क्रोध में किए गए कार्य का अंत निंदनीय क्रोध पर कंट्रोल रखे : स्वामी चिदरूपानंदा

भास्कर न्यूज | अमृतसर चिन्मय मिशन अमृतसर द्वारा चिन्मय अमृत रंजीत एवेन्यू ई-ब्लॉक में चिन्मय मिशन नोएडा के प्रमुख पूज्य स्वामी चिदरूपानंदा द्वारा क्रोध प्रबंधन पर संभाषण का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम चिन्मय मिशन के अध्यक्ष अविनाश महेंद्रू ने स्वामी का स्वागत किया और उपस्थिति को संभाषण के विषय की जानकारी दी। इसके पश्चात संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण करते हुए स्वामी ने सर्वप्रथम उपस्थिति को जीवन के बारे में बताया कि हम रोजाना नई चुनौतियों का सामना करते हैं। हम अपने जीवन में जिन संघर्षों का सामना करते हैं, वे हमारे पूर्वजन्मों का ही फल होता है। जब भी स्थितियां हमारे अनुकूल नहीं होती, उस समय हम क्रोधित हो जाते हैं, हमारा मानसिक ताप इतना बढ़ जाता है कि वह हमारे सोचने-समझने की शक्ति पर हावी हो जाता है। स्वामी ने कहा कि पापी व्यक्ति जीवन भर गुस्सा पकड़ कर रखेगा। हमारे द्वारा कहा गया एक शब्द ही कई बार हमारे नज़दीकी रिश्ते खराब कर देता है, इसलिए हमें शब्दों का सही चुनाव करना चाहिए। जो कार्य क्रोध में आकर शुरू किया जाता है, उसका अंत निन्दनीय ही होता है। उन्होंने क्रोध का कारण हमारी बढ़ती महत्त्वकांक्षाओं को बताया जो जब पूरी नहीं हो पाती तब वे खीझ व झल्लाहट के रूप ले लेती है। उन्होंने ने क्रोध पर नियंत्रण के उपाय बताते हुए कहा कि हमें सचेत रहने का अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि सावधानी का नाम ही साधना है। हमें दूसरों से पूर्णता की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। अपनी गल्ती स्वीकार कर लेनी चाहिए और फालतू की बहस करने से बचना चाहिए। हमें व्यर्थ की निंदा-चुगली नहीं करना चाहिए, उतना बोले जितना जरूरी है, मन और सहनशीलत का अभ्यास करें। उन्होंने ने कहा कि जिंदगी को खुशी से जीयो, सभी से प्रेम करो और प्रेम बांटो। अंत में चिन्मय मिशन अध्यक्ष अविनाश महेंद्रू ने स्वामी को सभी का मार्ग दर्शन करने के लिए धन्यवाद किया। अंत में उन्होंने उपस्थिति को चिन्मय अमृत में होने वाले आगामी कार्यक्रमों की भी जानकारी दी।

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