खूंटी के कर्रा में स्मार्ट पीडीएस योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू, कितने लाभुकों को कब कितना मिला अनाज, केंद्र को तत्काल मिलेगी सूचना

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जैसे ही लाभुकों को अनाज मिलेगा, केंद्र सरकार तक यह सूचना पहुंच जाएगी। इससे केंद्र को पता रहेगा कि झारखंड में कितने लाभुकों को कितनी मात्रा में कब और किस दिन अनाज मिला है। यह सब संभव होगा स्मार्ट पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) योजना से। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए फिलहाल आठ राज्यों का चयन किया है। इसमें झारखंड भी शामिल है। राज्य में खूंटी जिले के कर्रा में 22 पीडीएस दुकानों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना की शुरुआत की गई है। योजना सफल रही तो इसे चरणबद्ध ढंग से पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत सिर्फ अनाज वितरण की ही नहीं, बल्कि एफसीआई गोदाम से एसएफसी के गोदाम तक अनाज पहुंचाने, वहां से पीडीएस दुकानों तक अनाज ले जाने की रियल टाइम जानकारी भी केंद्र को मिलती रहेगी। इस योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से पीडीएस दुकानों में ई-पॉश मशीन भी उपलब्ध कराई गई है। इसमें ऐसा सॉफ्टवेयर डाला गया है, जिससे पूरी व्यवस्था पर नजर रखी जाएगी। इससे अनाज वितरण और परिवहन में पूरी पारदर्शिता रहेगी। केंद्र की राज्यों से भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर निर्भरता कम होगी। इससे यह भी पता चल जाएगा कि पीडीएस दुकानदार समय पर अनाज का वितरण कर रहे हैं या नहीं। इससे दुकानदारों की मनमानी पर भी रोक लगेगी। दरअसल सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यकुशलता में सुधार और लाभार्थियों तक इसकी पहुंच बढ़ाना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है। स्मार्ट पीडीएस सार्वजनिक वितरण प्रणाली में तकनीक के माध्यम से आधुनिकीकरण और सुधार की योजना है। इससे अधिकारियों को भी वास्तविक समय में खाद्यान्न की आवाजाही पर नजर रखने की सुविधा मिलेगी। राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के 2.29 करोड़ लाभुक झारखंड के साथ ही मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, उत्तराखंड, तेलंगाना और असम में इस योजना का पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है। इन राज्यों में अभी एक या दो जिलों में योजना शुरू की गई है। हालांकि कई राज्यों के साथ एमओयू हो चुका है। झारखंड में फिलहाल खूंटी जिले में यह योजना शुरू की गई है। गौरतलब हे कि झारखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 2.29 करोड़ लाभुक हैं। जबकि अन्त्योदय योजना के तहत 34.37 लाख लाभुक हैं।

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