खबर हटके- ऐसा शहर जहां 26 साल से मरना बैन:शराब की खाली बोतल पर मिलेगा कैशबैक; जानिए ऐसी ही 5 रोचक खबरें

क्या आप सोच सकते हैं कि किसी शहर में मरना ही गैरकानूनी हो? स्पेन में एक ऐसा ही शहर है जहां 4 हजार लोग रहते हैं, लेकिन यहां मरने पर बैन लगा है। अगर कोई मरता भी है तो उसे दफनाने के लिए जमीन नहीं दी जाती। वहीं अब शराब की खाली बोतलें रिटर्न करने पर सरकार कैशबैक देने की योजना शुरू कर रही है। स्पेन के ग्रेनेडा स्टेट के लांजारॉन गांव में ऐसा ही एक अजीबोगरीब नियम है, जहां रहने वालों लोगों का मरना बैन है। इस गांव में 4000 लोग रहते हैं। यह अनोखा नियम 26 साल पहले पूर्व मेयर जोस रूबियो ने बनाया था। 1999 में, रूबियो ने एक घोषणा की, जिसमें लांजारॉन के नागरिकों से ‘अपने स्वास्थ्य का अत्यधिक ध्यान रखने का आग्रह किया गया था ताकि वे तब तक न मरें जब तक कि गांव में मरने वालों के लिए जमीन न मिल जाए। कब्रिस्तान में जगह नहीं, इसलिए मरना मना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन मेयर पर स्थानीय कब्रिस्तान में भीड़भाड़ की समस्या को तेजी से हल करने का दबाव था। यह समस्या कई सालों से शहर को परेशान कर रही थी। उनके समाधान के तौर पर यह अजीबोगरीब कानून बनाया गया था। नॉर्वे में भी ऐसा ही नियम
ऐसा नियम बनाने वाले रूबियो अकेले मेयर नहीं हैं। नॉर्वे के लॉन्गेयरबेन में रहने वालों का मरना मना है- और यह नियम 1950 से है। 20वीं सदी में, रिसर्चर्स ने पाया कि क्लाइमेट के कारण इस एरिया में लाश डिकंपोज नहीं होते थे, जिससे बीमारियों के फैलने का डर था। वैज्ञानिकों ने 1917 के इन्फ्लूएंजा वायरस के लिए दफन किए गए शवों की टेस्टिंग भी की, जीमें वायरस के जीवित सैंपल मिले। इसके बाद बीमारी फैलने की आशंकाओं के कारण कब्रिस्तान को बंद कर दिया गया था। प्लास्टिक कचरे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए, केरल सरकार ने एक अनोखी पहल शुरू की है। अब केरल स्टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन (Bevco) के आउटलेट्स पर बिकने वाली शराब की खाली बोतलें वापस करने पर ग्राहकों को ₹20 का रिफंड (वापसी) मिलेगा। एक्साइज डिपार्टमेंट ने बताया कि यह योजना सितंबर में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी। इसके तहत, प्लास्टिक और कांच दोनों तरह की शराब की बोतलों पर अतिरिक्त ₹20 लिए जाएंगे, जो बोतल वापस करने पर वापस मिल जाएंगे। ‘₹20 अतिरिक्त शुल्क नहीं, जिम्मेदारी भरा निवेश’
एक्साइज ड्यूटी मिनिस्टर एम.बी. राजेश ने बताया कि इस ₹20 को अतिरिक्त शुल्क के रूप में नहीं, बल्कि इसे इन्वेस्टमेंट मानना चाहिए। बोतलों की ट्रैकिंग और रिफंड की सुविधा के लिए हर बोतल पर एक QR कोड लगाया जाएगा। केरल में सालाना 70 करोड़ शराब की बोतलें बिकती हैं, जिनमें से 80% प्लास्टिक की होती हैं। मंत्री ने कहा, ‘इससे सड़कों पर फेंकी जाने वाली बोतलों की संख्या कम करने में मदद मिलेगी।’ यह प्रोजेक्ट ‘क्लीन केरल कंपनी’ के साथ पार्टनरशिप में शुरू की गई है। यह तिरुवनंतपुरम और कन्नूर में शुरू होगी। इससे पहले ये योजना तमिलनाडु में शुरू की गई थी, जिसे आज भी सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है। जापान के ओकिनावा में होशिजुना-नो-हामा नाम का ऐसा समुद्री तट है, जहां की रेत तारों जैसी दिखती है। दरअसल, ये ‘तारे’ कोई रेत के दाने नहीं, बल्कि फोरैमिनिफेरस नाम के अरबों छोटे समुद्री जीवों के कैल्शियम कार्बोनेट के खोल हैं। ये जीव मरने के बाद समुद्र की लहरों के साथ किनारे आ जाते हैं और तारों जैसी डिजाइन बनाते हैं। वैज्ञानिक इसे समुद्री जीवों का कंकाल बताते हैं, जबकि कुछ स्थानीय लोग एक पुरानी कथा पर विश्वास करते हैं कि ये तारे दक्षिणी क्रॉस और उत्तरी तारे के बच्चे हैं, जिन्हें एक विशाल सांप ने मार डाला था।इस बीच की लोकप्रियता बढ़ने से पर्यटक खूब आ रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को फायदा हो रहा है। हालांकि, पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण तारों जैसी रेत के गायब होने का खतरा भी बढ़ गया है, इसलिए अब इसे घर ले जाने पर रोक लगा दी गई है। स्पेन में 2000 साल पुराने एक रोमन ताबीज के अंदर ऐसे जीव का जीवाश्म (यानी पत्थर बन चुके अवशेष) मिला है, जो 25 करोड़ साल पहले ही धरती से खत्म हो चुका था। इस रहस्यमय समुद्री जीव का नाम ट्राइलोबाइट है। यह दुनिया का पहला सबूत है जो बताता है कि रोमन लोग इस विलुप्त समुद्री जीव को ताबीज में इस्तेमाल करते थे। यह जीवाश्म उत्तर-पश्चिमी स्पेन के एक पुराने रोमन ठिकाने पर मिला। रिसर्चर्स का मानना है कि रोमन लोग इन खास पत्थरों में जादुई या सुरक्षा करने वाली ताकतें मानते थे, इसलिए इतनी दूर से भी इन्हें लाते थे। यह जीवाश्म एक कांसे के सिक्के के साथ मिला, जिस पर पहले रोमन सम्राट ऑगस्टस का चेहरा बना था। बता दें कि सम्राट ऑगस्टस भी जीवाश्मों को इकट्ठा करने के शौकीन थे। यह खोज इतिहास और विज्ञान के कई राज खोल सकती है। न्यूजीलैंड में एक ऐसा अनोखा एयरपोर्ट है, जहां विमान और ट्रेनें बारी-बारी से एक ही रनवे का इस्तेमाल करती हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा एक्टिव एयरपोर्ट है जहां रेलवे लाइन सीधे मेन रनवे के बीच से गुजरती है। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड के गिसबोर्न एयरपोर्ट की। 160 हेक्टेयर में फैले इस एयरपोर्ट का रनवे पाल्मरस्टन नॉर्थ-गिसबोर्न रेलवे लाइन से कटा हुआ है। यहां ट्रेनें और विमान एक-दूसरे को रास्ता देते हैं, और एयरपोर्ट ही रेलवे सिग्नलों को कंट्रोल करता है ताकि उड़ानों को कोई दिक्कत न हो। गिसबोर्न एयरपोर्ट प्रति सप्ताह 60 से अधिक घरेलू उड़ानों का प्रबंधन करता है और सालाना 1.5 लाख से अधिक यात्रियों को संभालता है। रनवे पर एक ट्रेन और एक हवाई जहाज का एक-दूसरे का धैर्यपूर्वक इंतजार करने का यह दुर्लभ दृश्य अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होता रहता है। तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ… खबर हटके को और बेहतर बनाने के लिए हमें आपका फीडबैक चाहिए। इसके लिए यहां क्लिक करें…

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