छत्तीसगढ़ के चिरमिरी एसईसीएल ओपन कास्ट माइंस में नीचे कोयले की आग धधक रही है। उसके ऊपर 500 मीटर के दायरे में दो स्कूल चलते हैं। यहां 600 छात्र खदान के मुहाने पर ब्लास्टिंग के बीच पढ़ाई कर रहे हैं। कोयला खदान से स्कूल की दूरी 5 साल पहले करीब 1 किमी से अधिक थी। खदान का दायरा बढ़ने से एसईसीएल का प्रोजेक्ट स्कूल डीएवी और एक सरकारी प्राइमरी स्कूल इसकी जद में हैं। इस जगह से खदान की दूरी अब 500 मीटर से भी कम रह गई है। बगल में पॉलीटेक्निक का भवन भी है, जहां फर्नीचर रखे हैं लेकिन क्लास नहीं चलती है। खदान के कारण स्कूल के आसपास का तापमान भी 3 से 5 डिग्री ज्यादा महसूस किया जाता है। गर्मी की छुट्टी के बाद 16 जून से जब दोबारा स्कूल खुलेंगे, तो बच्चों को इन खतरों के बीच ही स्कूल आना होगा। डीएवी स्कूल खदान के सबसे नजदीक है। अफसर बोले- जरूरी कदम उठाएंगे एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र के महाप्रबंधक अशोक कुमार कहते हैं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इन दोनों स्कूल में बरतुंगा समेत चिरमिरी के खड़गवां, बड़ा बाजार, पोड़ी, हल्दीबाड़ी से बच्चे आते हैं। स्कूल बस भी ओपन कास्ट खदान के रास्ते से आवाजाही करती है। यहां ब्लास्टिंग भी होती है। अभिभावकों ने कई बार मांग की है कि स्कूल को शिफ्ट किया जाए। डीजीएमएस बिलासपुर के डायरेक्टर राजेश कुमार सिंह ने कहा कि इसकी जांच चल रही है। एक्सपर्ट व्यू – ब्लास्टिंग से स्कूल 1 किमी से अधिक दूर हो शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज अंबिकापुर के माइनिंग विभाग के एचओडी डॉ. केतन चौरसिया कहते हैं कि जिन खदानों में ब्लास्टिंग होती है वहां से स्कूलों की दूरी कम से कम 1 किमी से अधिक होनी चाहिए। वर्तमान में ये दूरी 500 मीटर से भी कम रह गई है। डीजीएमएस 2020 के सर्कुलर 2 और 3 में इसका जिक्र है। खदान क्षेत्र से लगकर स्कूल नहीं चला सकते हैं। यह सुरक्षित नहीं है।