर सुनील गोयल बताते हैं- मालवीय नगर में बिल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरा खड़ा हुए हो चुका था। अचानक से उसने झुकना शुरू कर दिया। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि मिट्टी धंसने लगी हो। यानी बिल्डिंग का निर्माण कार्य जब शुरू किया गया हो तब उसकी सॉयल टेस्टिंग नहीं की गई हो। या फिर एक ही जगह से सॉयल टेस्ट कर खानापूर्ति की गई हो। 30 मीटर के अंतराल में ही मिट्टी की प्रकृति बदल सकती है। आर्किटेक्ट मनीष जैन ने बताया कि किसी भी इमारत को बनाने से पहले उसकी सॉयल यानी मिट्टी का परीक्षण करना सबसे आवश्यक होता है। इस टेस्ट से ही पता चलता है कि उस मिट्टी पर कितनी बड़ी बिल्डिंग बन सकती है और वो कितना वजन झेल सकती है। सॉयल टेस्टिंग से ही पता चलता है कि बिल्डिंग में कितना लोहा-सीमेंट-कॉन्क्रीट लगेगा। ज्यादातर लोग इसी टेस्ट में लापरवाही कर जाते हैं। बिना सॉयल टेस्टिंग के निर्माण कार्य शुरू कर देते हैं। मिट्टी की क्षमता के विरुद्ध बिल्डिंग बनाते हैं तो जमीन लोड झेल नहीं पाती है। 2. नींव के आसपास खुदाई : जेडीए के जोन-1 के तहसीलदार शिवांग शर्मा ने अपनी जांच में पाया कि नियम विपरीत होटल में बेसमेंट बन रहा था। आसपास के लोगों का भी कहना है कि बेसमेंट में खुदाई की जा रही थी। आर्किटेक्ट मनीष जैन बताते हैं कई बार बिल्डिंग का काम पूरा होने के बाद लोग बेसमेंट में खुदाई करवाते हैं या वाटर टैंक बनाने का काम करते हैं तो नींव के आसपास की मिट्टी खिसकने लग जाती है। जिस नींव पर पूरी इमारत खड़ी होती है वहां की मिट्टी खिसकना अपने आप में बड़ा जोखिम होता है। उस बिल्डिंग को बचा पाना मुश्किल होता है। बिल्डिंग बनने के बाद उसमें बेसमेंट बनाना किसी भी तरह सही नहीं है। क्योंकि बेसमेंट बनाने में इमारत के फाउंडेशन के साथ छेड़छाड़ संभव है। बिल्डिंग झुकने का यही सबसे बड़ा कारण हो सकता है। 3. जल्दबाजी में निर्माण : बिल्डिंग के तीन मालिकों में से एक नरेश मनवानी ने बताया कि करीब 5 महीने से निर्माण चल रहा था। यानी 5 मंजिला इमारत को महज 5 महीने में ही बनाकर तैयार कर दिया गया था। आर्किटेक्ट मनीष जैन के अनुसार एक बिल्डिंग की पूरी इंजीनियरिंग होती है। एक छत को डालने के बाद कम से कम 21 दिन बाद दूसरी छत डालने का काम शुरू करना चाहिए। लेकिन कई लोग काम जल्दी फिनिश करने के चक्कर में लापरवाही बरतते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, 5 मंजिला इमारत के निर्माण लिए कम से कम 7 महीने का औसत समय लगाना चाहिए। इसके अलावा ईंट-बजरी-रोड़ी का अनुपात कितना और बिल्डिंग को कितने समय तक तराई दी गई, यह भी बेहद मायने रखती है। ठेकेदार के स्तर पर कई तरह की लापरवाही बरती जाती हैं। कई बार मटेरियल सलेक्शन में समझौता करता है। कई बार बजरी में मिट्टी की मिलावट भी की जाती है। मटेरियल के कंपोजिशन में भी गड़बड़ी के कारण इमारत मजबूत नहीं बन पाती है। ठेकेदार काम कम से कम समय में पूरा करने की कोशिश में बड़ी लापरवाही कर जाते हैं। एक्सपर्ट बोले- बिल्डिंग बनने के बाद नींव से छेड़छाड़ सबसे बड़ा कारण
आर्किटेक्ट मनीष जैन ने बताया कि इस बिल्डिंग के झुकने का सबसे बड़ा कारण यही नजर आ रहा है कि फाउंडेशन (नींव) के नीचे मिट्टी के साथ किसी तरह की छेड़खानी हुई है। इसके कारण नींव के आसपास की मिट्टी खिसक गई और फिर बिल्डिंग एक तरफ झुक गई हो। नींव के आसपास कोई काम किया जा रहा हो या फिर नींव के आसपास की मिट्टी निकाल दी जाए तो भी बिल्डिंग झुक सकती है। नियमों को ताक पर रखकर बना रहे थे होटल
जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के डिप्टी इन्फोर्समेंट ऑफिसर इस्माइल खान के अनुसार, रेजिडेंशियल जगह पर कॉमर्शियल एक्टिविटी कर रहे थे। इनके पास कॉमर्शियल पट्टा भी नहीं था। सेट बैक के नियमों का भी उल्लंघन था। दो बिल्डिंग के बीच कोई भी गैप नहीं रखा गया। वहीं, JDA से किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली थी। पिछले 5-7 महीने में 5 मंजिल की बिल्डिंग खड़ी कर दी गई। एक्सटीरियर का काम कंप्लीट हो चुका है। इंटीरियर का काम चल रहा था। बिल्डिंग के अंदर हर रूम के साथ अटैच बाथरूम तैयार किया गया था। इसमें टाइल्स मार्बल फॉल सीलिंग का भी काम कंप्लीट हो चुका था। शनिवार को बेसमेंट के पास खुदाई के दौरान होटल में दरारें पड़ गई थीं। साथ ही, होटल एक तरफ झुक गया है। इमारत को दो क्रेन लगाकर सपोर्ट दिया गया था। — जयपुर के पॉश इलाके के अवैध बिल्डिंग की ये खबरें भी पढ़िए… जयपुर के पॉश-इलाके में खतरनाक तरीके से झुका होटल गिराया:विरोध करने पहुंचे मालिकों की पुलिस से हुई बहस; बोले- पॉलिटिक्स पावर का इस्तेमाल जयपुर में 5 मंजिल (G+4) की निर्माणाधीन होटल धराशायी कर दिया गया। इसे गिराने से पहले बिल्डिंग की संरचना को कमजोर करने के लिए जेसीबी मशीनों से ड्रिलिंग की गई थी। होटल के मालिक जेडीए की कार्रवाई का विरोध करने पहुंचे। इस दौरान उनकी पुलिस अधिकारियों से बहस हो गई। (पूरी खबर पढ़ें)


